Navratri 2024 5th Day, Maa Skandamata Aarti Lyrics, Puja Vidhi: नवरात्रि का पांचवां दिन, करें स्कंदमाता की पूजा, जान लें आरती, मंत्र, कथा समेत सारी जानकारी

Navratri 2024 5th Day Maa Skandamata Aarti, Puja Vidhi, Mantra, Bhog, Katha, Chalisa (मां स्कंदमाता की आरती लिरिक्स, चालीसा, स्त्रोत, भोग): नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। कहते हैं इनकी पूजा से भक्तों को सुख और ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है। जानिए नवरात्रि के पांचवें दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, कथा, आरती सबकुछ।

Navratri 2024 5th Day

Navratri 2024 5th Day Maa Skandamata Aarti, Puja Vidhi, Mantra, Bhaog, Chalisa, Katha, Mata Skandamata ki Puja kaise kare (मां स्कंदमाता आरती लिरिक्स, चालीसा, स्त्रोत, भोग): नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के इस स्वरूप का अर्थ है भगवान कार्तिकेय की मां। दरअसल कार्तिकेय जी का एक नाम स्कंद भी है। स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। इनके दो हाथों में कमल है और एक हाथ से माता अपने पुत्र कार्तिकेय को पकड़ी हुई हैं। तो वहीं इनका एक हाथ अभय मुद्रा में है। कहा जाता है कि माता के इस स्वरूप की पूजा करने से सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं स्कंदमाता की पूजा विधि, कथा, आरती, मंत्र और भोग के बारे में।

स्कंदमाता की पूजा विधि (Navratri Day 5 Puja Vidhi)

  • मां स्कंदमाता या पार्वती माता की मूर्ति, फोटो या प्रतिमा को गंगा जल से पवित्र करें।
  • उनहें कुमकुम, अक्षत, फूल, फल आदि अर्पित करें।
  • इसके बाद फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  • माता के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
  • फिर माता के मंत्रों का जाप करें। फिर माता की कथा पढ़ें या सुनें।
  • अंत में आपकी कर पूजा संपन्न करें।

नवरात्रि के पांचवें दिन का रंग (Navratri Day 5 Colour)

नवरात्रि के पांचवें दिन का शुभ रंग नीला है। कहते हैं इस दिन स्कंदमाता की पूजा नीले रंग के कपड़े पहनकर करनी चाहिए।

मां स्कंदमाता की कथा (Navratri Day 5 Vrat Katha)

मां स्कंदमाता से जुड़ी प्राचीन कथा के अनुसार एक बार तारकासुर नामक राक्षस का आतंक बहुत ज्यादा बढ़ गया था। लेकिन कोई भी इस असुर का अंत नहीं कर पा रहा था। क्योंकि इस राक्षस का वध भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय के हाथों ही मुमकिन था। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ और उनके पुत्र का जन्म हुआ जिनका नाम कार्तिकेय रखा गया। फिर माता पार्वती ने अपने पुत्र स्कन्द यानि कार्तिकेय भगवान को तारकासुर से युद्ध लड़ने के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कंदमाता का रूप धारण किया। इसके बाद कार्तिकेय जी ने राक्षस तारकासुर का वध किया।
End Of Feed