Sawan Somvar Vrat Katha, Puja Vidhi: सावन सोमवार व्रत कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व, मंत्र और शिव आरती

Sawan Somvar Vrat Katha, Puja vidhi, Mantra, Aarti: आज पांचवां सावन सोमवार व्रत है। जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, शिव मंत्र, आरती (Shiv Aarti) और सावन सोमवार व्रत कथा।

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Sawan Somvar Vrat Katha, Puja Vidhi, Mantra, Muhurat And Shiv Aarti: इस साल सावन का महीना 4 जुलाई 2023 से शुरू हुआ था और 31 अगस्त 2023 को रक्षा बंधन (Raksha Bandhan 2023) के दिन ये महीना समाप्त हो जाएगा। आज यानि 7 अगस्त को सावन का पांचवां सोमवार पड़ा है। आज देशभर के मंदिरों में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। ऐसा माना जाता है कि सावन सोमवार के दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से शिव परिवार की पूजा करता है उसे हर कार्य में सफलता मिलती है। जानिए सावन सोमवार की पूजा विधि (Sawan Somvar Vrat Vidhi), शुभ मुहूर्त, व्रत कथा, मंत्र और आरती।

सावन सोमवार व्रत पूजा विधि (Sawan Somvar Puja Vidhi)

  • भक्त सावन सोमवार के दिन भगवान शिव के मंदिर में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं।
  • वे इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगाजल से पवित्र स्नान करने के बाद भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करते हैं और ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहते हैं।
  • इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र, दूब, कुशा, कनेर का फूल, शमी का फूल, भांग और धतूरा चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • महामृत्युंजय मंत्र का जाप भगवान शिव के नाम पर 108 बार किया जाता है।
  • इस दिन शिवलिंग का रुद्राभिषेक दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से करना चाहिए।
  • साथ ही सावन सोमवार में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव चालीसा जरूर पढ़ें।
  • सावन सोमवार व्रत की कथा जरूर सुनें।
  • इसके बाद पूजा के अंत में शिव जी की आरती गाकर पूजा संपन्न करें।

सावन सोमवार पूजा मुहूर्त 2023 (Sawan Somvar Puja Muhurat 2023)

सावन सोमवार व्रत की पूजा शाम में करना शुभ होता है। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 24 मिनट से 07 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त पर पूजा करने से शिव जी की कृपा जल्दी प्राप्त हो जाएगी।

सावन सोमवार शिव मंत्र (Sawan Somvar Shiv Mantra)

  • पंचाक्षरी मंत्र: ॐ नमः शिवाय
  • शिव गायत्री मंत्र: ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्!
  • महामृत्युंजय मंत्र: ॐ ह्रौं जूं सः भूर्भुवः स्वः त्र्यम्बकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् भूर्भुवः स्वरों जूं सः ह्रौं ॐ।।
  • रुद्र मंत्र: ॐ नमो भगवते रुद्राय
  • आरती के लिए प्रार्थना: कर्पूर गौरं करुणावतरम, संसार सरम भुजगेन्द्र हरम |, सदा वसंतम हृदयारविंदे, भवम भवानी सहितं नमामि ||

सावन सोमवार व्रत कथा (Sawan Somvar Vrat Katha In Hindi)

एक बार एक धनी व्यापारी था। जो बड़ा शिव भक्त था। उसके पास सबकुछ होते हुए भी वो दुखी रहता था क्योंकि उसकी कोई संतान नहीं थी। उसने संतान प्राप्ति के लिए सोमवार का व्रत किया और जल्द ही भगवान शिव उसके सपने में आए और उसे पुत्र सुख का आशीर्वाद दिया लेकिन भगवान शिव ने ये भी कहा कि बच्चा केवल 12 साल तक जीवित रहेगा।

एक साल बाद व्यापारी की पत्नी ने एक सुंदर बच्चे को जन्म दिया। बच्चे के आगमन से सभी लोग खुश हुए। लेकिन व्यापारी अभी भी दुखी था क्योंकि वह जानता था कि बच्चे का जीवन केवल 12 वर्ष का है। बच्चे के जन्म के बाद भी व्यापारी वैसे ही सोमवार व्रत करता रहा। उसने गरीबों और जरूरतमंदों को कपड़े बांटे और खाना खिलाया। जब बेटा 11 वर्ष का हुआ, तो व्यापारी ने अपने लड़के को अपने उसके माला के साथ काशी भेजने का निर्णय लिया और साथ ही पवित्र ग्रंथों का अध्ययन करने और एक वर्ष तक पूजा करने के लिए कहा। मामा भांजा दोनों काशी के लिए निकल गए।

व्यापारी का बेटा और उसका मामा एक राज्य में पहुंचे जहां राजकुमारी का विवाह समारोह हो रहा था। राजकुमारी की जिस लड़के से शादी होनी थी उसकी एक आंख खराब थी। दूल्हे के माता-पिता राजा को सच्चाई बताने के लिए तैयार नहीं थे और वो विवाह समारोह के लिए एक ऐसे लड़के की तलाश कर रहे थे जो उनके बेटे की भूमिका निभाए। दूल्हे के माता-पिता की नजर व्यापारी के बेटे पर पड़ी और उन्होंने उससे अस्थायी दूल्हा बनने के लिए कहा। काफी देर समझाने के बाद लड़का नकली दूल्हा बनने के लिए तैयार हो गया। इस तरह से राजकुमारी का विवाह धनी व्यापारी के बेटे से संपन्न कराया गया।

दुल्हन अपने सुदंर पति को देखकर बेहद खुश थी। व्यापारी का बेटा भी दुल्हन से मिलकर बहुत खुश हुआ। जाने से पहले व्यापारी के बेटे ने राजकुमारी के दुपट्टे पर सच्चाई लिख दी कि उसका विवाह जिसके साथ हुआ है वो असली दूल्हा नहीं है लेकिन वो जिसके साथ विदा होगी वो असली दूल्हा होगा लेकिन वो एक आंख से काना है। ये पढ़ने के बाद दुल्हन असली दूल्हे के साथ जाने को तैयार नहीं हुई।

उधर व्यापारी का बेटा काशी पहुंचा और भगवान शिव की पूजा और अनुष्ठान करने लगा। उसने गरीबों को दान दिया। दूसरी तरफ व्यापारी घर पर शिव पूजा और अनुष्ठान जारी रख रहा था। जब लड़के के 12वें वर्ष का अंतिम दिन आया तो व्यापारी ने पूरे दिन भगवान शिव से प्रार्थना की।

काशी में व्यापारी के बेटे को 12 वर्ष पूरे होने पर सीने में दर्द हुआ और वह गिर गया और उसकी तुरंत मृत्यु हो गई। अपने भांजे की मृत्यु को देख उसका मामा विलाप करने लगा। इस घटना को देवी पार्वती देख रही थीं उन्होंने भगवान शिव से अपने भक्त की मदद करने की विनती की। माता ने कहा कि की व्यापारी आपका सच्चा भक्त है ऐसे में आपको उसकी सहायता करनी चाहिए।

भगवान शिव मुस्कुराये और बोले कि मैं तो बस व्यापारी की परीक्षा ले रहा था। मैं व्यापारी की भक्ति से बहुत प्रभावित हुआ हूं। धन-दौलत होने के बाद भी उस व्यापारी की सभी प्रार्थनाएं और विचार मेरी ओर निर्देशित थे। अपने बेटे के 12 वर्ष तक जीवित रहने की बात जानकर भी उन्होंने कभी शिकायत नहीं की और बल्कि वे नए जोश के साथ सभी अनुष्ठान और दान करते रहे।

व्यापारी ने अपने पुत्र को काशी भेजकर ये स्वीकार कर लिया था कि मृत्यु ही अंतिम सत्य है। उन्होंने दैवीय इच्छा को तुरंत स्वीकार कर लिया और मेरी पूजा जारी रखी और सोमवार व्रत करता रहा। अब मैं भला ऐसे भक्त की सहायता कैसे नहीं कर सकता?

भगवान शिव ने व्यापारी के बेटे को तुरंत जीवित कर दिया। एक वर्ष पूरा होने पर व्यापारी का बेटे और उसके मामा घर की तरफ वापस जाने लगे। वापसी यात्रा में बेटा उस राज्य में पहुंचा जहां उसका विवाह हुआ था। उसने देखा कि उस राज्य में उदासी छा गई है। पूछताछ करने पर लड़के को पता चला कि राजकुमारी ने बारात वापस लौटा दी थी। इस घटना के बाद राजकुमारी, राजा और सारी प्रजा दुखी हो गई थी।

जल्द ही लड़का महल पहुंचा और राजा को उसने सब बता दिया। अपने पति के आने की खबर सुनकर राजकुमारी कमरे से बाहर निकली और उसे देखकर बहुत खुश हुई। जल्द ही राजा ने व्यापारी के परिवार के पास दूत भेजे और वे सभी राज्य में पहुंचे। राजा ने व्यापारी के पुत्र को अगला राजा घोषित किया।

देवी पार्वती जो ये घटना देख रही थीं, उन्हें एहसास हुआ कि ये सारी संपत्ति, राज्य और खुशी व्यापारी द्वारा किए गए सोमवार व्रत का परिणाम थी। अत: जो व्यक्ति सच्चे मन से सावन सोमवार व्रत करता है उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

भगवान शिव की आरती (Shiv Ji Ki Aarti Lyrics)

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥

सावन सोमवार का व्रत कैसे करें? (Sawan Somvar Vrat Vidhi)

सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से शुरू होकर सूर्यास्त तक चलता है। इस दिन भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है। सावन सोमवार व्रत की पूजा शाम को प्रदोष काल में करना शुभ होता है। इस दौरान फूल, दूर्वा, बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि 16 प्रकार की पूजा सामग्री से शिव परिवार की पूजा करें। ऐसा माना जाता है कि सावन सोमवार का व्रत करने से सभी सोमवार व्रतों का फल मिल जाता है। इस दिन शिवलिंग पर गंगा जल जरूर चढ़ाएं। अगर आप व्रत रखने में सक्षम नहीं हैं तो एक समय भोजन या फल खाकर ये व्रत कर सकते हैं। भगवान शिव की पूजा करने के बाद व्रत कथा जरूर सुनें या पढ़ें। कहते हैं अगर सावन सोमवार में सच्चे मन से शिव की आराधना की जाए तो सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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