Sharad Purnima For Couples: नवविवाहित जोड़ों के जीवन में प्रेम भरता है शरद पूर्णिमा का शीतल चांदनी प्रकाश

शरद पूर्णिमा और नववि‍वाहि‍त जोड़ा (Sharad Purnima For Couples): सनातन संस्‍कृत‍ि में शरद पूर्णिमा की बहुत मान्यता है। युगों से इसकी महीमा जन-मानस को सुख और समृद्धि प्रदान कर रही है। इस दिन चंद्रमा के प्रकाश के नीचे रखी गई खीर को अगले द‍िन ग्रहण करने की विशेष परंपरा है।

Sharad Purnima For Couples

Sharad Purnima For Love

Sharad Purnima For Couples: वर्ष में पड़ने वाली 12 पूर्णिमा में से शरद पूर्णिमा का महत्व और स्थान सर्वोपरि हैं। इस दिन च्रंदमा की आकृत‍ि पूर्ण रहती हैं जो कि आकाश में अपनी शीतलता बिखेरता है। चंद्रमा की यह शीतल किरणें अपने अमरत्व वातावरण को मनमोहक और सुंदर बना देता हैं। पंचांग के अनुसार शरद पूर्णिमा हर वर्ष आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता हैं। इस वर्ष की शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर, दिन बुद्धवार को पड़ी है।

Sharad Purnima Mahatva in Hindi

शरद पूर्णिमा के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

युगों से चली आ रही प्रथाओं और मान्यतों के अनुसार शरद पूर्णिमा भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाई जाती हैं। कुछ जगहों पर इसे कोजागर व्रत भी कहा जाता हैं और इसे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम बिहार के मिथिला क्षेत्र में विधि-पूर्वक मनाया जाता है। यहां इस दिन माता लक्ष्मी का पूजन होता हैं। इसका उल्लेख स्कन्द पुराण में भी मिलता है साथ ही शरद पूर्णिमा के दिन ही श्रीकृष्ण ब्रज में गोपियों के साथ रासलीला किया करते थें। शरद पूर्णिमा के कई और नाम हैं जैसे कुमार पूर्णिमा, नवान्न पूर्णिमा' और कौमुदी पूर्णिमा।

कौमुदी व्रत की परंपरा

शरद पुर्णिमा को कौमुदी व्रत भी कहा जाता हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह नवविवाहित जोड़ों के बीच प्रेम और आकर्षण को बनाता है उनका जिससे उनका जीवन प्रेम और उल्लास के साथ व्यतीत हो। इस दिन चंद्रमा के प्रकश के नीचे रखी गई खीर को नवविवाहित जोड़े एक साथ ग्रहण करते हैं।

शरद पूर्णिमा और हनीमून

कई धार्मिक ग्रंथों में शरद पूर्णिमा की रात को मधुमास या हनीमून की रात भी कही जाती हैं क्योंकि यह व्रत उनके वैवाहिक जीवन को सुख और प्रेम से भर देता हैं। इस व्रत को करने से नवविवाहित जोड़े को चंद्र देव का आशीर्वाद मिलता हैं।

शरद पूर्णिमा और खीर

समस्त भारत में मनाये जाने वाले शरद पूर्णिमा में खीर का भोग चढ़ाने और अगले दिन उसे ग्रहण करने का विशेष महत्व हैं। क्योंकि चंद्रमा के प्रकश के नीचे रखी गई खीर में चंद्र किरणों के माध्यम से अमृत बरसता है जिसको खाने से मनुष्य रोग मुक्त रहता और स्वस्थ रहता हैं।

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मेधा चावला author

हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें

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