Mangla Gauri Vrat Vidhi, Katha: मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि, आरती, मंत्र, कथा और महत्व
Mangla Gauri Vrat Vidhi, Katha: सावन सोमवार व्रत (Sawan Somwar Vrat 2023) की तरह ही सावन मंगला गौरी व्रत का भी खास महत्व माना जाता है। सावन का पहला पहला मंगला गौरी व्रत 4 जुलाई को रखा जाएगा। जानिए मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि और महत्व।
Mangla Gauri Vrat 2023, Mangla Gauri Vrat Vidhi
Mangla Gauri Vrat Vidhi, Katha: सावन का प्रथम मंगला गौरी (First Mangla Gauri Vrat 2023) व्रत श्रावण मास की शुरुआत के साथ ही रखा जाएगा। महिलाएं सावन के प्रत्येक मंगलवार में अंखड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मंगला गौरी व्रत रखती हैं। ये व्रत भगवान शिव की अर्धांगिनी माता पार्वती को समर्पित है। जैसे सावन के सोमवार व्रत (Sawan Somvar Vrat 2023) खास माने जाते हैं वैसे ही सावन के मंगलवार व्रत का भी विशेष महत्व होता है। जानिए मंगला गौरी व्रत की पूजा सामग्री, विधि, कथा, महत्व, आरती और मुहूर्त।
मंगला गौरी व्रत कथा
मंगला गौरी व्रत पूजा सामग्री (Mangla Gauri Vrat Puja Samagri)
एक चौकी या वेद | गेहूं और लौंग |
कलश | सात प्रकार का अनाज |
गेहूं के आटे से बना एक चौमुखा दीया | 16 पंचमेवा (5 प्रकार के सूखे मेवे) |
16 कपास से बनी चार बत्तियां | 16 सुपारी, सुपारी, लौंग |
देवी पार्वती की मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी का पात्र | सुहाग पिटारी |
अभिषेक के लिए: पानी, दूध, पंचामृत | सफेद और लाल कपड़ा |
देवी गौरी के लिए कपड़े | नैवेघ/प्रसाद |
भगवान गणेश के लिए जनेऊ | इलायची से बने 16 लड्डू |
पवित्र लाल धागा (कलावा या मौली) | रोली या सिंदूर |
16 प्रकार के फूल, माला, पत्ते और फल | चावल, रंग, गुलाल, हल्दी, मेंहदी, काजल |
मंगला गौरी व्रत विधि (Mangla Gauri Vrat Vidhi)
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करने के बाद साफ नए वस्त्र धारण कर लें।
- फिर पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठें और एक वेदी स्थापित करें।
- वेदी के आधे हिस्से पर सफेद कपड़ा बिछा लें और उसके ऊपर चावल के नौ छोटे ढेर लगाएं।
- अब दूसरे आधे हिस्से पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर 16 छोटे गेहूं के दाने बिछा लें।
- अब एक चौकी लें उस पर अलग से कुछ चावल रख लें और एक पत्तल पर स्वास्तिक का चित्र बनाकर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित कर लें।
- अब वहीं पर कुछ गेहूं रखें जिस पर कलश स्थापित कर लें।
- अब एक बर्तन में पांच सुपारी रखें और उसके ऊपर नारियल रख दें।
- फिर वेदी पर गेहूं के आटे का दीया रखें और 16 लटों वाली चारों बत्तियां जला लें।
- पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की अराधना के साथ करें।
- भगवान को जनेऊ और रोली-चावल और सिंदूर चढ़ाएं।
- फिर कलश और दीपक की वंदना करें।
- फिर नवग्रह के रूप में जो चावल के नौ ढेर बनाए हैं और देवी के सोलह अवतारों के रूप में जो गेहूं के 16 ढेर बनाएं हैं उनकी पूजा करें।
- एक बर्तन में साफ और पवित्र मिट्टी लें और इसके साथ माता गौरी की एक मूर्ति बनाएं।
- अब इस मंत्र का जाप करें और व्रत का संकल्प लें-
- मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरी प्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरी व्रतमहं करिष्ये।
- मूर्ति को वेदी पर रखें और उसका अभिषेक करें और फिर देवी को वस्त्र अर्पित करें।
- देवी गौरा की षोडशोपचार पूजा करें और उन्हें निम्न मंत्र का जाप करते हुए सुहागन के
- 16 सौंदर्य प्रसाधन अर्पित करें: कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्।
- नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्।।
- इसके बाद माता को 16 फूल, माला, सुपारी, सुपारी, इलायची, लौंग, फल, पत्ते, गेहूं से बने लड्डू और पंचमेवा चढ़ाएं।
- अब मंगला गौरी व्रत कथा पढ़ें और उसके बाद माता गौरी की आरती करें। (Mangla Gauri Mantra)
मंगला गौरी व्रत का महत्व (Mangla Gauri Vrat Significance)
मान्यता है सावन के मंगलवार के व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत में माता पार्वती की पूजा की जाती है। कहते हैं सावन के महीने में ही माता पार्वती ने कठोर तपस्या करके और व्रत रखकर भगवान शिव को प्रसन्न किया था। जिससे महादेव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया था। इसलिए सभी शादीशुदा स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए इस महीने माता गौरी का व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन में खुशियां बनी रहती हैं।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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