Sawan Putrada Ekadashi:संतान सुख की प्राप्ति के लिए करें ये व्रत, जानें क्या है इसकी पौराणिक कथा

Sawan Putrada Ekadashi: सावन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली पुत्रदा एकादशी संतान प्राप्ति और विकास के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह एकादशी अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी मानी जाती है। संतान प्राप्ति के लिए किस एकादशी का व्रत करें। पुत्रदा एकादशी की कथा क्या है। यहां पढ़ें पुत्रदा एकादशी की कथा।

पुत्रदा एकादशी 2023

Sawan Putrada Ekadashi Katha: सावन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादसी कहा जाता है। माना जाता है कि श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से वाजपये यज्ञ के समान ही सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। जो श्रद्धालु इसका पालन करते हैं,उनके बच्चों के स्वास्थ्य में ग लाभ होता है। इस बार पुत्रदा एकादशी का व्रत 27 अगस्त 2023 को रविवार के दिन रखा जाएगा। इस व्रत का विधिवत पालन करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है, इसके साथ ही संतान की सेहत भी ठीक रहती है। पुत्रदा एकादशी का खास महत्व है । इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं क्या है पुत्रदा एकादशी की पौराणिक कथा।

पुत्रदा एकादशी कथाश्री पद्मपुराण के अनुसार द्वापर युग में महिष्मतिपुरी का राजा महीजित अत्यंत शांतिप्रिय एवं धर्मात्मा था, परंतु उसका कोई पुत्र नहीं था। राजा के शुभचिंतकों ने महामुनि लोमेश को इस बारे में बताया। मुनि ने कहा कि राजन पूर्वजन्म में एक अत्याचारी और गरीब वैश्य था। एकादशी के दिन उसने घोर पाप किया, जिसका फल उसे इसी जन्म में भोगना पड़ेगा। एक बार एकादशी की दोपहर में महिष्मतीपुरी प्यास से व्याकुल होकर तालाब पर पहुँचे। वहां उन्होंने एक प्यासी गाय को गर्मी में पानी पीते देखा। यह देख उन्होंने गाय को पानी पीने से रोक दिया और खुद पानी पीने लगें। राजा का यह कार्य धर्म पर आधारित नहीं था। अपने पिछले जन्म के अच्छे कर्मों के कारण वह अगले जन्म में राजा यो बन गए लेकिन संतान सुख से वंछित रहे। महामुनि ने कहा कि जो लोग राजा का भला चाहते हैं वे श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उपवास करें और अपने पुण्य राजा को अर्पित करें, तो निश्चित रूप से इनको संतान सुख मिल सकता है। अत: राजा ने ऋषि की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी प्रजा सहित व्रत किया। कई महीनों के उपवास के बाद रानी ने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया। तभी से इस एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है।

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