Mangla Gauri Vrat Katha In Hindi: मंगला गौरी व्रत की संपूर्ण कथा यहां पढ़ें

Mangla Gauri Vrat Katha: सावन की शुरुआत मंगला गौरी व्रत के साथ हुई है। दरअसल सावन के प्रत्येक मंगलवार को मां गौरी की पूजा की जाती है। यहां जानिए मंगला गौरी की व्रत कथा।

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Mangla Gauri Vrat Katha: मंगला गौरी व्रत कथा

Mangla Gauri Vrat Katha In Hindi (मंगला गौरी व्रत कथा): श्रावण मास का प्रत्येक मंगलवार मां गौरी को समर्पित है। इस दिन कई महिलाएं मंगला गौरी व्रत रखती हैं। मान्यता है इस व्रत को करने से शादीशुदा महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ये व्रत मुख्य रूप से पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। इस व्रत वाले दिन व्रती महिलाएं सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मां गौरी की विधि विधान पूजा करें और मंगला गौरी व्रत कथा को पढ़ना बिल्कुल भी न भूलें।

मंगला गौरी पूजा विधि और महत्व

मंगला गौरी व्रत कथा (Mangla Gauri Katha)

मंगला गौरी व्रत की पौराणिक कथा अनुसार एक समय की बात है, एक शहर में धरमपाल नाम का व्यापारी रहता था। जिसकी पत्नी काफी खूबसूरत थी और वो काफी धनवान था। लेकिन संतान न होने के कारण दोनों पति पत्नी दुखी रहते थे। लेकिन भगवान की कृपा से उन्हें काफी सालों बाद एक पुत्र प्राप्त हुआ लेकिन वो अल्पायु था। उसे ये श्राप मिला था कि 16 वर्ष की आयु में सांप के काटने से उसकी मृत्यु हो जाएगी। संयोग से उस युवक की शादी 16 वर्ष लगने से पहले ही एक युवती के साथ हो गई। उस युवती की माता मंगला गौरी का व्रत रखती थी।

मंगला गौरी व्रत के परिणामस्वरूप उसने अपनी पुत्री के लिए एक ऐसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया था जिसमें वो कभी विधवा नहीं हो सकती थी। इस वजह से धरमपाल के पुत्र को 100 साल की लंबी आयु प्राप्त हुई। कहते हैं इस कारण से सभी नवविवाहित महिलाएं इस दिन पूजा करती हैं और अपने सुखी और स्थायी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।

मंगला गौरी व्रत की इस कथा को सुनने के बाद विवाहित महिलाओं को अपनी सास या सास मान किसी महिला को 16 लड्डू देने चाहिए। इसके उपरांत यही प्रसाद ब्राह्मण को भी खिलाना चाहिए। इसके बाद व्रती 16 बाती वाले दीपक से देवी गौरी की आरती करें।

व्रत के अगले दिन यानी बुधवार को देवी मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी और पोखर में विसर्जित कर दें। आखिरी में मां गौरी से अपनी समस्त गलतियों के लिए जो पूजा के समय में हुई हैं उसके लिए क्षमा अवश्य मांगें। इस व्रत और पूजा को परिवार की खुशहाली के लिए लगातार 5 वर्षों तक किया जाता है।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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