Sawan Purnima Vrat Katha: सावन पूर्णिमा की व्रत कथा पढ़ने से हर मनोकामना होगी पूरी
Sawan Purnima Vrat Katha: सावन पूर्णिमा का त्योहार हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है। जानिए सावन पूर्णिमा की कथा और पूजा विधि।
Sawan Purnima Vrat Katha In Hindi
Sawan Purnima Vrat Katha In Hindi: सावन पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। ये पूर्णिमा सावन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को आती है। इस तरह से एक साल में कुल 12 पूरणमासी (Puranmashi 2023) होती है। अधिकमास (Adhik Maas) के कारण एक साल में पूर्णिमा 13 भी हो सकती हैं। इस दिन लोग व्रत, गंगा स्नान और सत्यनारायण की कथा (Satyanarayan Vrat Katha) करते हैं। जिस दिन चंद्रमा पूर्ण स्वरूप में दिखाई देता है उस दिन पूर्णिमा होती है। श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) पर भगवान शिव, माता पार्वती और सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है। जानिए श्रावण पूर्णिमा की कथा।
श्रावण पूर्णिमा व्रत कथा (Sawan Purnima Katha)
प्राचीन समय में एक नगर था। उसमें तुंगध्वज नाम का राजा राज्य करता था। उस राजा को शिकार करने का बहुत शौक था। एक दिन वो जंगल में शिकार करने गया और शिकार करते-करते जब वो बहुत थक गया तो वो थकान दूर करने के लिए एक बरगद के पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया। वहां उसने देखा कि कई सारे लोग साथ मिलकर सत्यनारायण भगवान की पूजा कर रहे हैं। राजा ने अपने अभिमान के कारण न ही भगवान को प्रणाम किया न वो कथा में गया और न ही उसने प्रसाद लिया। फिर वो अपने नगर वापस लौट गया।
नगर में आकर राजा ने देखा कि दूसरे राज्य के राजा ने उसके राज्य पर हमला कर दिया है। राज्य का ऐसा हालत देखकर राजा तुरंत समझ गया कि सत्यनारायण भगवान और उनके प्रसाद का निरादर करने से ऐसा हुआ है। अपनी गलती का आभास होने पर राजा दौड़कर वापस उसी जंगल में वापस गया जहां लोग भगवान सत्यनारायण की कथा कर रहे थे। वहां पहुंचकर राजा ने अपनी भूल के लिए माफी मांगी और प्रसाद मांगा।
सच्चे मन से पश्चाताप करते देख राजा को भगवान सत्यनारायण ने माफ कर दिया। जिसके फलस्वरूप राजा के राज्य में सबकुछ पहले जैसा हो गया। फिर राजा भगवान सत्यनारायण की अराधना करने लगा और भगवान सत्यनारायण की कृपा से ही राजा ने लम्बे समय तक राज्य संभाला। मान्यता है जो व्यक्ति भी सावन पूर्णिमा की कथा को पढ़ता या सुनता है उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। कहा जाता है कि यह कथा वाजपेय यज्ञ का फल देने वाली है।
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