Sharad Purnima 2022 Date: जानें शरद पूर्णिमा में रात भर खुले आसमान के नीचे क्यों रखी जाती है खीर
Sharad Purnima 2022 Date: उत्तर और मध्य भारत में शरद पूर्णिमा के दिन दूध की खीर बनाकर रात भर के लिए चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है।



शरद पूर्णिमा इस बार 9 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
- शरद पूर्णिमा को कोजागर व्रत माना गया है, साथ ही इसको कौमुदी व्रत भी कहते हैं। इस बार शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर को पड़ रही है।
- शरद पूर्णिमा की रात्रि को दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है।
- मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें खीर में पड़ने से ये खीर कई गुना गुणकारी और लाभकारी हो जाती है।
Sharad Purnima 2022 Date, Puja Vidhi, Significance: आश्विन मास की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा बेहद ही खास मानी जाती है। ये पूर्णिमा अमृत बरसाने वाली मानी जाती है। इस दिन चंद्रमा की कलाएं पूर्ण होती हैं। इस पूर्णिमा पर दान पुण्य करने और पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व बताया जाता है। इस साल शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर दिन रविवार को पड़ रही है। उत्तर और मध्य भारत में शरद पूर्णिमा के दिन रात भर दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है। जानिए ऐसा करने के पीछे क्या है कारण।
शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी के नीचे क्यों रखी जाती है खीर?
शरद पूर्णिमा पर रातभर खुले आसमान के नीचे खीर रखे जाने की परंपरा है। ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि चांद की रोशनी में शरद पूर्णिमा पर खीर रखने से खीर के अंदर औषधीय गुण आ जाते हैं। फिर अगले दिन सुबह के समय इस खीर का सेवन करने से अच्छी सेहत प्राप्त होती है। धार्मिक मान्याओं अनुसार चन्द्रमा को मन और औषधि का देवता माना जाता है। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर पृथ्वी पर अमृत बरसाता है। जिससे खुले आसमान के नीचे इस दिन खीर रखने से चन्द्रमा की किरणें उस खीर पर पड़ती है तो ये खीर अमृत तुल्य हो जाती है जिसको प्रसाद रूप ग्रहण करने से व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है।
शरद पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि:
- सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें और पवित्र नदी में स्नान करें।
- फिर आराध्य देव को सुंदर वस्त्र और आभूषण पहनाएं। आवाहन, आसन, आचमन, वस्त्र, धूप, दीप, नैवेद्य, गंध, अक्षत, पुष्प, तांबूल, सुपारी और दक्षिणा आदि अर्पित कर पूजन करें।
- रात के समय खीर में घी और चीनी मिलाकर भगवान भोग लगाएं।
- फिर रात में चंद्रमा के आकाश के मध्य में स्थित होने पर चंद्र देव का पूजन करें और उन्हें खीर अर्पित करें।
- रात को खीर से भरा बर्तन चांद की चांदनी में रख दें और फिर अगले दिन उसे प्रसाद के रूप में सभी में वितरित करें।
- पूर्णिमा का व्रत रखने वाले इस दिन व्रत कथा जरूर सुनें।
- इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान कार्तिकेय की पूजा का भी विधान है।
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