Shani Dev: इन तीन देवताओं की पूजा करने वाले पर होती है शनि की कृपा, नहीं चढ़ती साढ़ेसाती और ढैय्या
Shani Dev: शनि देव को न्याय का देवता और कलयुग का न्यायधीश कहा जाता है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या की चाल से सभी लोग भयभीत होते है। अगर आप पर भी शनिदेव की कृपा नहीं हो पाती तो आप इन तीन देवताओं की आराधना कर सकते हैं। इनकी पूजा करने वालों को शनि देव कोई हानि नहीं पहुंचाते।
इन तीन देवताओं की पूजा करने वालों पर नहीं होता शनि का प्रकोप
मुख्य बातें
- श्रीकृष्ण के परमभक्त है शनिदेव, प्रसन्न करने के लिए की थी कठोर तपस्या
- भगवान शिव ने शनिदेव को दिया था न्यायधीश बनने का वरदान
- हनुमानजी ने तोड़ा था अहंकार, इनके भक्तों को नहीं करते हैं परेशान
Shani Dev Sadesaati: शनि देव को एक न्यायप्रिय देवता माना जाता है। पौराणिक और धार्मिक कथाओं में शनिदेव को कर्मफल दाता कहा जाता है। मान्यता है कि शनि देव मनुष्य को उसके अच्छे बुरे कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। इसी वजह से शनि देव को न्यायाधीश भी कहा गया है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या को बेहद कष्टकारी अवस्था माना गया है। यही कारण है कि लोग शनि के इस प्राकेप से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं। फिलहाल शनि की ये स्थिति अभी 5 राशियों पर बनी हुई है।
ज्योतिष गणना के अनुसार ढैय्या अभी मिथुन राशि और तुला राशि पर चल रही है। वहीं धनु, मकर और कुंभ राशि पर साढ़े साती चल रही है। कुछ राशि के जातकों को शनि देव की ये ये दोनों अवस्था बहुत परेशान करती है। अगर आप पर भी शनिदेव की कृपा नहीं हो पाती तो आप तीन देवताओं की आराधना अभी से शुरू कर दें। यह तीनों देव को शनिदेव अपना आराध्य मानते हैं, जो इनकी पूजा करना है, उसे शनि देव कोई हानि नहीं पहुंचाते। आइए जानते हैं कौन है ये तीनों देव।
कृष्ण भक्त हैं शनिदेव
भगवान शनिदेव को कृष्ण का परम भक्त माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि देव अपने आराध्य श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए मथुरा पहुंचे और कोसीकलां में स्थित कोकिलावन में कठोर तपस्या की। शनिदेव की इस तपस्या से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें कोयल के रूप में दर्शन दिए थे।
भगवान भोलेनाथ से मिला वरदान
न्याय के देवता शनिदेव ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भी कठोर तपस्या की भी। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब शनिदेव के पिता सूर्यदेव ने उनकी माता छाया का अपमान किया तो शनिदेव बहुत दुखी हुए। जिसके बाद भगवान शिव को प्रसन्न कर वरदान प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या शुरू कर दी। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शनिदेव को सभी ग्रहों का न्यायाधीश बना दिया और वरदान दिया कि उनके प्रकोप से देवता भी नहीं बच सकेंगे।
हनुमानजी ने तोड़ा था अहंकार
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव हनुमान भक्तों को भी कभी परेशान नहीं करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार शनिदेव को अपनी शक्ति पर अहंकार हो गया था। इस अंहकार में वे देवताओं के लिए परेशानी का कारण बना गए। इस अहंकार को हनुमान जी ने ही चकनाचूर किया था। उस समय शनिदेव ने वचन दिया था कि वे उनके भक्तों को परेशान नहीं करेंगे।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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