Sawan 2024: आखिरी क्यों इस तरह की वेशभूषा रखते हैं भगवान शिव, जानिए इसके पीछें का कारण

Sawan 2024: सावन का महीना जल्द ही शुरू होने वाला है। इस महीने में शिव जी की पूजा की जाती है। भगवान शिव का व्यक्तित्व जितना रहस्यमयी है, उनकी वेशभूषा भी उतनी विचित्र है। आइए जानते हैं भगवान शिव की वेशभूषा के बारे में।

Sawan 2024

Sawan 2024: इस साल सावन महीने की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से हो रही है। इस महीने में भगवान शिव की विधिवत पूजा की जाती है। भगवान शिव को श्मशान का निवासी माना जाता है। वो महलों को छोड़ कैलाश पर्वत में रहते हैं। भगवान शिव की वेशभूषा बहुत ही निराली है। वो गले में सर्पों की माला धारण करते हैं और बदन पर मृगछाल पहनते हैं। भूत, प्रेत, गण उनके साथी नंदी की वो सवारी करते हैं। तीन नेत्रधारी हैं, जटाओं में गंगा विराजमान है। शिव का व्यक्तित्व और वेशभूषा दोनों ही बड़े अनोखे हैं। उनके जीवन जीने का तरीका एक सरल और साधारण है। आइए जानते हैं भगवान शिव आखिरी क्यों धारण करते हैं ऐसी वेशभूषा।

शिव के वेशभूषा का रहस्य

त्रिशूल क्यों करते हैं धारण

भगवान भोलेनाथ अपने हाथों में त्रिशूल धारण करते हैं। त्रिशूल तीन प्रकार के कष्टों जैसे दैनिक, दैविक और भौतिक चीजों के विनाश का सूचक माना जाता है। इसके अदंर सत, तम और रज तीन गुण निहित हैं। इसको शिव इसलिए धारण करते हैं क्योंकि वो संसार को संदेशा देना चाहते हैं, कि मनुष्य को अपने इन तीनों गुणों पर काबू रखना चाहिए। किसी को भी अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए।

त्रिनेत्र

धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव जी मात्र एक ऐसे देवता हैं, जिनके पास तीन नेत्र हैं। इस कारण भगवान शिव को त्रिनेत्रधारी कहा जाता है। भगवान शिव का तीसरा नेत्र के प्रतीक के रूप में स्थापित हैं। दो आंखे संसार में सही रास्ते को दिखाने के लिए होते हैं पर कभी- कभी हम नजर सामने होते हुए भी मुसीबतों को देख नहीं पाते हैं। इस कारण तीसरा नेत्र विवेक और धैर्य को दर्शाता है। तीसरा नेत्र मुसीबत में सही निर्णय लेने का काम करता है। ये हमारी बुद्धि का सूचक होता है।

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