Shani Pradosh Vrat Katha In Hindi: शनि प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा से जानिए इसका महत्व
Shani Pradosh Vrat Katha In Hindi: हर महीने में दो प्रदोष व्रत आते हैं और जब ये व्रत शनिवार को पड़ता है तो उसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। यहां जानिए शनि प्रदोष व्रत कथा।
Shani Pradosh Vrat Katha
Shani Pradosh Vrat Katha (शनि प्रदोष व्रत कथा)
शनि प्रदोष व्रत कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक नगर में सेठजी रहते थे। सेठजी के घर में हर प्रकार की सुख-सुविधाएं थीं लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। जिस कारण सेठ और सेठानी दुःखी रहते थे। कुछ समय बाद सेठजी ने अपना काम नौकरों को सौंप दिया और खुद सेठानी के साथ तीर्थयात्रा के लिए चल दिए। अपने नगर से बाहर निकलने पर उन्हें एक साधु महाराज मिले, जो ध्यानमग्न बैठे थे। सेठ और सेठानी साधु के पास बैठ गए। साधु ने जब आंखें खोलीं तो उन्हें ज्ञात हुआ कि उनके समक्ष कोई काफी समय से आशीर्वाद लेने की प्रतीक्षा में बैठा है।
साधु ने सेठ और सेठानी से कहा कि मैं तुम्हारा दुःख समझता हूं। तुम इस दुख से मुक्ति पाने के लिए शनि प्रदोष व्रत करो। तुम्हे इससे संतान सुख अवश्य प्राप्त होगा। फिर साधु ने सेठ-सेठानी को प्रदोष व्रत की विधि बताने के साथ-साथ शंकर भगवान की निम्न वंदना भी बताई।
हे रुद्रदेव शिव नमस्कार ।
शिवशंकर जगगुरु नमस्कार ॥
हे नीलकंठ सुर नमस्कार ।
शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार ॥
हे उमाकांत सुधि नमस्कार ।
उग्रत्व रूप मन नमस्कार ॥
ईशान ईश प्रभु नमस्कार ।
विश्वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार ॥
सेठ और सेठानी साधु से आशीर्वाद लेकर तीर्थयात्रा के लिए चल दिए। तीर्थयात्रा से लौटने के बाद दोनों ने मिलकर शनि प्रदोष व्रत किया जिसके प्रभाव से उनके घर एक सुंदर पुत्र का जन्म हुआ।
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