Saturday Mantra: शनिवार को जपें इन 5 में से कोई एक मंत्र, दूर होगी शनि की साढ़ साती, चमकेगा भाग्य

Saturday Mantra in Hindi (शनिवार के मंत्र): हिंदू धर्म में शनिवार का भी शनिदेव को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन शनि मंत्र का जाप करने से साढ़े साती की समस्या दूर हो जाती है। यहां पढ़ें शनिवार के स्पेशल मंत्र।

Saturday Mantra: शनिवार को जपें इन 5 में से कोई एक मंत्र, दूर होगी शनि की साढ़ साती, चमकेगा भाग्य
मुख्य बातें
  • शनिवार के दिन शनि देव की विधि-विधान से की जाती है पूजा अर्चना
  • शनि मंत्रों का जाप करने से दूर होता है शनि दोष
  • यहां पढ़ें शनिवार का स्पेशल शनि मंत्र

Saturday Mantra in Hindi (शनिवार के मंत्र): शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित किया गया है। हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय और कर्म का फल देने वाला देवता कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि उनकी कृपा यदि जिस व्यक्ति पर बनी रहती हैं वह बड़ी आसानी से रंक से राजा बन जाता है तो वहीं क्रोधित हो जाने पर उसकी दुनिया खत्म हो सकती है। उनके ऐसे स्वभाव होने के कारण लोग शनि देव की पूजा जरूर करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव की पत्नी ने उन्हें श्राप दिया था, कि उनकी दृष्टि जिस व्यक्ति पर पड़ेगी उसका अशुभ दिन शुरू हो जाता है यानि उनके बुरे दिन शुरू हो जाते है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव का जाप करने से साढ़ेसाती और ढैय्या का दुष्प्रभाव प्रभाव आसानी से दूर होकर हो जाता हैं। बता दें जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति खराब होती है, उनका कोई भी कार्य सही ढंग से पूर्ण नहीं हो पाता है। ऐसे में यदि आप शनिवार को सुबह या शाम के समय यहां बताए गए शनि मंत्रों का जाप करें, तो आपको शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है, आपका भाग्य फिर से चमक सकता है।

Saturday ke shani Mantra in Hindi

1. शनि देव का महामंत्र

ओम निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

2. शनि गायत्री मंत्र

ओम भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

3. शनि देव का बीज मंत्र

ओम प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

4. शनि आरोग्य मंत्र

ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।

कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।

शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।

दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।

5. शनि दोष निवारण मंत्र

ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।

उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।

ओम शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंयोरभिश्रवन्तु नः।

डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल author

अक्टूबर 2017 में डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में कदम रखने वाला टाइम्स नाउ नवभारत अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। अपने न्यूज चैनल टाइम्स नाउ नवभारत की सोच ए...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited