शरद पूर्णिमा का व्रत आज, यहां जानें कथा, पूजा विधि और लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त

Sharad purnima 2023 Date, Time, Puja Vidhi, Vrat Katha: शरद पूर्णिमा पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
इस साल शरद पूर्णिमा व्रत 28 अक्टूबर को पड़ा है। हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। शरद पूर्णिमा की रात को लोग खीर बनाते हैं और उसे रात भर के लिए चांद की रोशनी में छोड़ देते हैं (Sharad Purnima Kheer Kab Banaye)। फिर अगले दिन सुबह के समय इस खीर को प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है। मान्यता है शरद पूर्णिमा की रात में आसमान से अमृत बरसता है और जब चंद्रमा की किरणें इस खीर में पड़ती हैं तो यह कई गुना गुणकारी और लाभदायक हो जाती है। ऐसे में इस खीर का सेवन करने से शरीर को कई फायदे होते हैं।
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Sharad Purnima 2023 Puja Time (शरद पूर्णिमा पूजा मुहूर्त 2023)
शरद पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 28 अक्टूबर 2023 को 04:17 AM बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 29 अक्टूबर 2023 को 01:53 AM बजे
शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय - 05:20 PM
रवि योग - 06:30 AM से 07:31 AM
Sharad Purnima Par Kya Kare (शरद पूर्णिमा पर क्या करें)
-शरद पूर्णिमा के दिन अनेक तरह के धार्मिक अनुष्ठान किये जाते हैं।
-इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ भगवान कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है।
-शरद पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी, तालाब या सरोवर में स्नान करें और फिर व्रत का संकल्प लें।
-इसके बाद देवताओं की मूर्तियों को वस्त्र और गहनें पहनाएं।
-फिर आचमन करने के बाद देवी-देवताओं के सामने हाथ जोड़कर उनका आवाहन करें।
-भगवान को वस्त्र, इत्र, अक्षत, पुष्प, दीप, नैवेद्य, तांबूल और दक्षिणा आदि अर्पित करें।
-इसके बाद गाय के दूध से खीर तैयार करें और फिर इसमें घी और चीनी मिलाकर आधी रात के सम. भगवान को भोग लगाएं।
-रात में चंद्र देव की पूजा करें और उन्हें खीर का भोग लगाएं।
-अब खीर के बर्तन को चांद की रोशनी में रख दें। फिर अगले दिन इसका सेवन करें और इसे सभी में बांट दें।
शरद पूर्णिमा की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत कथा, मंत्र, उपाय, खीर रखने का समय से लेकर हर जरूरी बातें जानने के लिए बने रहिए हमारे इस लाइव ब्लॉग पर।
Sharad Purnima Ki Kheer Kab Banaye 2023 (शरद पूर्णिमा की खीर बनाने का समय)
पंडित सुजीत जी महाराज अनुसार इस साल शरद पूर्णिमा की खीर चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद बनाई जाएगी। चंद्र ग्रहण की समाप्ति 28 अक्टूबर की मध्य रात्रि करीब 02 बजकर 22 मिनट पर होगी। इसके बाद ही आप शरद पूर्णिमा की खीर बनाएं और उसे खुले आसमान के नीचे रख दें ताकि उसमें चंद्रमा की रोशनी पड़े, बाद में इस खीर को खा लें।Sharad Purnima Par Kheer Banane Ka Mahatva (शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने का महत्व)
इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है और देखने में बहुत ही सुंदर लगता है। मान्यता है शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत के समान होती है और यही वजह है कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर रखी जाती है। ताकी खीर में चंद्रमा की रोशनी पड़े और इसमें भी अमृत का प्रभाव हो सके। कहते हैं शरद पूर्णिमा की खीर सेहत के लिए बहुत की लाभकारी होती है।शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का समय
रविवार 29 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 35 मिनट पर सूर्योदयचंद्रोदय का समय 28 अक्टूबर शनिवार शाम में 5 बजकर 20 मिनटचंद्रग्रहण का सूतक काल शाम में 4 बजकर 12 मिनट से आरंभ हो जाएगा।चंद्रग्रहण आरंभ होने का समय रात में 1 बजकर 5 मिनट से होगा और 2 बजकर 24 मिनट पर ग्रहण समाप्त हो जाएगा।शरद पूर्णिमा आरती: Sharad Purnima Aarti
ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता ।तुमको निसदिन सेवत,हर विष्णु विधाता ॥उमा, रमा, ब्रम्हाणी,तुम ही जग माता ।सूर्य चद्रंमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥दुर्गा रुप निरंजनि,सुख-संपत्ति दाता ।जो कोई तुमको ध्याता,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥तुम ही पाताल निवासनी,तुम ही शुभदाता ।कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,भव निधि की त्राता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥जिस घर तुम रहती हो,ताँहि में हैं सद्गुण आता ।सब सभंव हो जाता,मन नहीं घबराता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥तुम बिन यज्ञ ना होता,वस्त्र न कोई पाता ।खान पान का वैभव,सब तुमसे आता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥शुभ गुण मंदिर सुंदर,क्षीरोदधि जाता ।रत्न चतुर्दश तुम बिन,कोई नहीं पाता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता ।उँर आंनद समाता,पाप उतर जाता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता ।तुमको निसदिन सेवत,हर विष्णु विधाता ॥शरद पूर्णिमा का व्रत कैसे खोला जाता है?
इसस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है।इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें।शरद पूर्णिमा की रात को क्या करना चाहिए?
यह धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है और सबसे पवित्र दिन माना जाता है। इस वर्ष, शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर, 2023 को मनाई जाएगी । लोग इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं और भगवान कृष्ण और देवी राधा की पूजा करते हैं। भक्त व्रत भी रखते हैं और सत्यनारायण व्रत जैसे अनुष्ठान भी करते हैं।शरद पूर्णिमा पर क्या करें What to do on Sharad Purnima
इस दिन पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ व्रत रखें।भगवान विष्णु की पूजा करें।भगवान कृष्ण और माता राधा की पूजा करें, क्योंकि यह दिन उन्हें भी समर्पित है।चंद्र ग्रहण के कारण भगवान शिव की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।इस दौरान मंत्र जाप करें, जो बेहद लाभकारी होगा।भगवान को भोग लगाना भी पुण्यदायी माना जाता है।ग्रहण शुरू होने से पहले खीर बनाकर चंद्रमा के नीचे रखें।इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।शरद पूर्णिमा के दिन ना करें ये काम
तामसिक भोजन का सेवन ना करें: शरद पूर्णिमा के दिन मांस-मदिरा के सेवन से बचना चाहिए। इसके अलावा इस भोजन में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है। दूध का लेन-देन: मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन दूध न तो खरीदना चाहिए और न ही बेचना चाहिए।शरद पूर्णिमा व्रत कथा (Sharad Purnima vrat katha)
पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक साहूकार की दो पुत्रियां थी। दोनों ही पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। बड़ी पुत्री व्रत पूरा करती थी, लेकिन छोटी पुत्री व्रत को बीच में ही अधूरा छोड़ देती थी। जिसके कारण छोटी पुत्री को संतान प्राप्ति में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। उसकी संतान जन्म लेते ही मृत्यु को प्राप्त हो जाती थी। जब छोटी पुत्री ने पंडितों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि ऐसा तुम्हारे व्रत अधूरा छोड़ने के कारण हो रहा है। वहीं, इसका उपाय पूछने पर उन्होंने बताया कि यदि तुम पूर्णिमा व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ करोगी तो निश्चित ही तुम्हें संतान की प्राप्ति होगी। पंडितों की सलाह पर उसने पूरे विधान के साथ पूर्णिमा का पूरा किया। जिसके परिणामस्वरूप उसके यहां बेटा हुआ। लेकिन कुछ समय बाद वह भी मर गया। इसके बाद उसने बच्चे की देह को एक पाटे (पीढ़ा) पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढक दिया। फिर वह अपनी बड़ी बहन को बुलाकर लाई और उसे उस उसी पाटे पर बिठाने लगी। बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी जो उसका लहंगा बच्चे का छू गया और वह जीवित होकर रोने लगा। यह देखकर उनकी बड़ी बहन ने कहा कि तू मुझे कलंक लगाना चाहती थी, मेरे बैठने से यह मर जाता। इस पर छोटी बहन ने उत्तर दिया कि यह बच्चा तो पहले से ही मृत था, बल्कि तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया। इसके बाद दोनों बहनों ने सभी नगर वासियों को शरद पूर्णिमा व्रत की महिमा और विधि बताई।शरद पूर्णिमा पर कब लगाएं खीर का भोग
चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को रात 01 बजकर 05 मिनट से शुरू होकर 02 बजकर 23 मिनट समाप्त होगा। सूतक काल 9 घंटे पहले लग जाएगा। वहीं शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर की सुबह 04 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और 28 अक्टूबर की देर रात 03 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में आज खुले आसमान में खीर का भोग नहीं लगा सकते हैं।खीर का भोग लगाने के नियम
शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर चांदनी में रखने का विशेष महत्व है। लेकिन इस साल शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगने के कारण लोग इस संशय में हैं कि खीर का भोग लगाना चाहिए या नहीं। यदि आप कुछ खास नियमों का ध्यान रखेंगे तो शरद पूर्णिमा पर खीर का भोग लगा सकते हैं।सबसे पहले तो इस बात का ध्यान रखें कि खीर के लिए आप जो दूध ला रहे हैं उसमें सूतक काल शुरू होने से पहले तुलसी के पत्ते डालकर रख दें। चंद्र ग्रहण से पहले, यानी सूतक काल में, आप खीर को चंद्रमा की रोशनी में रख सकते हैं। लेकिन याद रहे कि खीर उतनी ही बनाएं जो ग्रहण लगने से पहले समाप्त हो जाए, क्योंकि ग्रहण शुरू होने के बाद वह खीर दूषित मानी जाती है, जिसका उपभोग नहीं करना चाहिए।Sharad Purnima 2023 Mantra: शरद पूर्णिमा मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।शरद पूर्णिमा का व्रत कैसे खोला जाता है?
इसस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है।इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें।शरद पूर्णिमा पर खीर खाने के लाभ
मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा बेहद शक्तिशाली होता है। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परूअम होता है और चंद्रमा से अमृत बरसता हैं। शरद पूर्णिमा के दिन खीर जरुर बनानी चाहिए साथ ही इस खीर को खुले आसमान के नीचे जरुर रखना चाहिए। इसके सेवन से व्यक्ति को औषधीय गुण की प्राप्ति होती है। साथ ही इस खरीद के सेवन करने से व्यक्ति को धन लाभ भी मिलता है।शरद पूर्णिमा के उपवास में क्या खाना चाहिए?
इस दिन चंद्रमा की दूधिया रोशनी में दूध की खीर बनाकर रखी जाती है और बाद में इस खीर को प्रसाद की तरह खाया जाता है. मान्यता है कि इस खीर को खाने से शरीर को रोगों से मुक्ति मिलती है. शरद पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिएशरद पूर्णिमा आरती: Sharad Purnima Aarti
ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता ।तुमको निसदिन सेवत,हर विष्णु विधाता ॥उमा, रमा, ब्रम्हाणी,तुम ही जग माता ।सूर्य चद्रंमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥दुर्गा रुप निरंजनि,सुख-संपत्ति दाता ।जो कोई तुमको ध्याता,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥तुम ही पाताल निवासनी,तुम ही शुभदाता ।कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,भव निधि की त्राता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥जिस घर तुम रहती हो,ताँहि में हैं सद्गुण आता ।सब सभंव हो जाता,मन नहीं घबराता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥तुम बिन यज्ञ ना होता,वस्त्र न कोई पाता ।खान पान का वैभव,सब तुमसे आता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥शुभ गुण मंदिर सुंदर,क्षीरोदधि जाता ।रत्न चतुर्दश तुम बिन,कोई नहीं पाता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता ।उँर आंनद समाता,पाप उतर जाता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता ।तुमको निसदिन सेवत,हर विष्णु विधाता ॥Sharad Purnima Puja Vidhi: शरद पूर्णिमा पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म बेला में उठें और सबसे पहले जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रणाम करें। घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अगर सुविधा है, तो पवित्र नदी में स्नान करें। अब आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें। नवीन वस्त्र धारण कर भगवान सूर्य को जल का अर्घ्य दें। पूर्णिमा तिथि पर तिलांजलि भी की जाती है। अतः बहती जलधारा में तिल प्रवाहित करें। इसके पश्चात, पंचोपचार कर विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। अतः पीले रंग का फल, फूल, वस्त्र अर्पित करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्र जाप करें। अंत में आरती-अर्चना कर पूजा संपन्न करें। इसके बाद आर्थिक स्थिति के अनुरूप दान करें।शरद पूर्णिमा पर क्या करें : What to do on Sharad Purnima
इस दिन पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ व्रत रखें।भगवान विष्णु की पूजा करें।भगवान कृष्ण और माता राधा की पूजा करें, क्योंकि यह दिन उन्हें भी समर्पित है।चंद्र ग्रहण के कारण भगवान शिव की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।इस दौरान मंत्र जाप करें, जो बेहद लाभकारी होगा।भगवान को भोग लगाना भी पुण्यदायी माना जाता है।ग्रहण शुरू होने से पहले खीर बनाकर चंद्रमा के नीचे रखें।इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।शरद पूर्णिमा के दिन ना करें ये काम
तामसिक भोजन का सेवन ना करें: शरद पूर्णिमा के दिन मांस-मदिरा के सेवन से बचना चाहिए। इसके अलावा इस भोजन में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है। दूध का लेन-देन: मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन दूध न तो खरीदना चाहिए और न ही बेचना चाहिए।शरद पूर्णिमा की रात को क्या करना चाहिए?
यह धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है और सबसे पवित्र दिन माना जाता है। इस वर्ष, शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर, 2023 को मनाई जाएगी । लोग इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं और भगवान कृष्ण और देवी राधा की पूजा करते हैं। भक्त व्रत भी रखते हैं और सत्यनारायण व्रत जैसे अनुष्ठान भी करते हैं।Sharad Purnima 2023 Mantra: शरद पूर्णिमा मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।शरद पूर्णिमा व्रत कथा (Sharad Purnima vrat katha)
पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक साहूकार की दो पुत्रियां थी। दोनों ही पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। बड़ी पुत्री व्रत पूरा करती थी, लेकिन छोटी पुत्री व्रत को बीच में ही अधूरा छोड़ देती थी। जिसके कारण छोटी पुत्री को संतान प्राप्ति में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। उसकी संतान जन्म लेते ही मृत्यु को प्राप्त हो जाती थी। जब छोटी पुत्री ने पंडितों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि ऐसा तुम्हारे व्रत अधूरा छोड़ने के कारण हो रहा है। वहीं, इसका उपाय पूछने पर उन्होंने बताया कि यदि तुम पूर्णिमा व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ करोगी तो निश्चित ही तुम्हें संतान की प्राप्ति होगी।शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण समय
शरद पूर्णिमा पर कोजागर पूजा भी की जाती है, ये पूजा मां लक्ष्मी को समर्पित है लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा की रात 01.05 से 02.22 तक चंद्र ग्रहण का साया रहेगा. ऐेसे में कोजागरी व्रत रखने वालों को इसके बाद ही लक्ष्मी पूजा करना शुभ होगा।शरद पूर्णिम पर खीर का महत्व
इस दिन चंद्र देव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। शरद पूर्णिमा के दिन पारम्परिक रूप से दूध और चावल की खीर बनाई जाती है और उसे पूरी रात के लिए चांदनी में रखा जाता है। ऐसा करने से उस खीर में चन्द्रमा के औषधीय व दैवीय गुण आ जाते हैं, जो व्यक्ति के लिए बहुत-ही लाभकारी सिद्ध होते हैं।शरद पूर्णिमा पर क्या करें : What to do on Sharad Purnima
इस दिन पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ व्रत रखें।भगवान विष्णु की पूजा करें।भगवान कृष्ण और माता राधा की पूजा करें, क्योंकि यह दिन उन्हें भी समर्पित है।चंद्र ग्रहण के कारण भगवान शिव की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।इस दौरान मंत्र जाप करें, जो बेहद लाभकारी होगा।भगवान को भोग लगाना भी पुण्यदायी माना जाता है।शरद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त ( Sharad Purnima Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर को प्रातः काल 04 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 29 अक्टूबर को देर रात 01 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी।Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा पर करें ये उपाय
खीर खाएंऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में अमृत वर्षा होती है। इस रात को चावल की खीर बनाकर पतले सूती कपड़े से ढककर खुली हवा में रखना चाहिए। दूध, चावल और चीनी तीनों ही देवी लक्ष्मी को प्रिय हैं। चंद्रमा की किरणें जब 3-4 घंटे तक खीर पर पड़ती हैं तो वही खीर अमृत में बदल जाती है, जिसे प्रसाद के रूप में सेवन करने से व्यक्ति वर्ष भर स्वस्थ रहता है।
घर साफ करें
इस दिन देवी लक्ष्मी घर में आती हैं इस कारण इस दिन घर की अच्छे से साफ सफाई करनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है जहां साफ सफाई होती है। वहीं माता लक्ष्मी वास करती हैं।
Sharad Purnima Par Kheer Banane Ka Mahatva (शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने का महत्व)
इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है और देखने में बहुत ही सुंदर लगता है। मान्यता है शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत के समान होती है और यही वजह है कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर रखी जाती है। ताकी खीर में चंद्रमा की रोशनी पड़े और इसमें भी अमृत का प्रभाव हो सके। कहते हैं शरद पूर्णिमा की खीर सेहत के लिए बहुत की लाभकारी होती है।Sharad Purnima Vrat Vidhi (शरद पूर्णिमा व्रत विधि)
इस दिन केवल जल और फल करके ही उपवास करना चाहिए। अगर उपवास नहीं रख सकते हैं तो भी सिर्फ सात्विक भोजन ही ग्रहण करें। इस दिन संभव हो तो सफेद रंग के कपड़े पहनें।Sharad Purnima Importance In Hindi (शरद पूर्णिमा का महत्व)
सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन रात में खीर बनाई जाती है और उस खीर को चांद की रोशनी में रख दिया जाता है। फिर इसे अगले दिन सुबह-सुबह प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है। ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि जब खीर पर चंद्रमा की किरणें पड़ती हैं तो वो काफी गुणकारी हो जाती है। जिसका सेवन शरीर के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और व्रत करना शुभ माना जाता है।Sharad Purnima Vrat Katha (शरद पूर्णिमा व्रत कथा)
शरद पूर्णिमा की पौराणिक कथा भगवान श्री कृष्ण द्वारा गोपियों संग महारास रचाने से तो जुड़ी ही है लेकिन इस पूर्णिमा के महत्व को बताती हुए एक अन्य कथा भी मिलती है आइए जानते हैं इस कथा के बारे में। बहुत समय पहले एक नगर में साहुकार रहता था। जिसकी दोनों पुत्रियां पूर्णिमा को उपवास रखती लेकिन छोटी पुत्री हमेशा उस उपवास को अधूरा छोड़ देती और दूसरी पुत्री पूरी लगन और श्रद्धा के साथ व्रत का पालन करती थी।दोनों पुत्री का विवाह हुआ। विवाह के पश्चात बड़ी पुत्री जो पूरी आस्था से पूर्णिमा का उपवास रखती थी उसने बहुत ही सुंदर और स्वस्थ संतान को जन्म दिया लेकिन वहीं अगर छोटी पुत्री की संतान की बात करें या तो सिरे नहीं चढ़ती या जन्म लेते ही उसकी मृत्यु हो जाती। जिससे वह काफी परेशान रहने लगी थी। उसके साथ-साथ उसका पति भी काफी चिंतित रहने लगा था। पति ने ब्राह्मणों को बुलाकर पत्नी की कुंडली दिखाई और जानना चाहा कि आखिर उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है। विद्वान पंडितों ने बताया कि इसने पूर्णिमा के व्रत अधूरे रखे हैं इसलिये इसके साथ ऐसा हो रहा है।
तब ब्राह्मणों ने उसे अश्विन मास की पूर्णिमा का उपवास रखने का सुझाव दिया और उसकी विधि बताई। इस बार उसने विधिपूर्वक व्रत किया लेकिन इस बार भी उसकी संतान जन्म के पश्चात कुछ दिनों तक ही जीवित रही। उसने मृत शीशु को पीढ़े पर लिटाकर उस पर कपड़ा रख दिया और अपनी बहन को बुला लाई। उसने अपनी बहन को बैठने के लिये वही पीढ़ा दिया जिस पर उसने अपनी मृत संतान को लिटाया हुआ था। बड़ी बहन पीढ़े पर बैठने ही वाली थी उसके कपड़े के छूते ही बच्चे के रोने की आवाज़ आने लगी। बड़ी बहन को बहुत आश्चर्य हुआ और कहने लगी कि तू अपनी ही संतान को मारने का दोष मुझ पर लगाना चाहती थी।
तब छोटी ने कहा कि यह तो पहले से मरा हुआ था आपके प्रताप से ही यह फिर से जीवित हुआ है। कहते हैं तभी से पूर्णिमा व्रत की शक्ति का महत्व पूरे नगर में फैल गया और नगर के सभी लोग पूर्णिमा का व्रत विधि विधान करने लगे।
Sharad Purnima Puja Vidhi (शरद पूर्णिमा की पूजा विधि)
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी, तालाब या सरोवर में स्नान करें।अगर आस-पास नदी या तालाब नहीं है तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
अगर व्रत रख रहे हैं तो स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद पूजा वाली जगह को साफ़ करें और वहां अपने आराध्य देव की मूर्ति स्थापित करें।
इसके बाद भगवान को सुंदर वस्त्र, आभूषण इत्यादि पहनाएं।
फिर भगवान को वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, सुपारी और दक्षिणा आदि अर्पित करें।
इसके बाद विधि विधान पूजा करें।
फिर रात में गाय के दूध से खीर बनायें और उसमें घी और चीनी मिलाकर भोग लगाएं।
फिर मध्य रात्रि में इस खीर को चांद की रोशनी रख दें।
फिर दूसरे दिन इस खीर को प्रसाद के रूप में वितरित करें।
अगर शरद पूर्णिमा पर व्रत रख रहे हैं तो कथा जरूर सुनें।
कथा पढ़ने या सुनने से पहले एक लोटे में जल और गिलास में गेहूं, दोने में रोली व चावल रखकर कलश की वंदना करें फिर दक्षिणा चढ़ाएं।
इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान शिव-पार्वती और भगवान कार्तिकेय की भी पूजा होती है।
Sharad Purnima Ki Kheer Kab Banaye 2023 (शरद पूर्णिमा की खीर बनाने का समय)
पंचांग अनुसार शरद पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर की प्रात: 04:17 बजे से शुरू होगी और इसकी समाप्ति 29 अक्टूबर 2023 को 01:53 AM पर होगी। वैसे तो नियम के अनुसार खीर 28 की रात को बनानी चाहिए और उसे पूरी रात के लिए चांद की रोशनी में रख देना चाहिए। लेकिन इस बार इस समय पर चंद्र ग्रहण रहने की वजह से खीर रखने के नियमों में कुछ बदलाव है।पंडित सुजीत जी महाराज अनुसार इस साल शरद पूर्णिमा की खीर चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद बनाई जाएगी। चंद्र ग्रहण की समाप्ति 28 अक्टूबर की मध्य रात्रि करीब 02 बजकर 22 मिनट पर होगी। इसके बाद ही आप शरद पूर्णिमा की खीर बनाएं और उसे खुले आसमान के नीचे रख दें ताकि उसमें चंद्रमा की रोशनी पड़े, बाद में इस खीर को खा लें।
Sharad Purnima 2023 Date And Muhurat (शरद पूर्णिमा 2023 तिथि व शुभ मुहूर्त)
शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर 2023, शनिवार को मनाई जाएगी।शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय शाम 05 बजकर 29 मिनट पर होगा।
पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 28 अक्टूबर 2023 को 03:47 AM बजे होगा।
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 29 अक्टूबर 2023 को 01:23 AM बजे पर होगी।
Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा पर क्यों बनाएं खीर
ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में अमृत वर्षा होती है। इस रात को चावल की खीर बनाकर पतले सूती कपड़े से ढककर खुली हवा में रखना चाहिए। दूध, चावल और चीनी तीनों ही देवी लक्ष्मी को प्रिय हैं। चंद्रमा की किरणें जब 3-4 घंटे तक खीर पर पड़ती हैं तो वही खीर अमृत में बदल जाती है, जिसे प्रसाद के रूप में सेवन करने से व्यक्ति वर्ष भर स्वस्थ रहता है।पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त: Sharad Purnima Shubh Muhurat
शुभ चौघड़िया का मुहूर्त 28 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 54 मिनट से 9 बजकर 17 मिनट तक।इसके बाद लाभ चौघड़िया 28 अक्टूबर को 1 बजकर 28 मिनट से 2 बजकर 52 मिनट तक।इसके बाद अमृत चौघड़िया दोपहर 2 बजकर 52 मिनट से शाम में 4 बजकर 15 मिनट तक।इन सभी मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन करना शुभ रहेगा। जो लोग भी पूर्णिमा का व्रत रख रहे हैं वह इस मुहूर्त में पूजा अर्चना कर सकते हैं।शरद पूर्णिमा का महत्व (Sharad Purnima Significance)
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण चंद्रमा की सभी सोलह कलाओं से युक्त थे। माना जाता है कि इस पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा से निकलने वाली किरणें चामत्कारिक गुणों से परिपूर्ण होती है।शरद पूर्णिमा का व्रत कब
पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि का आरंभ 28 अक्टूबर की सुबह 4 बजकर 18 मिनट से पूर्णिमा तिथि का आरंभ हो जाएगा। पूर्णिमा तिथि का समापन 29 अक्टूबर की रात 1 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में पूर्णिमा का व्रत 28 अक्टूबर के दिन ही किया जाएगा। शरद पूर्णिमा पर गजकेसरी योग, आदित्य मंगल योग, बुधादित्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग बन रहा है।Sharad Purnima Puja Vidhi: शरद पूर्णिमा पूजा विधि
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे इसके बाद जगत के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रणाम करें।इस दिन यदि आप किसी नदी या नहर पर जाकर स्नान कर सकते हैं तो उत्तम रहेगा नहीं तो आप घर में ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें।इसके बाद पूजा स्थल को पवित्र करके पीला वस्त्र बिछाएं और उसपर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। उन दोनों का अभिषेक करें। इसके बाद उन्हें वस्त्र आदि अर्पित करें।शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी पूजा का महत्व
शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा-आराधना का महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को देवी लक्ष्मी घर-घर जाकर यह देखती हैं कि कौन जाग रहा है। ऐसे में रात भर जागकर पूजा-पाठ और मंत्रों का जाप करना चाहिए। शरद पूर्णिमा पर ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम: के मंत्रों का जाप करें।
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