Sawan Somwar Vrat Katha: सावन सोमवार व्रत की कथा, जानिए कैसे हुई इस व्रत की शुरुआत

Sawan Somwar Vrat Katha (सावन सोमवार व्रत कथा): स्कन्द पुराण अनुसार एक बार सनत कुमार भगवान शिव से पूछते हैं कि उन्हें सावन महीना इतना प्रिय क्यों हैं? जिस पर भोलेनाथ कहते हैं कि इस पवित्र महीने में ही माता पार्वती ने निराहार रहकर कठोर तप किया था जिसके फलस्वरूप उनका मुझसे विवाह हुआ। यहां आप जानेंगे सावन सोमवार की व्रत कथा विस्तार से।

Sawan Somwar Vrat Katha

Sawan Somwar Vrat Katha: सावन सोमवार व्रत कथा का जिक्र स्कन्द पुराण में मिलता है जिसके अनुसार एक बार सनत कुमार ने भगवान शिव से पूछा कि, 'हे प्रभु सभी महीनों में सावन का महीना ही आपको अति प्रिय क्यों हैं' तब भगवान शिव इस बात का जवाब देते हुए कहते हैं कि मुझसे विवाह रचाने के लिए देवी सती ने अपने पिता के विरुद्ध जाने तक का कठोर निर्णय ले लिया था।
देवी सती और मेरे विवाह के बाद जब वह अपने पिता के घर गई तो वहां मेरा अपमान होते हुए देख उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। जिसके बाद उनका जन्म पर्वत राज हिमालय और नैना की पुत्री के रूप में हुआ। इस जन्म में उनका नाम पार्वती पड़ा। देवी पार्वती ने इस जन्म में भी मुझसे विवाह करने के लिए श्रावण माह में निराहार रहकर मेरी कठोर तपस्या की जिसके फलस्वरूप उनकी मुझसे शादी हुई। इसलिए ही मुझे सावन महीना इतना प्रिय है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इसलिए ही सावन महीने में आने वाले सोमवार व्रत खास माने जाते हैं।

सावन सोमवार की कथा (Sawan Somwar Vrat Katha)

प्राचीन समय में एक धनी व्यक्ति हुआ करता था। लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी जिस वजह से दोनों पति-पत्नी दुखी रहते थे। दोनों पति-पत्नी भगवान शिव के परम भक्त थे। इसलिए वे पूरी निष्ठा से सोमवार व्रत किया करते थे। उन दोनों की सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी सूनी गोद तो भर दी लेकिन उनके बच्चे के जन्म के साथ ही एक आकाशवाणी हुई कि ये बालक 12 साल की आयु तक ही जीवित रहेगा। ये सुनकर दोनों को बहुत दुख हुआ। उन्होंने अपने बालक का नाम अमर रखा।
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