Saphala Ekadashi 2022: 19 दिसंबर को पड़ेगी साल की आखिरी एकादशी, जानें पूजा विधि और महत्व
Saphala Ekadashi 2022: सफला एकादशी को मनोरथ पूरी करने वाली एकादशी कहा जाता है। पंचांग के अनुसार सफला एकादशी पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
साल की अंतिम एकादशी है सफला एकादशी, जानें पूजा विधि और महत्व
- सफला एकादशी के व्रत और पूजन से सभी मनोरथ होते हैं पूरे
- पौष कृष्ण पक्ष को रखा जाता है सफलता एकादशी का व्रत
- एकादशी की पूजा में विष्णु भगवान को चढ़ाएं तुलसी दल
सफला एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कर साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद पूजा के मंदिर में दीप जलाकर व्रत का संकल्प लें। पूजा के लिए एक चौकी तैयार करें और इस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। भगवान विष्णु की तस्वीर चौकी पर स्थापित कर गंगाजल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को सफेद चंदन या गोपी चंदन लगाएं। इसके बाद फूल, फल और तुलसी दल अर्पित करें। भगवान को पंचामृत का भोग लगाएं और धूप-दीप जलाएं। पूजा में सफला एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और आखिर में आरती करें।
सफला एकादशी पर इन नियमों का करें पालन
- सफला एकादशी के दिन दंपती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- इस दिन व्रत रखना चाहिए। यदि आप व्रत न भी रखें तो इस दिन चावल और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- एकादशी के दिन क्रोध से बचें, किसी के साथ हिंसक व्यवहार न करें।
- एकादशी का दिन बाल-दाढ़ी बनवाने से भी बचना चाहिए।
- सफला एकादशी के दिन दान-दक्षिणा जरूर करें
सफला एकादशी पूजा महत्व
मान्यता है कि सफला एकादशी के व्रत और पूजन से भगवान श्री हरि विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सारे अधूरे व महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं। व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। मनोकामना पूर्ति और मनचाही इच्छा के लिए सफलता एकादशी के व्रत को महत्वपूर्ण माना गया है। साथ ही इस व्रत को करने से घर और जीवन में सुख-शांति भी बनी रहती है।
डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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