Sawan Ganesh Chaturthi Vrat Katha: सावन महीने की गणेश चतुर्थी व्रत के दिन करें इस कथा का पाठ, बप्पा का मिलेगा आशीर्वाद

Sawan Ganesh Chaturthi Vrat Katha: सावन महीने की गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत इस साल 24 जुलाई 2024 यानि आज के दिन रखा जा रहा है। इस दिन कथा का पाठ करना बहुत ही शुभ होता है। यहां पढ़ें सावन गणेश चतुर्थी व्रत की कथा।

Sawan Ganesh Chaturthi 2024

Sawan Ganesh Chaturthi Vrat Katha: हर महीने की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की पूजा को समर्पित है। सावन महीने की गजानन संकष्टी चतुर्थी तिथि की शुरुआत आज यानि 24 जुलाई को सुबह 7 बजकर 30 मिनट से हुई है। वहीं इस तिथि का समापन 25 जुलाई को सुबह 04:39 मिनट पर होगा। ऐसे में गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत आज यानि 24 जुलाई 2024 को रखा जाएगा। इस दिन विघ्नहर्ता गणेश की पूजा की जाती है। इसके साथ ही शाम के समय में चंद्रदेव की पूजा का विधान है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से बप्पा की पूजा पूरे विधि- विधान से करने से साधक को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन गणेश चतुर्थी व्रत की कथा का पाठ करना लाभकारी होता है। यहां पढ़ें संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा।

Sawan Ganesh Chaturthi Vrat Katha (Sankashti Chaturthi Ki Katha)पौराणिक कथा के अनुसार सबसे पहले सावन महीने की संकष्टी चतुर्थी का व्रत महाभारत काल में धर्मराज युधिष्ठिर ने किया था। जब युधिष्ठिर अपने चारों भाईयों के साथ वन में थे। तब उन्होंने कृष्ण ने अपने कष्टों के बारे में पूछा। युधिष्ठिर के बार कृष्ण से पूछते हैं कि हे भगवन ऐसा कौन सा उपाय है जिसके द्वारा हम अपने कष्टों से छुटकारा पा सकते हैं। तब भगवान कृष्ण ने कहा हे राजन। सारी इच्छाओं को पूरा करने वाला और विघ्नों का नाश करने वाला एक महान गुप्त व्रत है। इस व्रत के बारे में अभी तक मैंने किसी को कुछ नहीं बताया है। प्राचीन समय की बात है जब पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, लेकिन पार्वती की तपस्या से जब शिव प्रसन्न नहीं हुए तब माता पार्वती ने गणेश जी का स्मरण किया। भगवान गणेश उसी समय प्रकट हो गए। पार्वती ने गणेश जी से पूछा कि मैंने इतना कठोर तप किया फिर भी शिव मुझसे प्रसन्न नहीं हुए।

पार्वती जी की बात सुनकर गणेश जी उस कष्टनाशक, शुभदायक व्रत के बारे में बताने लगे। उन्होंने कहा कि ये व्रत बहुत पुण्यकारी और समस्त कष्टों का नाश करने वाला है। इस व्रत को करने से आपकी सारी मनोकामना पूरी हो जाएगी और आपको सफलता मिलेगी। ये व्रत सावन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी की रात में चंद्र देव का पूजन करके किया जाता है। इस व्रत के दिन चंद्रोदय तक भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए। इस दिन पहले गणेश जी की पूजा और चंद्र देव की पूजा की जाती है।

इस व्रत के दिन पूरे विधि- विधान के साथ गणेश जी का पूजन करें और उनसे समस्त पापों और विघ्नों का नाश करने की कामना करें। उसके बाद अपनी इच्छानुसार ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें। ये व्रत आजीवन या तो 21 वर्ष तक किया जा सकता है। यदि इतना करना भी संभव न हो तो 1 वर्ष तक इस व्रत को करें। यदि ये भी संभव न हो तो वर्ष के एक मास को तो अवश्य ही ये व्रत करें और सावन चतुर्थी को व्रत का उद्यापन कर सकते हैं। इस व्रत को करने से सारे विघ्नों का समापन होता है।

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