Satyanarayan Vrat Katha In Hindi: पूर्णिमा के दिन जरूर सुनें भगवान सत्यनारायण की कथा, हर मनोकामना होगी पूर्ण

Satyanarayan Vrat Katha In Hindi: हिन्दू शास्त्रों अनुसार भगवान सत्यनारायण, भगवान विष्णु के ही रूप माने जाते हैं। कहते हैं जो कोई भी भगवान सत्यनारायण का विधि-पूर्वक व्रत रखकर पूरी श्रद्धा से उनकी कथा सुनता है उनके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां देखें भगवान सत्यनारायण की कथा।

Satyanarayan Vrat Katha In Hindi

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Bhagwan Satyanarayan Ki Katha (सत्यनारायण व्रत कथा): पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा का विधान बताया गया है। जो लोग हर महीने की पूर्णिमा को व्रत-पूजन करते हैं उनके लिए उस दिन श्री सत्यनारायण की कथा सुनना जरूरी होता है। सत्यनारायण व्रत कथा पढ़ने या सुनने के लिए शाम का समय ज्यादा शुभ माना जाता है। इसके अलावा शुभ काम के मौके पर भी सत्यनारायण की कथा सुनना शुभ फलदायी होता है। बहुत से लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर भी सत्यनारायण की कथा का आयोजन करते हैं। यहां देखें भगवान सत्यनारायण की कथा।

सत्यनारायण व्रत कथा के फायदे (Satyanarayan Katha Benefits)

जीवन में सुख, शांति और संपन्नता के लिए भी भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा की जाती है। सत्यनारायण पूजा और कथा कलयुग में सबसे प्रभावशाली पूजा मानी जाती है। इस कथा को करने के लिए पूर्णिमा का दिन ही सबसे शुभ होता है। कहते हैं जो कोई भी इस कथा का सच्चे मन से पाठ करता है उसके जीवन के बड़े से बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं।

सत्यनारायण कथा लिरिक्स (Satyanarayan Vrat Katha Sunayen)

सत्यनारायण पूजा का महत्व (Satyanarayan Katha Mahatva)

ग्रह शांति और जीवन में सुख समृद्धि के लिए सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। जिन व्यक्तियों के विवाह में विलंब हो रहा हो या वैवाहिक संबंध में उतार चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है तब भी इस कथा का पाठ कराना उत्तम होता है। इसके अलावा संतान के जन्म के मौके पर भी सत्यनारायण की पूजा बेहद ही शुभ होती है। शादी से पहले या शादी के बाद भी सत्यनारायण की पूजा करना शुभ माना गया है। इतना ही नहीं इस कथा को कराने से स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।

सत्यनारायण पूजन विधि (Satyanarayan Puja Vidhi)

सत्यनारायण की पूजा में श्री हरि के सत्यनारायण स्वरूप की पूजा की जाती है। इस पूजा के लिए अपने घर के ब्रह्मा स्थान पर केले के पेड़ के पत्तों से मंडप बनाएं। इसके बाद वहां भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित कीजिए। साथ ही कलश और दीपक स्थापित करें। सबसे पहले गौरी गणेश और नव ग्रहों की पूजा करें। फिर सत्यनारायण भगवान की पूजा शुरू करें। इसके बाद सत्यनारायण व्रत की कथा कहें या सुने। अंत में भगवान सत्यनारायण की आरती करके प्रसाद सभी में बांट दें।
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