Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी व्रत है 18 को, पढ़ें क्यों जरूरी है तिल का दान, स्मरण करें कृष्ण का नाम
Shattila Ekadashi 2023: छह तरह के तिल दान करने के कारण षटतिला एकादशी नाम पड़ा। माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का है विशेष महत्व। तिल के दान के साथ तिल का सेवन देता है पुण्य लाभ। विधिवत पूजन से प्रसन्न होते हैं भगवान नारायण। हर माह आती हैं दो एकादशी। एकादशी के व्रत में श्रीकृष्ण के 54 नामों का अवश्य ही करें स्मरण।
षटतिला एकादशी व्रत है 18 को, करें तिल का दान
मुख्य बातें
- माघ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी है षटतिला एकादशी
- छह प्रकार के तिल दान करने का होता है विशेष महत्व
- श्रीकृष्ण के 54 नामों का जाप करता है व्रती का उद्धार
Shattila Ekadashi 2023: सृष्टि के आधार, भगवान शिव के आराध्य भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का व्रत 18 जनवरी को है। माघ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। छह प्रकार के तिल का प्रयोग एवं दान इस एकादशी पर करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। प्रत्येक माह दो एकादशी के व्रत होते हैं। शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष में 15 दिन के अंतराल पर एकादशी तिथि या ग्यारस पड़ती है। ये तिथि वैष्णव संप्रदाय, भगवान कृष्ण भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है। अधिकांश वैष्णव एकादशी का व्रत अवश्य ही रखते हैं। माघ मास में शुक्ल पक्ष की ग्यारस तिथि को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन छह प्रकार के तिल का दान एवं सेवन पुण्य फल देता है। एकादशी पर भूल से भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। संबंधित खबरें
षटतिला एकादशी पर तिल का महत्व
षटतिला एकादशी पर छह तरह के तिल अथवा काले तिल का सेवन एवं दान महत्वपूर्ण बताया गया है। इस दिन तिल का दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। काले तिल का दान करने से शनि ग्रह शांत रहकर आशीर्वाद देते हैं। वहीं तिल में भरपूर आयरन होता है जोकि सर्दियों में सेहत के लिए वरदान की तरह है। यदि इस दिन तिल दान किये जाएं तो मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। काले तिल पाप का शमन करते हैं। इसलिए इस दिन दान के साथ ही तिल मिश्रित भाेजन का सेवन करना चाहिए।संबंधित खबरें
जरूर स्मरण करें श्रीकृष्ण के 54 नाम संबंधित खबरें
पद्यनेत्रे, श्री निकेतः, रसाक्त अमिताशी, वनस्थ, वटस्थ, प्रसक्तः, अमलश्रीः, पूर्णबोधः, हारभारः, सुवेश, सुरम्यः, चारुलीलः, गापकै सुगुप्तोगम, उन्नदः, दर्पकः, प्रेविता, क्षुधिः, महाशः, वृक, पावनः, सुभद्र, जयः, सत्यकः, प्रभानुः, कामदेवापरश्रीः, मुरारीः, प्रधाेष, साम्बः, वर्धनः, ब्रह्मासूः, बलीशः, रथस्थः, चक्रहस्तः, द्वारकेश, कृपाकृत, अमलः, शापहा, कृपः, देवलः, कर्दमः, सितः, और्वकः, लौमशः, कौत्स्य, एकतः, धनः, पैलः, धामगन्ताः, सारणः, हृदीक, सर्वतेजा हरिः, परेशः अभवः और दानशील श्रीकृष्ण के इन 54 नामों का जाप एकादशी के व्रत को सिद्ध करता है।संबंधित खबरें
पूजन विधि
एकादशी के व्रत में सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर भगवान विष्णु का स्मरण करें। स्नानादि के बाद यदि घर में ठाकुर जी का श्रीविग्रह है तो उनका श्रंगार करें। दीप, धूप, पुष्प अर्पित कर श्रीकृष्ण के 54 नामों का जाप करें। संभव हो तो विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। आरती कर भगवान को तिल से बने खाद्य का भोग लगाएं। पूरे दिन अन्न का सेवन न करें। सायंकाल आरती कुट्टू या अन्य फलाहार करें। ध्यान रहे भाेजन में तिल का सेवन अवश्य हो। अगले दिन यानी द्वादशी पर सुबह चावल का सेवन कर व्रत का पारण करें। संबंधित खबरें
डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।संबंधित खबरें
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