Sharad Purnima 2022: शरद पूर्णिमा पर करें चंद्र देव चालीसा का पाठ, जानिए कब होता है व्रत का पारण
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शरद पूर्णिमा 2022 मुहूर्त (Sharad Purnima 2022 Time): पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 9 अक्टूबर को 03 बजकर 41 मिनट पर होगा और इसकी समाप्ति 10 अक्टूबर को 02 बजकर 24 मिनट पर हो रही है। शरद पूर्णिमा के दिन चांद निकलने का समय शाम 5 बजकर 41 मिनट का है।
शरद पूर्णिमा पूजा विधि (Sharad Purnima Puja Vidhi):
- शरद पूर्णिमा वाले दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और पवित्र नदी, जलाश्य या कुंड में स्नान करें।
- इसके बाद अपने आराध्य देव को सुंदर वस्त्र, आभूषण अर्पित करके विधि विधान पूजा करें।
- रात के समय गाय के दूध से खीर तैयार करें। फिर इस खीर का भगवान को भोग लगाएं।
- रात में चंद्रमा के आकाश के मध्य स्थित होने पर चंद्र देव का पूजन करें और उन्हें खीर का नेवैद्य अर्पण करें।
- रात में खीर से भरा बर्तन चांद की रोशनी में रख दें।
- दूसरे दिन इस खीर को प्रसाद के रूप में सभी में वितरित कर दें।
- अगर पूर्णिमा का व्रत करते हैं तो इस दिन कथा जरूर सुनें।
- इस दिन भगवान शिव-पार्वती और भगवान कार्तिकेय की भी पूजा होती है।
शरद पूर्णिमा की हार्दिक बधाई
शरद पूर्णिमा की रात्रि है सबसे सुन्दरबरसे देवताओं का प्यार और आशीर्वादबनकर चन्द्रमा की चांदनी और मां लक्ष्मी का प्यारशुभ हो आपके लिए शरद पूर्णिमा का त्यौहार!संग गोपियां राधा चली कृष्ण के द्वारकान्हा के सांवले रंग की बिखरे छटा अपारपूर्णिमा के उज्जवल प्रकाश में मिली वो कृष्ण सेरास लीला आज होगी और नाचेगा सारा संसारशरद पूर्णिमा की हार्दिक बधाई।शुभ शरद पूर्णिमा 2022
अश्विन मास की पूर्णिमा का रंग है निरालाइस दिन चमके चंद्रमा सबसे प्याराबिखेर कर अपनी चांदनी दे हमकोवो अपना आशीर्वादये है हमारी कामना इस सालशुभ शरद पूर्णिमा 2022आधी रात को भगवान को भोग लगाएं
अब भगवान को वस्त्र, इत्र, अक्षत, पुष्प, दीप, नैवेद्य, सुपारी या पान और दक्षिणा अर्पित करें। भोग के लिए इस दिन गाय के दूध से खीर तैयार करें और फिर इसमें घी और चीनी मिलाकर आधी रात को भगवान को भोग लगाएं। रात में चंद्र देव की पूजा करें और उन्हें खीर का भोग लगाएं। अब खीर के बर्तन को चांद की रोशनी में पूरी रात के लिए रख दें। अगले दिन इस खीर का खुद भी सेवन करें और दूसरों को भी प्रसाद स्वरूप इसे बाटेंSharad Purnima Puja Vidhi: शरद पूर्णिमा पूजा विधि
इस दिन पवित्र नदी, तालाब या सरोवर में स्नान करें। फिर देवताओं की मूर्तियों को वस्त्र और गहनें पहनाएं। इसके पश्चात पूजा के आरंभ से पहले शरीर के शुद्धिकरण की प्रक्रिया पूरी करें। फिर देवी-देवताओं के सामने हाथ जोड़कर उनका आवाहन करें।sharad purnima 2022: अच्छा स्वास्थ्य और धन-धान्य की होती है प्राप्ति
रात के समय चंद्र देव की पूजा करके उन्हें नैवेद्य के रूप में खीर का भोग लगाएं। फिर उस खीर को चांद की रोशनी के नीचे पूरे रात के लिए रख दें। फिर अगले दिन सुबह उस खीर का सेवन करें। मान्यता है ऐसा करने से व्यक्ति को अच्छा स्वास्थ्य और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।Sharad Purnima 2022 Time: शरद पूर्णिमा/अश्विन पूर्णिमा 2022 मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 9 अक्टूबर 2022 की सुबह 3 बजकर 44 मिनट सेपूर्णिमा तिथि समाप्त: 10 अक्टूबर 2022 की सुबह 2 बजकर 26 मिनट तकजानिए कब होता है व्रत का पारण
शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय के बाद महिलाएं व्रत का पारण करती हैं। वहीं, कई महिलाएं पूर्णिमा तिथि के समापन पर व्रत का पारण करती हैं। शरद पूर्णिमा की तिथि 10 अक्टूबर 2022 की सुबह 2 बजकर 26 मिनट को समाप्त होगी।गंगाजल छिड़ककर तुलसी दल चढ़ाएं
शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा भगवान विष्णु के साथ करें। उन्हें एक चौकी में लाल आसन बिछाकर बिठाएं। इसके बाद गंगाजल छिड़ककर तुलसी दल चढ़ाएं।न पहनें काले रंग के कपड़े
शरद पूर्णिमा के दिन काले रंग का बिल्कुल भी प्रयोग न करें। इस दिन केवल सफेद रंग के ही कपड़े पहनें।हनुमानजी के सामने जलाएं चौमुखी दीपक
शरद पूर्णिमा की रात को हनुमान जी के सामने चौमुखी दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है। इससे आपके आस-पास मौजूद नकारात्मक शक्तियां खत्म हो जाएंगी। इससे तरक्की और सुख शांति भी आती है।ब्रह्मचर्य का करने चाहिए पालन
शरद पूर्णिमा के दिन व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इसके अलावा झगड़ा या कलह से बचना चाहिए। इसके अलावा इस दिन तामसिक भोजन भी नहीं करना चाहिए।Sharad Purnima Shubh Yog: बन रहे हैं ये तीन शुभ योग
शरद पूर्णिमा पर तीन शुभ योग बन रहे हैं। गजकेसरी योग: विधि-विधान पूजा करने वाले जातक के जीवन में आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।बुधादित्य राजयोग: अत्यंत शुभ माना जाता है ये योग।सर्वार्थ सिद्धि योग: खरीदारी और मांगलिक कार्यों के लिए होता है शुभ।Chandra Dev Chalisa Lyrics: जानिए चंद्र देव चालिसा के लिरिक्स हिंदी में
दोहा-शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूं प्रणाम।उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।।सर्व साधु और सरस्वती, जिन मंदिर सुखकर।चन्द्रपुरी के चन्द्र को, मन मंदिर में धार।।।। चौपाई ।।जय-जय स्वामी श्री जिन चन्दा, तुमको निरख भये आनन्दा। तुम ही प्रभु देवन के देवा, करूँ तुम्हारे पद की सेवा।।वेष दिगम्बर कहलाता है, सब जग के मन भाता है। नासा पर है द्रष्टि तुम्हारी, मोहनि मूरति कितनी प्यारी।।तीन लोक की बातें जानो, तीन काल क्षण में पहचानो। नाम तुम्हारा कितना प्यारा , भूत प्रेत सब करें निवारा।।तुम जग में सर्वज्ञ कहाओ, अष्टम तीर्थंकर कहलाओ।। महासेन जो पिता तुम्हारे, लक्ष्मणा के दिल के प्यारे।।तज वैजंत विमान सिधाये , लक्ष्मणा के उर में आये। पोष वदी एकादश नामी , जन्म लिया चन्दा प्रभु स्वामी।।मुनि समन्तभद्र थे स्वामी, उन्हें भस्म व्याधि बीमारी। वैष्णव धर्म जभी अपनाया, अपने को पण्डित कहाया।।कहा राव से बात बताऊं , महादेव को भोग खिलाऊं। प्रतिदिन उत्तम भोजन आवे , उनको मुनि छिपाकर खावे।।इसी तरह निज रोग भगाया , बन गई कंचन जैसी काया। इक लड़के ने पता चलाया , फौरन राजा को बतलाया।।तब राजा फरमाया मुनि जी को , नमस्कार करो शिवपिंडी को। राजा से तब मुनि जी बोले, नमस्कार पिंडी नहिं झेले।।राजा ने जंजीर मंगाई , उस शिवपिंडी में बंधवाई। मुनि ने स्वयंभू पाठ बनाया , पिंडी फटी अचम्भा छाया।।चन्द्रप्रभ की मूर्ति दिखाई, सब ने जय-जयकार मनाई। नगर फिरोजाबाद कहाये , पास नगर चन्दवार बताये।।चन्द्रसैन राजा कहलाया , उस पर दुश्मन चढ़कर आया। राव तुम्हारी स्तुति गई , सब फौजो को मार भगाई।।दुश्मन को मालूम हो जावे , नगर घेरने फिर आ जावे। प्रतिमा जमना में पधराई , नगर छोड़कर परजा धाई।।बहुत समय ही बीता है कि , एक यती को सपना दीखा। बड़े जतन से प्रतिमा पाई , मन्दिर में लाकर पधराई।।वैष्णवों ने चाल चलाई , प्रतिमा लक्ष्मण की बतलाई। अब तो जैनी जन घबरावें , चन्द्र प्रभु की मूर्ति बतावें।।चिन्ह चन्द्रमा का बतलाया , तब स्वामी तुमको था पाया। सोनागिरि में सौ मन्दिर हैं , इक बढ़कर इक सुन्दर हैं।।समवशरण था यहां पर आया , चन्द्र प्रभु उपदेश सुनाया। न्द्र प्रभु का मंदिर भारी , जिसको पूजे सब नर - नारी।।सात हाथ की मूर्ति बताई , लाल रंग प्रतिमा बतलाई। मंदिर और बहुत बतलाये , शोभा वरणत पार न पाये।।पार करो मेरी यह नैया , तुम बिन कोई नहीं खिवैया। प्रभु मैं तुमसे कुछ नहीं चाहूं , भव - भव में दर्शन पाऊँ।।मैं हूं स्वामी दास तिहारा , करो नाथ अब तो निस्तारा। स्वामी आप दया दिखलाओ , चन्द्रदास को चन्द्र बनाओ।।।।सोरठ।।नित चालीसहिं बार , पाठ करे चालीस दिन। खेय सुगन्ध अपार , सोनागिर में आय के।।होय कुबेर सामान , जन्म दरिद्री होय जो। जिसके नहिं संतान , नाम वंश जग में चले।।Sharad Purnima Kheer Recipe: ड्राई फ्रूट से गार्निश करें
खीर के गाढ़ा हो जाने पर इसमें केसर मिला हुआ दूध डालें। उसके बाद इलायची पाउडर मिलाएं। अच्छी तरह से हिलाएं और 7 मिनट और पकाएं। खीर तैयार है। इसमें आधा कप चीनी मिलाएं। चीनी घुलने तक धीमी आंच पर 1 से 2 मिनट तक पकाएं। खीर तैयार है। खीर को बाउल में निकाल कर ड्राई फ्रूट से गार्निश करें।Sharad Purnima Kheer Recipe: धीमी आंच पर 10 मिनट तक पकाएं
खीर को 10 मिनट तक पकाने के बाद उसमें कटे हुए मेवे डाल दें। गार्निशिंग के लिए थोड़े सूखे मेवे रखें। अब नियमित रूप से हिलाएं और धीमी से मध्यम आंच पर लगभग 10 मिनट तक पकाएं।Sharad Purnima Kheer Recipe: 10 मिनट तक खीर को पकाएं
बासमती चावल को धो लें और इसे 30 मिनट के लिए पानी में भिगो दें। दूध में उबाल आने पर चावल डालें। नियमित अंतराल पर अच्छी तरह से हिलाएं। खीर को 10 मिनट तक पकाने के बाद उसमें कटे हुए मेवे डाल दें।Sharad Purnima Kheer Recipe: खीर बनाने की विधि
केसरिया खीर बनाने के लिए एक लीटर दूध को धीमी आंच पर गरम होने के लिये गैस पर चढ़ा दें। 10 से 12 बादाम लें, और छोटे टुकड़ों में काट लें। बादाम के 7 से 8 टुकड़े करें। 10 से 12 काजू लें, काजू को काट लें। 6 छोटी इलायची लें और उससे पाउडर बनाएं।Sharad Purnima Kheer: शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने की सामग्री
चावल की केसरिया खीर के लिये सामग्रीबासमती टूटा हुआ- (¼ कप (50 ग्राम)चीनी - ½ कप (100 ग्राम)किशमिश - 2 बड़े चम्मचबादाम - 10 से 12काजू - 10 से 12हरी इलायची - 5 से 6केसर के धागे - 40 से 50 (थोड़े से दूध में भिगोए हुए)दूध - 1 लीटरSharad Purnima: उत्तर दिशा की तरफ मुंह कर बैठ जाएं
रात 11 बजे से लेकर रात 1 बजे के बीच गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करने के बाद खुले आसमान के नीचे कुश के आसान पर उत्तर की ओर मुख कर बैठ जाएं।Sharad Purnima: मानसिक कष्ट पर करें ये उपाय
Sharad Purnima 2022: आपको मानसिक कष्ट हो या फिर डिप्रेशन तो आपको इस दिन चंद्रमा को टकटकी लगाकर देखना चाहिए। यह उपाय आपके चंद्र को मजबूत बनता है। चन्द्रमा को देसी गाय के दूध का अर्घ्य देने के साथ ही खीर का भोग लगाना चाहिए।शरद पूर्णिमा पर करें इन मंत्रों का जाप
1. ॐ चं चंद्रमस्यै नम:2. दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम। नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।3. ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।4. ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।5. ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विद्महे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्।'ऊं चंद्राय नमः' मंत्र का करें जाप
जप पूरा होने के बाद चांदी के किसी बर्तन में शुद्ध जल या देशी गाय के दूध से चंद्रदेव को अर्घ्य दें और “ऊं चंद्राय नमः” का जाप करें। इससे सुख सौभाग्य में निरंतर वृद्धि होती रहती है।चंद्रदेव को धूप और पुष्प करें अर्पित
सबसे पहले चंद्रदेव को धूप-दीप और पुष्प अर्पित कर प्रणाम करें। फिर सफेद वस्त्र पहनकर चन्द्रमा का ध्यान करें और इसके बाद तुलसी या कमल गट्टे की माला से मंत्र का जाप करें।पानी में गंगा जल मिलाकर करें स्नान
आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के पर्व के रूप में मनाया जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त पर उठकर किसी पवित्र नदी पर स्नान करना चाहिए। यदि नदी पर स्नान नहीं कर सकते तो घर पर ही पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। उसके पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण कर एक लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और गंगाजल से शुद्ध करें। चौकी के ऊपर माता लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करें। फिर धूप-दीप, फूल, खीर का नैवेद्य, सुपारी आदि से माँ लक्ष्मी की विधिवत पूजा अर्चना करें।गेहूं के 13 दाने हाथ में लेकर सुनें कथा
व्रत सुनने से लिए एक लोटे में जल तथा गिलास में गेहूं, पत्ते के दोने में रोली तथा चावल रखकर कलश की वंदना करके दक्षिणा चढ़ाएं। फिर तिलक करने के बाद गेहूं के 13 दाने हाथ में लेकर कथा सुनें। इसके बाद गेहूं के गिलास पर हाथ फेरकर मिश्राणी के पांव का स्पर्श करके गेहूं का गिलास उन्हें दे दें। साथ ही जो लोटे में जल है उसे रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद खीर का भोग लगाकर चांड की रोशनी में रख दें और दूसरें दिन इस खीर को प्रसाद के रूप में खाएं।शरद पूर्णिंमा का व्रत कथा
एक साहूकार के दो पुत्रियां थी। दोनों पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थी, परन्तु बड़ी पुत्री विधिपूर्वक पूरा व्रत करती थी जबकि छोटी पुत्री अधूरा व्रत ही किया करती थी। परिणामस्वरूप साहूकार के छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी। उसने पंडितों से अपने संतानों के मरने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि पहले समय में तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत किया करती थी, जिस कारणवश तुम्हारी सभी संतानें पैदा होते ही मर जाती है। फिर छोटी पुत्री ने पंडितों से इसका उपाय पूछा तो उन्होंने बताया कि यदि तुम विधिपूर्वक पूर्णिमा का व्रत करोगी, तब तुम्हारे संतान जीवित रह सकते हैं। साहूकार की छोटी कन्या ने उन भद्रजनों की सलाह पर पूर्णिमा का व्रत विधिपूर्वक संपन्न किया। फलस्वरूप उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई परन्तु वह शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त हो गया। तब छोटी पुत्री ने उस लड़के को पीढ़ा पर लिटाकर ऊपर से पकड़ा ढंक दिया। फिर अपनी बड़ी बहन को बुलाकर ले आई और उसे बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया।बड़ी बहन जब पीढ़े पर बैठने लगी तो उसका घाघरा उस मृत बच्चे को छू गया, बच्चा घाघरा छूते ही रोने लगा। बड़ी बहन बोली- तुम तो मुझे कलंक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से तो तुम्हारा यह बच्चा यह मर जाता। तब छोटी बहन बोली- बहन तुम नहीं जानती, यह तो पहले से ही मरा हुआ था, तुम्हारे भाग्य से ही फिर से जीवित हो गया है। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। इस घटना के उपरान्त ही नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया।इस दिन तांबे के बर्तन में देशी घी भरकर किसी ब्राह्मण को दान करने और साथ में दक्षिणा भी देने से बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है और धन लाभ होता है। इस दिन ब्राह्मण को खीर, कपड़े आदि का दान भी करना बहुत शुभ रहता है। साथ ही इस दिन श्रीसूक्त, लक्ष्मीसत्रोत का पाठ एवं हवन करना भी बेहद शुभ माना जाता है। शाम को 100 या इससे अधिक घी के दीपक जलाकर घर के पूजा स्थान, छत, गार्डन, तुलसी के पौधे, चारदिवारी आदि के पास रखें। इससे मां लक्ष्मी की आप पर असीम कृपा हो होगी।Sharad Purnima 2022 Time: शरद पूर्णिमा 2022 पर चंद्रोदय समय
शरद पूर्णिमा पर इस साल चंद्रोदय शाम 05:51 बजे होगा। इसके बाद चंद्र भगवान को अर्घ्य देकर आप व्रत खोल सकते हैं।Sharad Purnima Date 2022 in India: भारत में शरद पूर्णिमा तिथि
पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। इस साल शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर को मनाई जाए या 10 को , इसको लेकर लोगों में फिर से संशय बना हुआ है।भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान कार्तिकेय की करें पूजा
फिर रात में चंद्रमा के आकाश के मध्य में स्थित होने पर चंद्र देव का पूजन करें और उन्हें खीर अर्पित करें। रात को खीर से भरा बर्तन चांद की चांदनी में रख दें और फिर अगले दिन उसे प्रसाद के रूप में सभी में वितरित करें। पूर्णिमा का व्रत रखने वाले इस दिन व्रत कथा जरूर सुनें। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान कार्तिकेय की पूजा का भी विधान है।शरद पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें और पवित्र नदी में स्नान करें। फिर आराध्य देव को सुंदर वस्त्र और आभूषण पहनाएं। आवाहन, आसन, आचमन, वस्त्र, धूप, दीप, नैवेद्य, गंध, अक्षत, पुष्प, तांबूल, सुपारी और दक्षिणा आदि अर्पित कर पूजन करें। रात के समय खीर में घी और चीनी मिलाकर भगवान भोग लगाएं।शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी के नीचे क्यों रखी जाती है खीर?
शरद पूर्णिमा पर रातभर खुले आसमान के नीचे खीर रखे जाने की परंपरा है। ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि चांद की रोशनी में शरद पूर्णिमा पर खीर रखने से खीर के अंदर औषधीय गुण आ जाते हैं। फिर अगले दिन सुबह के समय इस खीर का सेवन करने से अच्छी सेहत प्राप्त होती है। धार्मिक मान्याओं अनुसार चन्द्रमा को मन और औषधि का देवता माना जाता है। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर पृथ्वी पर अमृत बरसाता है। जिससे खुले आसमान के नीचे इस दिन खीर रखने से चन्द्रमा की किरणें उस खीर पर पड़ती है तो ये खीर अमृत तुल्य हो जाती है जिसको प्रसाद रूप ग्रहण करने से व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है।भगवान को चढ़ाएं गुलाब की माला
चाहें तो इस दिन मधुराष्टक का भी कम से कम 3 बार पाठ कर सकते हैं। इसके बाद भगवान से अपने मनचाहे जीवनसाथी को पाने की प्रार्थना करें। ध्यान रखें कि भगवान को चढ़ाई गयी गुलाब की माला को अपने पास सुरक्षित रख लें।प्यार में सफलता पाने के लिए जरूर करें ये उपाय
शाम में भगवान राधा-कृष्ण की पूजा करें। राधा-कृष्ण को गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें। मध्य रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दें। फिर “ॐ राधावल्लभाय नमः” मंत्र की कम से कम तीन माला जपें।धन प्राप्ति के लिए जरूर करें ये उपाय
रात में मां लक्ष्मी के समक्ष घी का दीपक जरूर जलाएं। मां को गुलाब के फूलों की माला चढ़ाएं। माता लक्ष्मी को सफेद रंग के फूल और सफेद मिठाई और सुगन्धित फूल अर्पित करें। इसके बाद “ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मये नमः” मंत्र का जाप करते हुए कम से कम 11 माला का जाप जरूर करें।चंद्रमा के मंत्र का करें जाप
मध्य रात्रि में जब चंद्रमा पूर्ण रूप से उदित हो तब चंद्र देव की अराधना करें। पूजा के समय चंद्रमा के मंत्र “ॐ सोम सोमाय नमः” का जाप जरूर करें। फिर खीर को चंद्रमा की रोशनी में रात भर के लिए किसी कांच, मिट्टी या चाँदी के ही बर्तन में रखें। फिर अगले दिन उठें और इस खीर को खुद ही सेवन करें और घर के अन्य सदस्यों को भी खाने को दें।भगवान कृष्ण की विधिवत करें पूजा
आश्विन मास की पूर्णिमा का खास महत्व माना जाता है। इस पूर्णिमा को अधिकतर लोग शरद पूर्णिमा के नाम से जानते हैं। रात के समय गाय के दूध की खीर बनाएं और उसमें घी अवश्य डालें। भगवान कृष्ण की विधिवत पूजा करें और उन्हें खीर का भोग अर्पित करें।आज के अशुभ मुहूर्त-
राहुकाल- 04:31 पी एम से 05:58 पी एमयमगण्ड- 12:08 पी एम से 01:36 पी एमआडल योग- 04:21 पी एम से 06:19 ए एम, अक्टूबर 10दुर्मुहूर्त- 04:25 पी एम से 05:11 पी एमगुलिक काल- 03:03 पी एम से 04:31 पी एमभद्रा- 06:18 ए एम से 02:59 पी एमवर्ज्य- 04:11 ए एम, अक्टूबर 10 से 05:46 ए एम, अक्टूबर 10पञ्चक- पूरे दिनगण्ड मूल- 04:21 पी एम से 06:19 ए एम, अक्टूबर 10आज के शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:40 ए एम से 05:29 ए एमअभिजित मुहूर्त- 11:45 ए एम से 12:31 पी एमविजय मुहूर्त- 02:05 पी एम से 02:51 पी एमगोधूलि मुहूर्त- 05:46 पी एम से 06:10 पी एमअमृत काल- 11:42 ए एम से 01:15 पी एमनिशिता मुहूर्त- 11:44 पी एम से 12:33 ए एम, अक्टूबर 10सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:18 ए एम से 04:21 पी एमसूर्य और चंद्रमा का समय
सूर्योदय - 6:18 AMसूर्यास्त - 5:58 PMचन्द्रोदय - Oct 09 5:51 PMचन्द्रास्त - नहींSharad Purnima 2022: शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं
शरद पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर आप इन मैसेज, कोट्स के जरिए अपनों को शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं दे सकते हैं।शरद पूर्णिमा की रात्रि है सबसे सुंदरबरसे देवताओं का प्यार और आशीर्वादबनकर चंद्रमा की चांदनी और मां लक्ष्मी का प्यारशरद पूर्णिमा 2022 की शुभकामनाएंसर नवा कर शरद पूर्णिमा के चंद्रमा का आशीर्वाद पाएंजीवन को सुखी और समृद्ध बना© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited