Sawan Purnima Katha 2024: सावन पूर्णिमा पर करें इस कथा का पाठ, सदा बनी रहेगी मां लक्ष्मी जी की कृपा

Sawan purnima Vrat katha 2024 Katha In Hindi: सावन पूर्णिमा का व्रत हर वर्ष सावन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन सावन पूर्णिमा की पूजा करना और कथा का पाठ करना बहुत ही शुभ होता है। यहां पढ़ें सावन पूर्णिमा की व्रत कथा हिंदी में।

Sawan Purnima Katha 2024

Sawan purnima Vrat katha 2024 Katha In Hindi: इस साल सावन पूर्णिमा का व्रत 19 अगस्त 2024 को सोमवार के दिन रखा जा रहा है। इसी दिन सावन के आखिरी सोमवार का व्रत भी रखा जाएगा। इसके साथ ही इस तिथि पर राखी का भी पर्व मनाया जाएगा। शास्त्रों में सावन पूर्णिमा को बहुत ही खास माना गया है। सावन पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और विष्णु जी के साथ- साथ माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। सावन पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन गंगा स्नान और दान को भी बहुत उत्तम माना गया है। सावन मास की पूर्णिमा तिथि पर व्रत रखने से और विधिपूर्वक लक्ष्मी जी की पूजा करने से साधक पर सदा लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है। इस दिन व्रत कथा का पाठ करना भी बहुत ही शुभफलदायी माना गया है। यहां पढ़ें व्रत कथा।

Sawan purnima Vrat katha 2024 Katha In Hindi (सावन पूर्णिमा व्रत कथा 2024)

प्राचीन समय की बात है एक नगर में तुंगध्वज नाम का एक राजा राज्य करता था। उस राजा को शिकार करने का बहुत ही शौक था। एक दिन राजा जंगल में शिकार करने के लिए गया था। शिकार करते- करते जब वो बहुत थक गया तो एक बरगद के पेड़ के नीचे अपनी थकान को दूर करने के लिए विश्राम करने लगा। उस जंगल में राजा ने देखा कि वहां पर बहुत सारे लोग मिलकर भगवान सत्यनारायण की पूजा कर रहे हैं। राजा अपने अभिमान में चूर था। अपने घंमड के कारण राजा ने ना ही भगवान सत्यनारायण को प्रणाम किया और ना ही उनका प्रसाद ग्रहण किया। उसके बाद राजा शिकार करके अपने नगर में वापस लौट गया।

जब राजा अपने नगर में वापस आया तो उसने देखा की उसके राज्य पर की दूसरे राज्य की सेना ने हमला बोल दिया है। अपने राज्य की ऐसी हालात देखकर राजा को तुरंत समझ में आ गया कि उसने जो भगवान सत्यनारायण का अपमान किया और उनके प्रसाद का निरादर किया। इसके कारण उसके राज्य की ऐसी हालत हो गई। अपनी गलती का आभास होते ही राजा तुरंत जंगल की तरफ भाग। जहां सत्यनारायण की कथा चल रही थी वहां जाकर राजा ने भगवान से अपनी गलती के लिए क्षमा प्रार्थना की और प्रसाद मांगकर उसे ग्रहण किया।

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