Shaniwar Vrat: शनिवार व्रत विधि, नियम, कथा, आरती, लाभ, भोजन, उद्यापन विधि सबकुछ जानें यहां
Shaniwar Vrat Katha, Aarti, Vidhi: शनिवार व्रत शनि के प्रकोप से बचाता है। जीवन की कई परेशानियों का अंत करता है। यहां हम आपको बताएंगे शनिवार व्रत की कथा, आरती, मंत्र, नियम, विधि सबकुछ।

Shaniwar Vrat Katha In Hindi
Shaniwar Vrat Katha, Aarti, Vidhi: शनि देवता को प्रसन्न करने का सबसे बड़ा उपाय है शनिवार व्रत। कहते हैं जो कोई सच्चे मन से शनिवार व्रत का पालन करता है उसे शनि दोष से मुक्ति मिल जाती है। जिन लोगों की कुंडली में शनि कमजोर स्थिति में हों उन्हें शनिवार व्रत जरूर करना चाहिए। ये व्रत शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या से भी राहत दिलाता है। चलिए जानते हैं शनिवार व्रत की कथा, आरती, विधि, नियम, उद्यापन विधि सबकुछ।
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शनिवार व्रत की पूजा सामग्री (Shaniwar Vrat Puja Samagri)
- धूप
- अगरबत्ती
- स्वच्छ जल
- पंचामृत
- चावल
- सरसों का तेल
- सूती धागा
- लोहे से निर्मित शनि देव की प्रतिमा
- पूजा की थाल
- काले तिल
- फल
- कलश
- पुष्प
- काला कपड़ा
शनिवार व्रत विधि (Shaniwar Vrat Vidhi In Hindi)
- शनिवार के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं। फिर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- फिर लोहे से बनी शनि देव की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराया जाता है।
- फिर शनि देव की लोहे से बनी मूर्ति को चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करना है।
- इसके बाद शनि देव के समक्ष धूप और अगरबत्ती जलाएं।
- फिर शनि देव की प्रतिमा पर काले तिल और तेल चढ़ाएं। साथ ही काले वस्त्र अर्पित करें।
- शनि देव के मंत्रों का जाप करें और शनि चालीसा पढ़ें।
- शनि देव को सरसों के तेल में बनी पूड़ी और काले उड़द की दाल की खिचड़ी का भोग लगाएं।
- शनि व्रत कथा पढ़ने के बाद शनि देव की आरती करें।
- फिर पूजा के समय हुई गलतियों की क्षमा मांगे।
- इसके बाद पीपल के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाएं।
- साथ ही पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाकर रखें।
- इस व्रत में पूरे दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। फिर शाम के समय उड़द की दाल की खिचड़ी खाकर व्रत खोला जाता है।
शनि के 10 नाम (Shani Dev 10 Names)
शनि देव की पूजा के समय उनके इन दस नामों का जाप जरूर करें। कहते हैं इससे शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शनि के 10 नाम इस प्रकार हैं-कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर।
पूजा के बाद पीपल के वृक्ष के तने पर सूत के धागे से सात परिक्रमा करें,
शनिवार व्रत कथा (Shaniwar Vrat Katha In Hindi)
शनिवार व्रत कथा अनुसार एक समय की बात है जब सभी ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ होने को लेकर जंग छिड़ गई थी। तब सभी ग्रह इंद्र देव के पास गए। लेकिन इंद्र देव भी इस बात का निर्णय नहीं कर पाएं कि सभी ग्रहों में से सर्वश्रेष्ठ कौन है। तब उन्होंने ग्रहों को पृथ्वी पर राजा विक्रमादित्य के पास भेज दिया। जो कि एक न्यायप्रिय राजा थे। राजा विक्रमादित्य ने कफी सोच विचार के बाद नौ धातुओं स्वर्ण, रजत, कांस्य, पीतल, सीसा, रांगा, जस्ता, अभ्रक और लौह के सिंहासन बनवाए और उनको एक क्रम से रख दिया। इसके बाद उन्होंने सभी ग्रहों को इन आसन पर बैठने को कहा। इसके साथ उन्होंने ये भी कहा कि जो सबसे बाद में बैठेगा, वह ही सबसे छोटा ग्रह होगा। राजा की बात मानकर सभी ग्रह सिंहासन पर बैठ गए। अंत में सिर्फ लोहे का सिंहासन बचा था जिस वजह से शनि देव को सबसे अंत के आसन पर बैठना पड़ा। जिस पर वह नाराज हो गए। क्रोधित शनि देव ने राजा विक्रमादित्य से कहा कि तुमने ऐसा जानकर किया है। तुम जानते नहीं हो कि जब शनि की दशा आती है तो बड़े से बड़े व्यक्ति का विनाश हो जाता है। जब शनि की साढ़ेसाती आई तो राम भगवान को वनवास हुआ तो वहीं जब रावण पर शनि की महादशा शुरू हुई तो उसका सर्वनाश हो गया। अब तुम सावधान रहना। शनिवार व्रत की पूरी कथा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
शनिवार व्रत का महत्व (Shaniwar Vrat Ka Mahatva)
शनि के प्रकोप से बचने के लिए शनिवार व्रत का पालन किया जाता है। मान्यताओं अनुसार शनि दोष की वजह से व्यक्ति को जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ये व्रत उसी दोष से मुक्ति दिलाता है। ज्योतिषीय दृष्टि कोण से देखें तो शनि व्रत कुंडली में पीड़ित शनि ग्रह को मजबूत करता है।
शनिवार के मंत्र (Shaniwar Mantra)
शनि का वैदिक मंत्र: ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।
शनि का तांत्रिक मंत्र: ॐ शं शनैश्चराय नमः।।
शनि का बीज मंत्र: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
शनिवार व्रत कितने रखने चाहिए (Shaniwar Vrat Kitne Rakhne Chahiye)
शनिवार के कम से कम सात व्रत तो जरूर रखने चाहिए। इस व्रत के दौरान आपको शनि देवता की विधि विधान पूजा करनी होगी। सात व्रत पूरे होने के बाद व्रत का उद्यापन जरूर करें।
शनिवार व्रत उद्यापन विधि (Shaniwar Vrat Udyapan Vidhi)- शनिवार व्रत उद्यापन के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
- इसके बाद पूजा के लिए ब्राह्मण द्वारा चार द्वारो का मंडप तैयार करें।
- फिर वेदी बनाकर देवताओं का आह्नान किया जाता है और इसके बाद कलश की स्थापना होती है।
- इसके बाद गंध, पुष्प, फल, धूप, नैवेद्य, दक्षिणा, फूल आदि देवताओं को अर्पित करें।
- फिर शनि देव की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराए।
- इसके बाद विधि विधान हवन करें।
- हवन की समाप्ति के बाद शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करें।
- ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिण देकर विदा करें।
- इसके बाद भोजन कर लें।
शनिवार की आरती (Shaniwar Aarti)
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
शनिवार व्रत में क्या खा सकते हैं (Shaniwar Vrat Me Kya Khana Chahiye)
शनिवार व्रत में फलाहार ले सकते हैं। लेकिन अन्न का सेवन नहीं करना है। फिर शाम में काली उड़द की दाल की खिचड़ी खाकर व्रत खोल लेना है।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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