Sawan Somvar Ki Katha, Aarti: यहां देखें सावन सोमवार की कथा और आरती
Sawan Somvar Vrat Katha, Aarti, Puja Vidhi: सावन का आज सातवां सोमवार व्रत है और 28 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार (Sawan Ka Akhri Somvar Kab Hai 2023) होगा। जानिए सावन सोमवार की व्रत कथा (Sawan Somvar Vrat Katha), पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, शिव जी की आरती (Sawan Somvar Ki Aarti), मंत्र और संपूर्ण जानकारी।
Sawan Somvar Vrat Katha, Puja Vidhi
Sawan Somvar Vrat Aarti, Vrat Katha, Puja Vidhi (सावन सोमवार की व्रत कथा): आज सावन का सातवां सोमवार है और 28 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार होगा (Sawan Ka Last Somvar 2023 Date)। सनातन धर्म में सावन का प्रत्येक सोमवार खास माना जाता है। मान्यता है इस दिन व्रत रखने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। सावन सोमवार को करने से 16 सोमवार व्रत का पूर्ण फल भी प्राप्त हो जाता है। इस दिन भगवान शंकर को दूध, जल, धतूरा, भांग, बिल्वपत्र इत्यादि चीजें जरूर चढ़ानी चाहिए। यहां जानिए सावन सोमवार व्रत की कथा, आरती (Sawan Somvar Aarti), पूजा विधि, मंत्र और मुहूर्त।
सावन सोमवार पूजा विधि (Sawan Somvar Puja Vidhi)
- भगवान शंकर का अभिषेक दूध, जल, गन्ने का रस, सरसों का तेल आदि से करें।
- महादेव को सफेद चंदन लगाएं।
- उन्हें धतूरा, भांग, बिल्वपत्र इत्यादि चीजें अर्पित करें।
- शिव शंकर जी के समक्ष शुद्ध घी का दीपक प्रज्जवलित करें।
- इसके बाद सावन सोमवार व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
- भगवान शिव की स्तुति और आरती करें।
- फिर उन्हें भोग लगाएं।
- शाम में फिर से भगवान शिव की अराधना करें।
- संध्या के समय भगवान शिव की पूजा के उपरांत ही व्रत खोलें।
- इस दिन केवल एक बार ही भोजन करें।
सावन सोमवार व्रत कथा (Sawan Somvar Vrat Katha In Hindi)
अमरपुर नाम का नगर था जहां एक धनी व्यापारी रहता था। उस व्यापारी के पास सबकुछ होने के बाद भी वह दुखी रहता था क्योंकि उस व्यापारी की कोई संतान नहीं थी। पुत्र पाने की इच्छा से वो व्यापारी सोमवार व्रत करता था और भगवान शिव की विधि विधान पूजा किया करता था। उस व्यापारी की भक्ति से प्रसन्न होकर एक दिन माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा- 'हे प्राणनाथ, ये व्यापारी आपका परम भक्त है। पूरी श्रद्धा से सोमवार व्रत करता है। भगवान, आप इस व्यापारी की मनोकामना पूर्ण करें।' भगवान शिव ने मुस्कराते हुए कहा- 'हे पार्वती! जिसके भाग्य में जो लिखा है उसे वही मिलता है। लेकिन इसके बावजूद भी पार्वतीजी नहीं मानीं। उन्होंने आग्रह करते हुए कहा- 'नहीं प्राणनाथ! आपको इस व्यापारी की इच्छा पूरी करनी होगी। सावन सोमवार की पूरी कथा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
सावन सोमवार की आरती (Sawan Somvar Aarti)
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
अक्षमाला वनमाला, ण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
कर के मध्य कमंडल चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥
जय शिव ओंकारा...॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥सावन सोमवार पूजा मंत्र (Sawan Somvar Mantra)- ॐ नम: शिवाय।
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।
- नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे. सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:
- ॐ महेश्वराय नम:
सावन सोमवार व्रत के लाभ (Sawan Somvar Vrat Ke Fayde)
हिंदू धर्म में सावन सोमवार व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है इस व्रत को करने से विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं। साथ ही इस व्रत के प्रभाव से घर में सुख-समृद्धि आती है। इस व्रत को करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न रहते हैं और भक्तों की मनोकामना शीघ्र ही पूरी कर देते हैं।
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