Sawan 2023 Somwar Vrat Puja Vidhi: भांग-धतूरा तो बेलपत्र आखिर भोले शंकर को क्यों चढ़ाई जाती है विषैली चीज़े?

Sawan somwar vrat puja vidhi samagri (सावन सोमवार व्रत पूजा सामग्री): शिव सिद्ध सावन का महीना कल से शुरू होने वाला है। सावन के महीने में भगवान शिव का पूजन अर्चन करने से जातकों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है। इसलिए प्रभु का विधिवत पूजन करना जरूरी है, सावन पूजा में शंकर जी को कई सारी विषैली चीज़े भी अर्पित करते हैं, जाने क्यों

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Sawan 2023 somwar vrat puja vidhi samagri (सावन सोमवार व्रत पूजा सामग्री): कल यानी की 4 जुलाई की तारीख से शिव सिद्ध सावन (Sawan) का भक्तिमय महीना शुरू होने वाला है। इस साल सावन मास 4 जुलाई से आरंभ होकर 31 अगस्त की तारीख को समाप्त होगा। सावन मास में भगवान शिव का विधिपूर्वक पूजन करने का गहरा महत्व है। क्योंकि मान्यता है कि, जो कोई भी जातक सावन मास में भोलेनाथ की पूजा करता है भले ही वो देवता हो या असुर भगवान सदेव के लिए उसके सिर पर अपना हाथ रख देते हैं।
सावन में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उनकी पसंद की चीज़े जैसे भांग, बेलपत्र, धतुरा अर्पित की जाती है। हालांकि सवाल ये है कि, भगवान शिव को इन विषैली चीज़ों से इतना प्यार क्यों है? यहां जाने आखिर क्यों शिव जी को सावन सोमवार पर विषैली चीज़े चढ़ाकर प्रसन्न कर उनका पूजन अर्चन किया जाता है। और इसी के साथ साथ सावन व्रत की पूजा में कौन कौन सी चीज़े शामिल की जाती हैं।

क्यों चढ़ाते हैं शिव जी को विषैली चीज़े?

सावन समेत शिव जी को समर्पित सारी पूजाओं में खासतौर से विषैली चीज़े ही चढ़ाई जाती हैं। शिव महापुराण के अनुसार शिव जी को ये चीज़े चढ़ाने के पीछे का संबंध समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि, जब देवता और असुर अमृत प्राप्त करने के लिए लड़ रहे थे, उस वक्त मंथन में से बहुत से रत्नों की भी प्राप्ती हुई थी उसमें से ही हलाहल विष भी निकला था। जो इतना ज्यादा विषैला था कि, उसकी अग्नि ने थोड़ी ही देर में सृष्टि में हाहाकार मचा दिया था। और हलाहल के प्रभाव से दुनिया को बचाने के लिए महादेव ने विष पी लिया था, लेकिन उसे गले से नीचे नहीं उतारा था। जिस वजह से उनका गला नीला पड़ गया था, और धीरे-धीरे विष भोलेनाथ के मस्तिष्क तक भी पहुंच गया था। जिसके परिणाम स्वरूप वे अचेत अवस्था को प्राप्त हो गए थे।

देवताओं ने शुरू की परंपरा

भगवान शिव जब विषपान कर अचेत अवस्था को प्राप्त हो गए थे, तो उनकी ये हालत देख देवगण बहुत परेशान हो गए और उपाय खोजने लगे थे। सभी देवताओं ने शिव का उपचार करने के लिए प्रयास किए कुछ नहीं हुआ, बहुत प्रयत्न के बाद मां आदि शक्ति द्वारा शिव का इलाज हुआ था।

मां भगवती ने किया उपचार

भागवत पुराण में इस बात का जिक्र है कि, महादेव को ठीक करने हेतु आदि शक्ति को प्रकट होना पड़ा था। मान्यता है कि, मां भगवती ने शिव जी का उपचार कई तरह जड़ी-बूटियों समेत दूध, जल के साथ किया। और उन्हीं के कहने पर सारे देवताओं ने नीलकंठ के सिर पर भांग, आक, धतूरा, बेलपत्र रख निरंतर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक किया। जिस कारण शिव जी के सिर की अग्नि ताप कम हुई थी। इसलिए शिव जी को सावन मास में पूजन करते वक्त खास तौर से ये विषैली चीज़े चढ़ाई जाती है।
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