Shattila Ekadashi Vrat Katha In Hindi : षटतिला एकादशी के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, हर पाप से मिलेगा छुटकारा
Shattila Ekadashi 2024 Vrat Katha (षटतिला एकादशी व्रत कथा): माघ माह की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, षटतिला एकादशी के दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजा करने से साधकको धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए यहां पढ़ते हैं षटतिला एकादशी की व्रत कथा।
Shattila Ekadashi 2024 Vrat Katha
Shattila Ekadashi 2024 Ki Vrat Katha ((षटतिला एकादशी की व्रत कथा हिंदी में)): कैलेंडर के अनुसार, माघ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार षटतिला एकादशी आज यानि 6 फरवरी को रखी जा रही है। ऐसा माना जाता है कि षटतिला एकादशी का व्रत करने से साधक को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। जो लोग षटतिला एकादशी का व्रत शीघ्र करते हैं। आपको षटतिला एकादशी व्रत कथा पढ़नी चाहिए। अन्यथा पूजा का पूरा फल प्राप्त नहीं होगा। आइए यहां जानते हैं षटतिला एकादशी व्रत कथा के बारे में।
Shattila Ekadashi 2024 Vrat Katha In Hindi ( षटतिला एकादशी की व्रत कथा)पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक वृद्ध ब्राह्मणी एक महीने तक भूखी रही और उसका शरीर बहुत कमजोर हो गया। ब्राह्मण उपवास और प्रार्थना करता था, लेकिन देवताओं और ब्राह्मणों को कभी भोजन आदि का दान नहीं देता था। ब्राह्मणी ने व्रत आदि करके अपना शरीर तो शुद्ध कर लिया, परंतु कभी अन्न का दान नहीं किया, भोजन के बिना आत्मा की तृप्ति होना कठिन है। एक दिन श्रीहरि नारायण साधु का भेष बनाकर अपनी भक्त ब्राह्मणी की परीक्षा लेने के लिए उसकी कुटिया में पहुंच गये। ब्राह्मणी ने साधु भेष श्रीहरि को एक मिट्टी का पिंड दे दिया। उसके बाद कुछ समय धरती पर रहने के बाद ब्राह्मणी शरीर त्यागकर स्वर्ग लोक को चली गई।
अपने जीवन काल में पूजा-पाठ, व्रत-उपवास और मिट्टी के एक टुकड़े के संपर्क से उन्हें स्वर्ग में आम के पेड़ वाला घर मिल गया, लेकिन उन्हें पता चला कि इस घर में कोई अन्य वस्तु नहीं है। वहां भोजन भी नहीं था, तब ब्राह्मणी ने भगवान विष्णु से पूछा कि मैंने कई व्रतों आदि में आपकी पूजा की है। लेकिन मेरा घर अभी भी खाली है, इसका कारण क्या है? श्रीहरि ने कहा कि देव स्त्रियां तुम्हें इसका उत्तर देंगी। इसके बाद देव स्त्रियां ने ब्राह्मणी को षटतिला एकादशी का अर्थ समझाया। इस बार ब्राह्मणी ने भी देवी-देवताओं की सलाह पर षटतिला एकादशी का व्रत किया और उसके प्रभाव से उसका घर धन,अन्न से भर गया। तभी से षटतिला एकादशी का व्रत किया जाने लगा। शास्त्रों में उल्लेख है कि कोई भी धार्मिक कार्य बिना दान के नहीं किया जा सकता। मनुष्य को अपने जीवनकाल में दान जरूर करना चाहिए।
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TNN अध्यात्म डेस्क author
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