Kabir Das Ke Dohe In Hindi: चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए...संत कबीर के 10 प्रसिद्ध दोहे अर्थ सहित

Sant Kabir Das Ke Dohe In Hindi (कबीर दास के दोहे अर्थ सहित हिंदी में): चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए। वैद बिचारा क्या करे, कहां तक दवा लगाए...संत कबीर दास जी के दोहे आज भी लोगों के दिलों में रचे-बसे हुए हैं। इनके दोहे कठिन से कठिन समय में राहत देने का काम करते हैं। चलिए हिंदी दिवस के अवसर पर जानते हैं कबीर दास जी के 10 प्रसिद्ध दोहों के बारे में।

Kabir Das Ke Dohe In Hindi

Sant Kabir Das Ke Dohe In Hindi (कबीर दास के दोहे अर्थ सहित हिंदी में): बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय...ये दोहा सुनते ही जहन में तुरंत संत कबीर दास जी का नाम आ जाता है। संत कबीर दास जी के दोहों ने सदैव ही लोगों का मार्गदर्शन करने का काम किया है। कबीर दास जी के दोहे जीवन की वास्तविकता से अवगत कराते हैं और कठिन समय से निकलने की प्रेरणा देते हैं। आज के समय में भी कई घरों में दिन की शुरुआत कबीर के दोहे सुनकर ही होती है। 14 सितंबर को हिंदी दिवस (Hindi Diwas 2024) मनाया जा रहा है। ऐसे में इस मौके पर देखें संत कबीर दास जी के लोकप्रिय दोहे जो आपका दिल जीत लेंगे।

Kabir Das Ke Dohe In Hindi (कबीर दास के दोहे अर्थ सहित हिंदी में)

1. बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।
पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर।
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