Sawan Putrada Ekadashi 2023: श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत कब है 2023, जानिए डेट और शुभ मुहूर्त

Sawan Putrada Ekadashi 2023: सावन महीना (Sawan 2023) 4 जुलाई से शुरू हो रहा है और श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत (Shravan Putrada Ekadashi 2023) रखा जाता है। जानिए इस बार कब है सावन पुत्रदा एकादशी?

Sawan Putrada Ekadashi 2023 Date And Time

Putrada Ekadashi 2023 Date And Muhurat: श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से इस व्रत को करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। श्रावण मास (Sawan Month) के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi 2023) तिथि को ये व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को वाजपेयी यज्ञ के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है। कई लोग इस व्रत को संतान प्राप्ति की कामना से रखते हैं। जानिए 2023 में सावन पुत्रदा एकादशी व्रत कब रखा जाएगा?

साल में दो बार आती है पुत्रदा एकादशी

साल में आने वाली दो एकादशियों को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। जिनमें से एक एकादशी पौष महीने के शुक्ल पक्ष में आती है और दूसरी श्रावण शुक्ल पक्ष में आती है। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी दिसम्बर या जनवरी महीने में पड़ती है वहीं श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी जुलाई या फिर अगस्त के महीने में पड़ती है।

श्रावण पुत्रदा एकादशी कब है 2023 (Shravan Putrada Ekadashi 2023 Date And Time)

श्रावण पुत्रदा एकादशी27 अगस्त 2023, रविवार
एकादशी तिथि प्रारम्भ27 अगस्त 2023 को 12:08 AM बजे
एकादशी तिथि समाप्त27 अगस्त 2023 को 09:32 PM बजे
28 अगस्त को व्रत तोड़ने का समय05:57 AM से 08:31 AM
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय06:22 PM
श्रावण पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि (Shravan Putrada Ekadashi 2023 Puja Vidhi)

  • पुत्रदा एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर लें।
  • भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाएं।
  • पूजा में तुलसी, फल और तिल का जरूर प्रयोग करें।
  • व्रत के दिन अन्न बिल्कुल भी ग्रहण न करें लेकिन आप चाहें तो फल ग्रहण कर सकते हैं।
  • इस दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ जरूर करें।
  • एकादशी के दिन रात्रि भर जागरण करें।
  • फिर द्वादशी तिथि पर यानी व्रत के अगले दिन ब्राह्मणों भोजन कराएं और उन्हें दान-दक्षिणा के साथ विदा करें।
  • इसके बाद अपना व्रत खोल लें।
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