Sharad Purnima Mahatva in Hindi: क्यों मनाई जाती है शरद पूर्णिमा, क्या है इसका धार्मिक महत्व, जानें शरद पूर्णिमा की परंपरा और मान्यताएं
Sharad Purnima 2024 Mahatva In Hindi: ये तो सभी जानते हैं कि शरद पूर्णिमा का खास महत्व माना जाता है। लेकिन ऐसा क्यों हैं इस बारे में कम ही लोग जानते हैं। इसलिए यहां हम आपको बताने जा रहे हैं शरद पूर्णिमा का महत्व और इसका इतिहास।
Sharad Purnima 2024 Mahatva In Hindi
Sharad Purnima 2024 Mahatva In Hindi: सनातन हिन्दू संस्कृति में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन शरद पूर्णिमा मनाने का प्रचलन है। इस दिन 16 कलाओं के स्वामी चंद्र देव की विधि पूर्वक पूजा की जाती है जो अपनी शीतल किरणों से अर्पित भोग खीर पर अमृत बरसाते है साथ ही अपने भक्तों को सुखी और रोग-मुक्त रहने का वरदान प्रदान करते है। वेदों और ज्योतिष विद्या के अनुसार चन्द्र मानव शरीर को बीमारियों से दूर रखते है और मानसिक और शारीरिक रूप से मानव शरीर को स्वस्थ रखते है। इस दिन श्री कृष्ण पूजन की भी विशेष मान्यता है।
शरद पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है (Sharad Purnima Kyon Manai Jati Hai)
लोक कथाओं के अनुसार एक साहूकार की दो बेटियां थी। दोनों ही पूर्णिमा का व्रत करती थीं। जहाँ बड़ी बेटी विधि पूर्वक व्रत करती थी तो वहीं छोटी बेटी आधा-अधूरा व्रत करती थी। नतीजा यह हुआ कि छोटी बेटी की संतान पैदा होते ही मर गई और ईर्ष्या में उसने अपनी बड़ी बहन के हाथ में अपने मृत बच्चे को कपड़े में लपेट कर उसकी गोद में रखना चाहा। बड़ी बहन ने छोटी बहन के इस चाल को पहले ही भांप लिया और कलंक से बचने के लिए उसने मना कर दिया। बड़ी बहन के समझाने और पंडितों के परार्मश के उपरान्त उसने विधि पूर्वक व्रत किया जिसके फलस्वरूप उसे स्वस्थ बच्चे प्रदान हुए। रामायण काल में भी कई जगह उल्लेख किया गया है कि रावण भी इस दिन खीर को ग्रहण करता था ताकि उसे अमरता प्राप्त हो सके। आज ही के दिन भगवान श्री कृष्ण गोपियों से ब्रज में रासलीला किया करते थे, जिसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है।
शरद पूर्णिमा व्रत से जुड़ी मान्यताएं भारत में हर वर्ष आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह व्रत रखने की परंम्परा है। इस दिन चावल और दूध में पकी खीर को चांदी के पात्र में चंद्रमा की रोशनी में रखने की मान्यता है। माना जाता है कि इस खीर को ग्रहण करने से मनुष्य दीर्घायु होता है और भविष्य में होने वाली बीमारियों से उसकी रक्षा होती है। स्त्रियां अपने शिशुओं की लम्बी आयु और स्वास्थ्य के व्रत रखती हैं। मान्यता है कि आज के दिन व्रत रखने से मनुष्य को च्रंद देव की दिव्य कृपा प्रदान होती है।
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हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें
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