Saraswati Puja 2023 Date, Puja Timings LIVE Updates: इन मंत्रों से मां सरस्वती की करें अराधना, जानें पूजा विधि
Saraswati Puja 2023 Date, Puja Timings LIVE Updates: इन मंत्रों से मां सरस्वती की करें अराधना, जानें पूजा विधि
Saraswati Puja (Basant Panchami) 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat Live Updates: ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा को समर्पित त्योहार बसंत पंचमी इस साल गुरुवार (26 जनवरी) यानी आज मनाया जाएगा। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक बसंत पंचमी माघ महीने के शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा होती है और इसलिए इस त्योहार को कई जगह सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। हम आपको बताएंगे बसंत पंचमी की पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती, शुभ मुहूर्त और सबकुछ।
Saraswati Puja 2023 Puja Vidhi, Muhurat: सरस्वती पूजा की स्टेप बाय स्टेप पूरी विधि मंत्र, आरती, कथा सहित यहां देखें
बसंत पंचमी 2023 शुभ मुहूर्त: पंचमी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से लेकर 26 जनवरी सुबह 10 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। बसंत पंचमी पर्व 26 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 12 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
बसंत पंचमी पूजा विधि: इस दिन घरों के साथ-साथ स्कूल और संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा की जाती है। कोशिश करें इस दिन पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र पहनें। साथ ही मां सरस्वती की प्रतीमा को भी पीले रंग के कपड़े पर स्थापित करें। उनकी पूजा में रोली, मौली, हल्दी, केसर, अक्षत, पीले या सफेद रंग का फूल, पीली मिठाई आदि चीजों का प्रयोग करें। मां की वंदना करें और पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र या अपनी किताबों को रखें।
Maa Saraswati Chalisa: बसंत पंचमी पर जरूर पढ़ें मां सरस्वती की चालीसा, हर काम में मिलेगी सफलता
बसंत पंचमी पर करें ये उपाय (Basant Panchami Upay)
-बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के कपड़े धारण करें।-इस दिन माता सरस्वती को बेसन के लड्डू, सोन पापड़ी, खीर आदि प्रसाद चढ़ाएं। ये सभी मिठाइयां पीले रंग की होनी चाहिए क्योंकि देवी सरस्वती को पीला रंग बेहद पसंद है।
-सरस्वती माता को इस दिन पीले रंग के फूल जरूर अर्पित करें।
-पढ़ने वाले बच्चे इस दिन कॉपी, पुस्तक आदि की पूजा करें।
-अगर आप संगीतकार, नृतक या किसी अन्य कला से जुड़े हैं तो इस दिन अपने उपकरणों की पूजा जरूर करें।
-इस दिन जरूरतमंद बच्चों को कॉपी, पुस्तकें आदि वस्तुएं जरूर दान करें।
बसंत पंचमी पर गुलाल लगाने की है परंपरा
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती के साथ ही भगवान राधे-कृष्ण की पूजा भी की जाती है। दरअसल राधे-कृष्ण प्रेम का प्रतीक हैं। ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन पहली बार राधा-कृष्ण ने एक दूसरे को गुलाल लगाया था इसलिए बसंत पंचमी पर गुलाल लगाने की परंपरा तभी से चली आ रही है।<b>क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी (Basant Panchami Significance)</b>
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा जी ने समस्त संसार की रचना की थी। लेकिन फिर भी उन्हें अपनी रचना में कमी महसूस हुई। इसलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे ही उन्होंने वीणा बजायी ब्रह्मा जी के बनाई हर चीज में मानो सुर आ गया। इसके बाद ब्रह्मा जी ने उन्हें देवी सरस्वती का नाम दिया। मान्यताओं अनुसार जिस दिन मां सरस्वती की उत्पत्ति हुई वो दिन बसंत पंचमी का था। यही कारण है कि हर साल बसंत पंचमी के दिन को देवी सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है और उनकी इस दिन विशेष पूजा की जाती है।ज्ञान बढ़ाने के लिए सरस्वती मंत्र
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने ।विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते ॥
सरस्वती ध्यान मंत्र
ॐ सरस्वती मया दृष्ट्वा, वीणा पुस्तक धारणीम् ।हंस वाहिनी समायुक्ता मां विद्या दान करोतु में ॐ ।।
बसंत पंचमी की कथा
एक बार देवी सरस्वती ने भगवान श्रीकृष्ण को देखा और वे उन पर मोहित हो गई थी। वह उन्हें पति के रूप में पाना चाहती थी, लेकिन भगवान कृष्ण ने उन्हें बताया कि वे केवल राधारानी के प्रति समर्पित हैं। लेकिन मां सरस्वती को मनाने के लिए भगवान कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि आज से माघ के शुक्ल पक्ष की पंचमी को समस्त विश्व तुम्हारी विद्या व ज्ञान की देवी के रुप में पूजा करेगा। कहते हैं उसी समय भगवान श्री कृष्ण ने सबसे पहले देवी सरस्वती की पूजा की तब से ही बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा लोग करते आ रहे हैं।मां सरस्वती की आरती (Maa Saraswati Aarti)
ओम जय वीणे वाली,मैया जय वीणे वाली
ऋद्धि-सिद्धि की रहती,
हाथ तेरे ताली
ऋषि मुनियों की बुद्धि को,
शुद्ध तू ही करती
स्वर्ण की भाँति शुद्ध,
तू ही माँ करती॥ 1 ॥
ज्ञान पिता को देती,
गगन शब्द से तू
विश्व को उत्पन्न करती,
आदि शक्ति से तू॥ 2 ॥
हंस-वाहिनी दीज,
भिक्षा दर्शन की
मेरे मन में केवल,
इच्छा तेरे दर्शन की॥ 3 ॥
ज्योति जगा कर नित्य,
यह आरती जो गावे
भवसागर के दुख में,
गोता न कभी खावे॥ 4 ॥
मां सरस्वती चालीसा (Maa Saraswati Chalisa)
॥ दोहा ॥जनक जननि पद्मरज,
निज मस्तक पर धरि ।
बन्दौं मातु सरस्वती,
बुद्धि बल दे दातारि ॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव,
महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को,
मातु तु ही अब हन्तु ॥
॥ चालीसा ॥
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी ।
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी ॥
जय जय जय वीणाकर धारी ।
करती सदा सुहंस सवारी ॥
रूप चतुर्भुज धारी माता ।
सकल विश्व अन्दर विख्याता ॥4
जग में पाप बुद्धि जब होती ।
तब ही धर्म की फीकी ज्योति ॥
तब ही मातु का निज अवतारी ।
पाप हीन करती महतारी ॥
वाल्मीकिजी थे हत्यारा ।
तव प्रसाद जानै संसारा ॥
रामचरित जो रचे बनाई ।
आदि कवि की पदवी पाई ॥8
कालिदास जो भये विख्याता ।
तेरी कृपा दृष्टि से माता ॥
तुलसी सूर आदि विद्वाना ।
भये और जो ज्ञानी नाना ॥
तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा ।
केव कृपा आपकी अम्बा ॥
करहु कृपा सोइ मातु भवानी ।
दुखित दीन निज दासहि जानी ॥12
पुत्र करहिं अपराध बहूता ।
तेहि न धरई चित माता ॥
राखु लाज जननि अब मेरी ।
विनय करउं भांति बहु तेरी ॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा ।
कृपा करउ जय जय जगदंबा ॥
मधुकैटभ जो अति बलवाना ।
बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना ॥16
समर हजार पाँच में घोरा ।
फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा ॥
मातु सहाय कीन्ह तेहि काला ।
बुद्धि विपरीत भई खलहाला ॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी ।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी ॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता ।
क्षण महु संहारे उन माता ॥20
रक्त बीज से समरथ पापी ।
सुरमुनि हदय धरा सब काँपी ॥
काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा ।
बारबार बिन वउं जगदंबा ॥
जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा ।
क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा ॥
भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई ।
रामचन्द्र बनवास कराई ॥24
एहिविधि रावण वध तू कीन्हा ।
सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा ॥
को समरथ तव यश गुन गाना ।
निगम अनादि अनंत बखाना ॥
विष्णु रुद्र जस कहिन मारी ।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी ॥
रक्त दन्तिका और शताक्षी ।
नाम अपार है दानव भक्षी ॥28
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा ।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा ॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता ।
कृपा करहु जब जब सुखदाता ॥
नृप कोपित को मारन चाहे ।
कानन में घेरे मृग नाहे ॥
सागर मध्य पोत के भंजे ।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे ॥32
भूत प्रेत बाधा या दुःख में ।
हो दरिद्र अथवा संकट में ॥
नाम जपे मंगल सब होई ।
संशय इसमें करई न कोई ॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई ।
सबै छांड़ि पूजें एहि भाई ॥
करै पाठ नित यह चालीसा ।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा ॥36
धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै ।
संकट रहित अवश्य हो जावै ॥
भक्ति मातु की करैं हमेशा ।
निकट न आवै ताहि कलेशा ॥
बंदी पाठ करें सत बारा ।
बंदी पाश दूर हो सारा ॥
रामसागर बाँधि हेतु भवानी ।
कीजै कृपा दास निज जानी ॥40
॥दोहा॥
मातु सूर्य कान्ति तव,
अन्धकार मम रूप ।
डूबन से रक्षा करहु,
परूँ न मैं भव कूप ॥
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि,
सुनहु सरस्वती मातु ।
राम सागर अधम को,
आश्रय तू ही देदातु ॥
बसंत पंचमी 2023 तिथि और मुहूर्त
बसंत पंचमी तिथि: 26 जनवरी 2023 (गुरुवार)पंचमी तिथि आरंभ: 26 जनवरी 2023, गुरुवार, सुबह 07 बजकर 12 मिनट से
पंचमी तिथि समाप्त: 26 जनवरी 2023, गुरुवार, 12 बजकर 33 मिनट तक।
अवधि: 5 घंटे 21 मिनट
मां सरस्वती की आरती (Maa Saraswati Aarti)
ओम जय वीणे वाली,मैया जय वीणे वाली
ऋद्धि-सिद्धि की रहती,
हाथ तेरे ताली
ऋषि मुनियों की बुद्धि को,
शुद्ध तू ही करती
स्वर्ण की भाँति शुद्ध,
तू ही माँ करती॥ 1 ॥
ज्ञान पिता को देती,
गगन शब्द से तू
विश्व को उत्पन्न करती,
आदि शक्ति से तू॥ 2 ॥
हंस-वाहिनी दीज,
भिक्षा दर्शन की
मेरे मन में केवल,
इच्छा तेरे दर्शन की॥ 3 ॥
ज्योति जगा कर नित्य,
यह आरती जो गावे
भवसागर के दुख में,
गोता न कभी खावे॥ 4 ॥
बसंत पंचमी पर नीले व काले रंग के वस्त्र न करें धारण
बसंत पंचमी के दिन नीले व काले रंग के कपड़ो को पहनने से परहेज करना चाहिए। कोशिश करें कि इस दिन सफेद और पीले रंग के वस्त्र धारण करें ।बसंत पंचमी कथा (Basant Panchami Katha)
सरस्वती पूजा की कहानी ब्रह्मा वैवराता पुराण और मत्स्य पुराण से संबंधित हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी धरती पर विचरण करने निकले जहां उनका ध्यान मनुष्यों और जीव-जंतुओं पर गया जो उन्हें नीरस और शांत दिखाई दिए। ये देखकर ब्रह्मा जी को अपनी रचना में कुछ कमी महसूस हुई और उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर पृथ्वी पर छिड़क दिया। जिससे 4 भुजाओं वाली एक एक स्त्री प्रकट हुई जिसके एक हाथ में वीणा, एक में माला, एक में पुस्तक और एक हाथ में वर मुद्रा थी। चतुरानन ने उन्हें ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती के नाम से पुकारा। ब्रह्मा जी के कहने पर सरस्वती जी ने वीणा के तार झंकृत किए, जिससे सभी प्राणी बोलने लगे, नदियां बहने लगीं, हवा ने भी संगीत पैदा किया। कहा जाता है तभी से बुद्धि व संगीत की देवी के रुप में मां सरस्वती की पूजा की जाने लगी।मां सरस्वती की आरती (Maa Saraswati Ki Aarti)
जय सरस्वती माता,मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता...॥
माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
मां सरस्वती के मंत्र (Maa Saraswati Mantra)
-ओम ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।-ओम ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।
-सरस्वती ॐ सरस्वत्यै नमः
मां सरस्वती की वंदना (Maa Saraswati Ki Vandana)
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्॥2॥
सरस्वती माता को प्रिय है पीला रंग
माता सरस्वती को पीला और सफेद रंग बेहद प्रिय होता है। इसलिए उन्हें हमेशा सफेद या पीले रंग की साड़ी में ही दर्शाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सफेद रंग पवित्रता और पीला रंग सकारात्मकता को दर्शाता है। इसलिए ये दोनों ही रंग बेहद शुभ माने गए हैं।बन रहा सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग
विद्या, बुद्धि और वाणी की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती के प्राकट्य उत्सव को बसंत पंचमी कहा जाता है। आज यानी 26 जनवरी को बसंत पंचमी के अवसर पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग बन रहा है।Saraswati Puja 2023 LIVE: सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त
बसंत पंचमी का त्योहार माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 26 जनवरी को पड़ रहा है। इस दिन सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 12 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।Saraswati Puja 2023
Saraswati Puja 2023 LIVE: सुंदरता का प्रतीक मानी जाती है देवी सरस्वती
देवी सरस्वती को सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। इनका एक वाहन मोर भी है जो सुंदरता और नृत्य को दर्शाता है। साथ ही मोर हमें सिखाता है कि हमें अपनी बाहरी सुंदरता पर ज्यादा ध्यान न देकर सत्य को मानना चाहिए।Saraswati Puja 2023
Saraswati Puja 2023 LIVE: बसंत पंचमी पर करें भगवान शिव जी की पूजा
बसंत पंचमी के दिन भगवान शंकर का तिलकोत्सव हुआ था और ऐसे में आप इस दिन मां सरस्वती की पूजा आराधना के साथ भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा करना बेहद फलदायी माना गया है।Saraswati Puja 2023 LIVE: बसंत पंचमी के दिन करें सात्विक व्यवहार
बसंत पंचमी के दिन सात्विक व्यवहार करना चाहिए और पूरे विधि विधान से उनसे ज्ञान की कामना करनी चाहिए। बसंत पंचमी के दिन हो सकें, तो पित्र तर्पण भी करें। सरस्वती पूजा के दिन कलम, कांपी, स्टेशनरी से जुड़े सामान का निरादर ना करें।Saraswati Puja LIVE: मां सरस्वती को बेहद पसंद है पीला वस्त्र
पीला वस्त्र मां सरस्वती को बेहद पसंद है। अगर आपके पास पीला वस्त्र ना हो, तो रंग-बिरंगे कपड़े भी पहन सकते हैं। बसंत पंचमी के दिन बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए। सरस्वती पूजा के दिन पेड़-पौधे की कटाई कभी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से मां सरस्वती नाराज हो सकती है।Saraswati Puja LIVE: पितरों का तर्पण करना माना जाता है बेहद शुभ
बसंत पंचमी के दिन पितरों का तर्पण करना बेहद शुभ माना जाता है। सरस्वती पूजा के दिन व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। सरस्वती पूजा के दिन यदि आपके पास पीला वस्त्र हो, तो उसे ही धारण करें।Saraswati Puja LIVE: वीणा से बनाएं रंगोली
मां सरस्वती को वीणा बहुत ही पसंद है। मां सरस्वती की सभी फोटो में आपने उन्हें वीणा धारण करते हुए देखा होगा। ऐसे में आप इस खास मौके पर रंगोली के रूप में वीणा बना सकते हैं। वीणा बनाने से आपके घर की खूबसूरती बढ़ेगी। साथ ही हर कोई आपके घर के आंगन में बने वीणा की तारीफ करेगा।Saraswati Puja LIVE: कमल के फूल की बनाएं रंगोली
मां सरस्वती कमल के फूलों पर विराजती हैं। ऐसे में आप बसंत पंचमी के मौके पर रंगोली के रूप में कमल बना सकते हैं। कमल के फूल को काफी शुभ माना जाता है। इसके साथ ही इसका लुक भी काफी अच्छा होता है। इसके अलावा आप अपनी रंगोली में हंस भी बना सकते हैं। इससे घर का लुक काफी अच्छा नजर आएगा।Saraswati Puja 2023 LIVE: किताब के डिजाइन की बनाएं रंगोली
मां सरस्वदी को विद्या दायनी माना जाता है। ऐसे में आप अपनी रंगोली में किताबों को दिखा सकती हैं। किताबों के डिजाइन की बनी रंगोली आपके घर का लुक काफी अच्छा करती हैं। इसके लिए आप कई तरह के अलग-अलग डिजाइन को अंकित कर सकते हैं।Saraswati Puja 2023: मां सरस्वती के मंत्र
ओम ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।ओम ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।सरस्वती ॐ सरस्वत्यै नमःSaraswati Puja 2023: भूलकर भी खराब बातें मुंह से नहीं निकालें
क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी
Saraswati Puja 2023
बसंत पंचमी पर गुलाल लगाने की है परंपरा
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती के साथ ही भगवान राधे-कृष्ण की पूजा भी की जाती है। दरअसल राधे-कृष्ण प्रेम का प्रतीक हैं। ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन पहली बार राधा-कृष्ण ने एक दूसरे को गुलाल लगाया था इसलिए बसंत पंचमी पर गुलाल लगाने की परंपरा तभी से चली आ रही है।बसंत पंचमी का दिन माना जाता है बेहद शुभ
हिंदू धर्म में माता सरस्वती को विद्या और ज्ञान की देवी माना जाता है। कहते हैं इनकी पूजा से व्यक्ति को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। जिससे वो जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता है। बसंत पंचमी का दिन बेहद ही शुभ माना जाता है। इस दिन किसी भी तरह के शुभ कार्य बिना किसी मुहूर्त को देखे किए जा सकते हैं।मां सरस्वती की वंदना (Maa Saraswati Vandana)
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्॥2॥
बसंत पंचमी पर ऐसे मां सरस्वती को करें प्रसन्न
इस दिन साहित्य, शिक्षा, कला इत्यादि के क्षेत्र से जुड़े लोग विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-आराधना करते हैं। देवी सरस्वती की पूजा के साथ यदि सरस्वती स्त्रोत भी पढ़ा जाए तो अद्भुत परिणाम प्राप्त होते हैं और देवी प्रसन्न होती हैं।बसंत पंचमी पर ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा
अब सरस्वती वंदना व मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें। साथ ही, सरस्वती मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।बसंत पंचमी के दिन सुबह उठने ही जरूर करें ये काम
बसंत पंचमी के दिन सुबह उठते ही अपनी हथेलियों को जरूर देखें। माना जाता है कि मां सरस्वती हमारी हथेलियों में वास करती हैं।बसंत पंचमी पर मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए करें ये काम
ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा आराधना करने से अविवाहितों को मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती हैं।बसंत पंचमी पर शादी का शुभ मुहूर्त
शादी के लिए शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहा हों तो ऐसे में बसंत पंचमी के दिन विवाह कर लेना शुभ माना जाता है।19 January 2025 Panchang (19 जनवरी 2025 आज का पंचांग): कल इतने बजे रहेगा राहुकाल, पंचांग के जानें दिशा शूल, शुभ मुहूर्त, तिथि और रविवार के उपाय
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