Saraswati Chalisa Hindi Lyrics: करियर और नौकरी में सफलता के लिए रोजाना करें सरस्वती चालीसा का पाठ, पढ़ें पूरी लिरिक्स
Saraswati Chalisa Lyrics in Hindi (सरस्वती चालीसा पाठ लिरिक्स हिंदी में): सरस्वती मां ज्ञान और बुद्धि की देवी मानी जाती हैं। इनकी सच्चे मन से आराधना करने से जीवन में अद्भुत और फलदाई लाभ मिलते हैं। बुद्धि तेज होती है, जिससे करियर और व्यवसाय में सफलता मिलती है। इतना ही नहीं, इसके प्रभाव से मन शांत और पॉजिटिव रहता है। घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। इसी के साथ यहां देखें सरस्वती चालीसा पाठ की हिंदी लिरिक्स।
Saraswati Chalisa Hindi Lyrics: जय श्री सकल बुद्धि बलरासी जय सर्वज्ञ अमर अविनासी के हिंदी लिरिक्स
Saraswati Chalisa Lyrics in Hindi (सरस्वती चालीसा पाठ लिरिक्स हिंदी में): मां सरस्वती को हंसवाहिनी, मां शारदा, सत्य लोक में निवास करने वाली, ज्ञान और विधा की देवी आदि कई नामों से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार मां सरस्वती की आराधना करने का विशेष महत्व है। खास कर उनकी पूजा में चालीसा का पाठ करने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं। इसके पुण्य प्रभाव से व्यक्ति ज्ञान और एकाग्रता की ओर बढ़ता है। बुद्धि का तीव्र विकास होता है, जिससे करियर में सफलता मिलती है। इस तरह सरस्वती चालीसा का पाठ अत्यधिक लाभ देने वाला माना जाता है। इसी के साथ यहां देखें सरस्वती चालीसा पाठ की हिंदी लिरिक्स।
मां सरस्वती चालीसा इन हिंदी, Maa Saraswati Chalisa Lyrics in Hindi:
॥ दोहा ॥
जनक जननि पद कमल रज,निज मस्तक पर धारि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
रामसागर के पाप को, मातु तुही अब हन्तु॥
॥ चौपाई ॥
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।
जय सर्वज्ञ अमर अविनासी॥
जय जय जय वीणाकर धारी।
करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुजधारी माता।
सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती।
जबहि धर्म की फीकी ज्योती॥
तबहि मातु ले निज अवतारा।
पाप हीन करती महि तारा॥
बाल्मीकि जी थे बहम ज्ञानी।
तव प्रसाद जानै संसारा॥
रामायण जो रचे बनाई।
आदि कवी की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता।
तेरी कृपा दृष्टि से माता॥
तुलसी सूर आदि विद्धाना।
भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्हहिं न और रहेउ अवलम्बा।
केवल कृपा आपकी अम्बा॥
करहु कृपा सोइ मातु भवानी।
दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करै अपराध बहूता।
तेहि न धरइ चित सुन्दर माता॥
राखु लाज जननी अब मेरी।
विनय करूं बहु भांति घनेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा।
कृपा करउ जय जय जगदंबा॥
मधु कैटभ जो अति बलवाना।
बाहुयुद्ध विष्णू ते ठाना॥
समर हजार पांच में घोरा।
फिर भी मुख उनसे नहिं मोरा॥
मातु सहाय भई तेहि काला।
बुद्धि विपरीत करी खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता।
छण महुं संहारेउ तेहि माता॥
रक्तबीज से समरथ पापी।
सुर-मुनि हृदय धरा सब कांपी॥
काटेउ सिर जिम कदली खम्बा।
बार बार बिनवउं जगदंबा॥
जग प्रसिद्ध जो शुंभ निशुंभा।
छिन में बधे ताहि तू अम्बा॥
भरत-मातु बुधि फेरेउ जाई।
रामचन्द्र बनवास कराई॥
एहि विधि रावन वध तुम कीन्हा।
सुर नर मुनि सब कहुं सुख दीन्हा॥
को समरथ तव यश गुन गाना।
निगम अनादि अनंत बखाना॥
विष्णु रूद्र अज सकहिं न मारी।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥
रक्त दन्तिका और शताक्षी।
नाम अपार है दानव भक्षी॥
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता।
कृपा करहु जब जब सुखदाता॥
नृप कोपित जो मारन चाहै।
कानन में घेरे मृग नाहै॥
सागर मध्य पोत के भंगे।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में।
हो दरिद्र अथवा संकट में॥
नाम जपे मंगल सब होई।
संशय इसमें करइ न कोई॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई।
सबै छांड़ि पूजें एहि माई॥
करै पाठ नित यह चालीसा।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईसा॥
धूपादिक नैवेद्य चढावै।
संकट रहित अवश्य हो जावै॥
भक्ति मातु की करै हमेशा।
निकट न आवै ताहि कलेशा॥
बंदी पाठ करें शत बारा।
बंदी पाश दूर हो सारा॥
करहु कृपा भवमुक्ति भवानी।
मो कहं दास सदा निज जानी॥
॥ दोहा ॥
माता सूरज कान्ति तव,अंधकार मम रूप।
डूबन ते रक्षा करहु,परूं न मैं भव-कूप॥
बल बुद्धि विद्या देहुं मोहि,सुनहु सरस्वति मातु।
अधम रामसागरहिं तुम,आश्रय देउ पुनातु॥
सरस्वती चालीसा पाठ के लाभ, Saraswati Chalisa Benefits:
सरस्वती चालीसा का पाठ करने से हर वर्ग के लोगों को अमृत के समान फल की प्राप्ति होती है। इससे कला के क्षेत्र में निखार आता है। छात्रों के ज्ञान और बुद्धि में तेजी से विकास होता है। साथ ही वातावरण में एक सकारात्मकता का संचार होता है। इसके अलावा मानसिक रूप से शांति का अहसास होता है।
सरस्वती चालीसा पाठ विधि, Saraswati Chalisa Path Vidhi:
सरस्वती चालीसा पाठ करने के लिए आपको सुबह सबसे जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद साफ सुथरे वस्त्र धारण करना है। इसके बाद मां सरस्वती की प्रतिमा की कुमकुम, घी का दीपक, धुप, फूल, इत्र, चंदन, गुलाल, अक्षत आदि से मां की पूजा कर लें। पूजा होने के बाद पूरी श्रद्धा के साथ के साथ सरस्वती चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से मां शारदा बेहद प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं।
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