Shiv Parvati Story: भगवान शिव ने दिया था मां पार्वती को मछुआरिन बनने का श्राप, जानिए इसके पीछे की कथा

Shiv Parvati Story: भगवान शिव और माता पार्वती की अनेक ऐसी कथाएं हैं। जो व्यक्ति को जीवन के हर कदम पर कुछ ना कुछ सिखाती हैं। आज हम उन्हीं कहानियों में से एक कथा यहां लेकर आएं हैं। ये कथा है भगवान ने क्यों दिया था माता पार्वती को मछुआरिन बनने का श्राप। यहां पढ़े कथा।

Shiv Parvati Story

Shiv Parvati Story: सनातन धर्म में शिव और पार्वती को बहुत पूजनीय माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि शिव और पार्वती की पूजा करने से साधक को सारे काम बनने जाते हैं। शिव और पार्वती से जुड़ी बहुत सी कथाएं हिंदू धर्म में प्रचलित हैं। शिव जी और पार्वती जी का जीवन दर्शन मनुष्य को हर कदम पर कुछ ना कुछ सीख देता है। फिर चाहे वो दापंत्य जीवन के बारे में हो या आध्यात्म और वैराग के बारे में। शिव ने दोनों ही चीजों को अपने जीवन के माध्यम से अपने भक्तों तक पहुंचाया है। शिव जी और पार्वती के जीवन में बहुत सी ऐसी घटना है जो आमजन को बहुत कुछ समझाती है। आज हम उन्हीं की एक कहानी के बारे में बात करने जा रहे हैं। जिसमें शिव जी ने क्रोध में आकर माता पार्वती को मछुआरिन बनने का श्राप दे दिया। आइए जानते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी।

शिव ने क्यों दिया मां पार्वती को मछुआरिन बनने का श्रापमाता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए 108 जन्मों की घोर तपस्या की थी। इतनी कठिन तपस्या के बाद शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। एक समय की बात है जब भगवान भोलेनाथ माता पार्वती को ब्रह्म ज्ञान देने के लिए संसार की कथा सुना रहे थे। माता पार्वती भी सृष्टि की कथा बहुत ही ध्यानपूर्वक सुन रही थी। कथा सुनते- सुनते माता पार्वती किसी और ख्याल में खो गईं। माता पार्वती किसी दूसरी कल्पना में गुम हो गईं। पार्वती को दूसरी दुनिया में खोता देखे महादेव में बीच में कथा रोकते हुए पार्वती से पूछा देवी आप मेरी कथा सुन तो रही हैं ना । आपका ध्यान किधर है, इस पर पार्वती ने कोई जवाब नहीं दिया। वो तो दूसरे ही ख्याल में खोईं हुईं थीं।

जब माता पार्वती अपनी कल्पना की दुनिया से वापस आईं। तब तक शिव पूरी तरह से क्रोधित हो गए थे। भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि आपने इस ब्रह्म ज्ञान की अवहेलना की है। जब आप किसी से कोई ज्ञान की बात सुन रही हो तो आप को अपना ध्यान उसी पर रखना चाहिए। फिर शिव जी ने माता पार्वती को क्रोधित होकर ये श्राप दे दिया की आपका जन्म किसी मछुआरे परिवार में होगा।

कुछ समय बाद माता पार्वती दुखी होकर किसी मछुआरे गांव में चली गईं। इस गांव का जो मुखिया था। उनकी कोई संतान नहीं थी। एक दिन वो मछुआरा मछली पकड़ने जा रहा था तो उसको पेड़ के नीचे बैठी हुई एक कन्या मिली। वो कन्या कोई और नहीं माता पार्वती थीं। मछुआरे ने कन्या के माता पितो को खोजा पर कोई मिला नहीं। फिर उस मछुआरे ने उस कन्या को खुद ही पाल लिया। ऐसे में मां पार्वती को एक जन्म मछुआरिन बन के काटना पड़ा।

End Of Feed