Shaniwar Pradosh Vrat Katha In Hindi: शनि प्रदोष व्रत कथा हिंदी में यहां पढ़ें

Shani Pradosh Vrat Katha: शनि प्रदोष व्रत को करने से भगवान शिव के साथ शनि देव (Shani Dev) की भी कृपा बरसती है। ये व्रत उन लोगों के लिए काफी खास होता है जिन पर शनि साढ़े साती (Shani Sade Sati) या शनि ढैय्या (Shani Dhaiya)चल रही हो।

Shani Pradosh Vrat Katha In Hindi: शनि प्रदोष की कथा

Pradosh Vrat Katha: हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस तरह से एक महीने में दो प्रदोष व्रत आते हैं। जब प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ता है तो उसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। शनिवार का प्रदोष व्रत काफी खास माना जाता है। क्योंकि इस दिन जो भी इंसान सच्चे मन भगवान शिव को शनि देव की पूजा अर्चना करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

शनि प्रदोष व्रत उन लोगों के लिए भी खास माना गया है जिन पर शनि साढ़े साती, शनि ढैय्या या शनि की महादशा चल रही हो। क्योंकि इस व्रत को करने से शनि के दोष से मुक्ति मिलती है। शनि प्रदोष वाले दिन शिव चालीसा (Shiv Chalisa) और शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ जरूर करें। साथ ही शनि प्रदोष की कथा पढ़ना बिल्कुल भी न भूलें।

शनि प्रदोष व्रत कथा (Shani Pradosh Vrat Katha)

शनि प्रदोष व्रत कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक नगर में सेठ दंपत्ति रहते थे। सेठजी के घर में सारी सुख-सुविधाएं मौजूद थीं। मगर, उनका कोई संतान नहीं था। इस कारण से सेठ और सेठानी हमेशा दुःखी और चिंतित रहते थे। काफी सोच-विचार करने के बाद सेठजी ने अपने काम नौकरों को सौंपकर सेठानी के साथ तीर्थयात्रा पर निकल पड़े।

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