Sheetala Ashtami Puja Vidhi In Hindi: शीतला अष्टमी के दिन कैसे करें शीतला माता की पूजा, यहां जानें पूरी विधि
Sheetala Ashtami Puja Vidhi In Hindi: मां शीतला का स्वरूप शीतलता प्रदान करने वाला माना जाता है| मान्यताओं अनुसार जो कोई भी भक्त सच्चे मन से और पूरे विधि-विधान से शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला की पूजा करता है उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं। यहां जानिए शीतला माता की पूजा विधि।
Sheetala Ashtami Puja Vidhi In Hindi:
Sheetala Mata Puja Vidhi In Hindi (शीतला माता की पूजा विधि): शीतला अष्टमी का त्योहार होली के आठवें दिन मनाया जाता है। इसे बसौड़ा और शीतलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल ये त्योहार 2 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है और उन्हें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। साथ ही स्वयं भी बासी भोजन ही खाया जाता है। मान्यता है शीतला अष्टमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाना चाहिए। इसलिए एक दिन पहले ही भोजन बनाकर रख लिया जाता है। यहां जानिए शीतला अष्टमी की पूजा विधि (Shitala Ashtami Puja Vidhi)।
Shitala Ashtami Puja Muhurat 2024 (शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त 2024)
शीतला अष्टमी 2 अप्रैल 2024 मंगलवार के दिन मनाई जाएगी।
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त सुबह 06:10 से शाम 06:40 बजे तक रहेगा।
शीतला अष्टमी का प्रारम्भ 1 अप्रैल 2024 की रात 09:09 बजे होगा।
शीतला अष्टमी की समाप्ति 2 अप्रैल 2024 की रात 08:08 बजे होगी।
Shitala Ashtami Puja Vidhi In Hindi (शीतला अष्टमी पूजा विधि)
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर ठंडे पानी से स्नान करें। साथ ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल अवश्य डालें।
- इसके बाद साफ सुथरे कपड़े पहनें और अगर संभव हो तो नारंगी रंग के वस्त्र पहनें।
- फिर पूजा की थाली तैयार करें। उस थाली में दही, बाजरा, पुआ, रोटी और सप्तमी को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी भी रखें। वहीं एक थाली में आटे से बना दीपक और उसके साथ रोली, मोली, वस्त्र, अक्षत, होली वाली बड़कुले की माला, सिक्के और मेहंदी भी रखें। साथ में इस थाली में ठंडे पानी का लोटा रखें।
- इसके बाद नीम के पेड़ में जल चढ़ाएं और घर पर विधि विधान शीतला माता की पूजा करें। इस दिन घर के मंदिर में दीपक को बिना जलाए ही रखें।
- फिर सभी चीजों का भोग लगाएं।
- घर में पूजा के बाद दोपहर में शीतला माता के मंदिर में जाकर भी पूजा करें। पहले माता को जल चढ़ाएं फिर रोली और हल्दी का टीका लगाएं। इसके बाद मेहंदी, रोली और वस्त्र अर्पित करें।
- फिर बासी खाने का भोग लगाएं और कपूर जलाकर माता की आरती करें।
- फिर ऊं शीतला मात्रै नम: मंत्र का जाप करें।
- इसके बाद जहां होलिका दहन किया गया है वहां पूजा करें।
- बची हुई पूजन सामग्री को किसी गाय या ब्राह्मण को दे दें।
कैसा है मां शीतला का स्वरूप ?
माता शीतला का स्वरूप बेहद आकर्षक होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता शीतला की सवारी गधा है और उन्होंने एक हाथ में झाड़ू तो एक हाथ में ठंडे जल का कलश रखा हुआ है। माता शीतला नीम के पत्तों से बने आभूषण ग्रहण करती हैं और उनके मुख पर एक तेज है। माता का यह स्वरूप व्यक्ति को सभी तरह के शारीरिक कष्टों से मुक्ति प्रदान करने वाला है |
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TNN अध्यात्म डेस्क author
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