Shab E Barat Roza Time 2025: शब ए बारात का रोजा कब और कैसे रखा जाएगा, जान लें सहरी और इफ्तार का समय
Shab E Barat Roza 2025 Date Time, iftar Dua: इस्लाम धर्म में शब-ए-बारात को बेहद खास और बरकतों वाली रात माना गया है। इसलिए इस दिन कई मुस्लिम लोग रोजा रखते हैं। जानिए शब ए बारात के रोजा के नियम क्या हैं।

Shab E Barat Roza Time 2025
Shab E Barat Roza 2025 (शब-ए-बारात रोजा टाइम 2025): इस्लाम धर्म में शब-ए-बारात की रात बेहद पाक रात मानी जाती है। मुस्लिम धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस एक रात की इबादत का सवाब 83 साल 4 महीने की इबादत के बराबर होता है। इसलिए इस पूरी रात मुस्लिम लोग जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की मांफी मांगते हैं। कई लोग इस दिन रोजा भी रखते हैं। हालांकि रमजान महीने की तरह इस दिन रोजा रखना अनिवार्य नहीं होता है। लेकिन जो रोजा रखना चाहता है वो रख सकता है। चलिए जानते हैं इस दिन रोजा कैसे रखना चाहिए।
रोजा खोलने की दुआ
Shab E Barat Roza 2025 (शब-ए-बारात रोजा टाइम 2025) |
इस रात की इबादत का सवाब 83 साल 4 महीने की इबादत के बराबर माना जाता है |
Shab E Barat Roza Time 2025 (शब-ए-बारात रोजा टाइम 2025)
शब ए बारात का रोजा 14 फरवरी को रखा जाएगा। हालांकि इस दिन रोजा रखना फर्ज नहीं है। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि जो मुसलमान इस पाक दिन पर रोजा रखता है उसके सारे गुनाह मांफ हो जाते हैं।
Shab E Barat Roza 2025 Sehri-Iftar Time (शब-ए-बारात रोजा 2025 सहरी-इफ्तार समय)
शब-ए-बारात रोजा सहरी टाइम 2025- 5:14 AM
शब-ए-बारात रोजा इफ्तार टाइम 2025- 5:54 PM
Shab E Barat Ka Roza Rakhna Chahiye Ya Nahi (शब-ए-बारात का रोजा रखना चाहिए या नहीं)
शब-ए-बारात के दिन रोजा रखना फर्ज नहीं है, लेकिन ऐसा कहते हैं कि इस दिन रोजा रखने से पिछली शब-ए-बारात से वर्तमान तक के सभी गुनाह माफ हो जाते हैं। इसलिए इस रात में लोग अल्लाह से अपने पिछले गुनाहों के लिए माफी मांगते हैं।
शब ए बरात का रोजा रखने की नियत (Shab E Barat Roza Ki Niyat In Hindi)
“मैं यह रोजा शब ए बरात के मौके पर अल्लाह के लिए रख रहा हूं या रख रही हूं। मैं अपने तमाम गुनाहों की अल्लाह से माफी मांगता हूं और अल्लाह से दुआ करता हूं या करती हूं कि वह मुझे अगले साल के लिए अधिक तक़दीर और बेहतर जीवन प्रदान करें।” शब-ए-बारात का रोजा रखते समय ये नियत करनी चाहिए। इस नियत को मन में जितनी बार हो सके दोहराना चाहिए। आप यह नियत सुबह सहरी लेने से पहले कर सकते हैं।
शब ए बरात रोज़ा खोलने की दुआ (Shab E Barat Roza Kholne Ki Dua)
“अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुमतु व अला रिजा’इ व फित्रि उम्र बियादिक अल्लाहुम्म अन्तस्सलाम व मिन्कस्सलाम तबारक्तयायाथदाल्जलाली व इक्राम”। इस दुआ को पढ़ते हुए अपना रोजा खोलें।
शब ए बरात रोजा खोलने की नियत (Shab E Barat Roza Kholne Ki Niyat In Hindi)
शब ए बारात का रोजा खोलने से पहले ये नियत पढ़नी चाहिए- “अल्लाह के नाम से मैं इस रोजे का इफ्तार करता हूं और अल्लाह के लिए उसके रोजे का आदा करने का इंतजाम करता हूं या करती हूं”।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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