Shani Pradosh Vrat Katha In Hindi: शनि प्रदोष व्रत कथा, इसे पढ़ने से हर मनोकामना होगी पूर्ण

Shani Pradosh Vrat Katha (शनि प्रदोष व्रत कथा): प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस तरह से एक महीने में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। जब प्रदोष व्रत शनिवार में पड़ता है तो उसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं। यहां जानिए शनि प्रदोष व्रत की कथा।

Shani Pradosh Vrat Katha In Hindi

Shani Pradosh Vrat Katha (शनि प्रदोष व्रत कथा): सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है इस व्रत को करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। प्रदोष काल सूर्यास्त से 45 मिनट पहले से प्रारंभ होकर 45 मिनट बाद तक रहता है। जब प्रदोष व्रत सोमवार में पड़ता है तो उसे सोम प्रदोष कहते हैं। मंगलवार को पड़ता है तो उसे भौम प्रदोष कहा जाता है और जब शनिवार में पड़ता है तो उसे शनि प्रदोष कहा जाता है। 17 अगस्त को शनि प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। चलिए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की कथा।

Shani Pradosh Vrat Katha (शनि प्रदोष व्रत कथा)

शनि प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक नगर में सेठ जी रहते थे। उनके घर में हर प्रकार की सुख-सुविधाएं थीं लेकिन उन्हें संतान सुख की प्राप्ति नहीं हुई थी जिस वजह से वे परेशान रहते थे। एक समय काफी सोच-विचार के बाद सेठजी अपना सारा काम नौकरों को सौंपकर अपनी पत्नी के साथ तीर्थयात्रा पर निकल पड़े। जब वह अपने नगर से बाहर निकले तो उन्हें एक साधु मिले, जो ध्यानमग्न बैठे हुए थे। सेठ और सेठानी आशीर्वाद पाने की इच्छा से साधु के पास जाकर बैठ गए। साधु ने जब आंखें खोलीं तो उन्हें ज्ञात हुआ कि वे दोनों उनके समक्ष काफी समय से आशीर्वाद लेने की प्रतीक्षा में बैठे हैं।
साधु ने कहा कि मैं तुम्हारा दुःख जानता हूं। तुम इस दुख के निवारण के लिए शनि प्रदोष व्रत करो, इससे तुम्हें संतान सुख प्राप्त अवश्य होगा। फिर साधु ने सेठ-सेठानी को प्रदोष व्रत की विधि बताई और साथ ही शंकर भगवान की निम्न वंदना बताई।
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