Shattila Ekadashi Aarti: षटत‍िला एकादशी की पूजा के बाद इस आरती को पढ़ने से मिलता सुख और शांति का आशीवार्द, पढ़िए संपूर्ण आरती यहां

Shattila Ekadashi Aarti (षटत‍िला एकादशी आरती): हिंदू शास्त्रों के अनुसार षटत‍िला एकादशी का व्रत करना अत्यंत ही फलदायक माना जाता है। इस दिन तिल को छह प्रकारों से पूजा के दौरान उपयोग करने का विशेष विधान है। ऐसे में अगर आप षटत‍िला एकादशी व्रत के समय गाई जाने वाली आरती को ढूंढ रहे हैं तो आप यहां पर संपूर्ण षटत‍िला एकादशी आरती को पढ़ सकते हैं।

Shattila Ekadashi Aarti

Shattila Ekadashi Aarti (षटत‍िला एकादशी आरती)

Shattila Ekadashi 2025 (षटत‍िला एकादशी 2025): धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटत‍िला एकादशी कहा जाता है। इस बार ये पावन व्रत 25 जनवरी को शनिवार के दिन पड़ेगा। हिंदू ग्रंथों में एकादशी के व्रत और पूजन को हर तरह के व्रत-पूजनों और अनुष्ठानों में सबसे श्रेष्ठ बताया गया है। इस दिन जगत के पालन हार भगवान विष्णु की पूजा होती है जिसमें भक्त आरती और भजन भी गाते हैं। सनातन धर्म में गीत-भजन करना भी ईश्वर की भक्ति का एक मार्ग बताया गया है। ऐसे में षटत‍िला एकादशी के दिन भगवान श्री हरी के मंत्र जाप और आरती गाने, पढ़ने और सुनने से व्यक्ति को अनंत सुख की प्राप्ति होती है। आज हम आपके लिए षटत‍िला एकादशी व्रत की आरती और भगवान विष्णु की आरती लेकर आये जिन्हें इस पावन दिन पर गा और पढ़ सकते हैं।

Shattila Ekadashi Aarti (षटत‍िला एकादशी आरती)

षटत‍िला एकादशी व्रत की आरती

ॐ जय एकादशी माता, जय एकादशी माता।

विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥

॥ॐ जय एकादशी...॥

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।

गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥

॥ॐ जय एकादशी...॥

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।

शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥

॥ॐ जय एकादशी...॥

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।

शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥

॥ॐ जय एकादशी...॥

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।

शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥

॥ ॐ जय एकादशी...॥

पापमोचनी फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला पापमोचनी।

पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥

॥ ॐ जय एकादशी...॥

चैत्र शुक्ल में नाम पापमोचनी, धन देने वाली।

नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥

॥ ॐ जय एकादशी...॥

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।

नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥

॥ ॐ जय एकादशी...॥

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।

देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥

॥ ॐ जय एकादशी...॥

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।

श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥

॥ ॐ जय एकादशी...॥

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।

इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥

॥ॐ जय एकादशी...॥

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।

रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥

॥ॐ जय एकादशी...॥

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।

पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥

॥ ॐ जय एकादशी...॥

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।

शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥

॥ ॐ जय एकादशी...॥

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।

जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥

॥ ॐ जय एकादशी...॥

Om Jai Jagdish Aarti in Hindi (ॐ जय जगदीश आरती हिंदी में)

ॐ जय जगदीश हरे,

स्वामी जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट,

दास जनों के संकट,

क्षण में दूर करे ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

जो ध्यावे फल पावे,

दुःख बिनसे मन का,

स्वामी दुःख बिनसे मन का।

सुख सम्पति घर आवे,

सुख सम्पति घर आवे,

कष्ट मिटे तन का ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

मात पिता तुम मेरे,

शरण गहूं किसकी,

स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा,

तुम बिन और न दूजा,

आस करूं मैं जिसकी॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम पूरण परमात्मा,

तुम अन्तर्यामी,

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पार ब्रह्म परमेश्वर,

पार ब्रह्म परमेश्वर,

तुम सब के स्वामी॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम करुणा के सागर,

तुम पालनकर्ता,

स्वामी तुम पालनकर्ता ।

मैं मूरख फलकामी,

मैं सेवक तुम स्वामी,

कृपा करो भर्ता॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम हो एक अगोचर,

सबके प्राणपति,

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय,

किस विधि मिलूं दयामय,

तुमको मैं कुमति ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,

ठाकुर तुम मेरे,

स्वामी रक्षक तुम मेरे।

अपने हाथ उठाओ,

अपने शरण लगाओ,

द्वार पड़ा तेरे ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

विषय-विकार मिटाओ,

पाप हरो देवा,

स्वामी पाप(कष्ट) हरो देवा।

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,

संतन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे,

स्वामी जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट,

दास जनों के संकट,

क्षण में दूर करें॥

(डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है। timesnowhindi.com इसकी सटीकता या विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं करता है। इसलिए किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की राय जरूर लें।)

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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