Sheetala Saptami 2025 Vrat Katha: आज है शीतला सप्तमी, इस दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा
Sheetala Saptami 2025 Vrat Katha (शीतला सप्तमी व्रत कथा): सनातन धर्म में शीतला सप्तमी के व्रत का विशेष महत्व माना जाता है जो हर साल चैत्र कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। यहां आप जानेंगे शीतला सप्तमी की कथा।

Shitala Saptami Ki Katha
Sheetala Saptami 2025 Vrat Katha (शीतला सप्तमी व्रत कथा): हिंदू धर्म में माता शीतला की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। साल में दो दिन ऐसे आते हैं जिन दिनों में विशेष रूप से माता शीतला की पूजा की जाती है। ये दिन हैं शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी। ऐसी मान्यता है कि जो इन दिनों में माता शीतला की विधि विधान पूजा करता है। उसे कई रोगों से छुटकारा मिल जाता है। चलिए जानते हैं शीतला सप्तमी की कथा क्या है।
Sheetala Saptami Vrat Katha In Hindi (शीतला सप्तमी व्रत कथा)
पौराणिक कथानुसार, एक राजा थे जिनके इकलौते पुत्र को चेचक निकली थी। उसी राज्य में एक काछी-पुत्र को भी चेचक निकली हुई थी। काछी परिवार बेहद गरीब था। पर, मां भगवती का उपासक था। वह परिवार बीमारी के दौरान भी पूजा-पाठ के नियमों को अच्छे से निभाता रहा। उस घर में नमक खाने पर पाबंदी थी। यहां तक कि सब्जी में छौंक भी नहीं लगाता था और न हीं ज्यादा भुनी-तली चीजें खाता था। इसके अलावा काछी और उसके घर वाले गर्म वस्तु का सेवन भी न कहीं करते थे। इस तरह नियमों के पालन से काछी पुत्र बहुत जल्दी ठीक हो गया।
दूसरी तरफ भगवती के मंडप में शतचंडी का पाठ शुरू करवा दिया था। रोज हवन और बलिदान होते थे। राजकुमार को चेचक होने के बावजूद राजमहल में रोज कड़ाही चढ़ती थी। तरह तरह के गर्म स्वादिष्ट पकवान बनते थे। जिस कारण उन लजीज पकवानों की सुगंध से राजकुमार का मन बहक जाता और वह भोजन के लिए जिद करता था। इसके बाद शीतला माता का प्रकोप घटने के बजाय बढ़ने चला गया। अब उसे बड़े-बड़े फोड़े भी निकलने लगे। उन फोड़ों में खुजली और जलन तेज होती थी।
फिर, एक दिन राजा के गुप्तचरों ने बताया कि महाराज काछी-पुत्र को भी शीतला निकली थी। लेकिन, वह अब काफी जल्दी ठीक हो गया है। यह जानकर राजा को हैरानी हुई कि मैं शीतला की इतनी सेवा कर रहा हूं तब भी मेरा पुत्र रोगी हो रहा है। जबकि काछी पुत्र तो बिना सेवा के ही जल्द ठीक हो गया। तभी श्वेत वस्त्र धारिणी मां भगवती राजा के सपने में आकर बोलीं- हे राजन्! मैं तुम्हारी सेवा से प्रसन्न हूं। इसीलिए तुम्हारा पुत्र अभी जीवित है। इसके ठीक न होने का कारण यह है कि तुमने शीतला होने के समय पालन करने वाले नियमों का उल्लंघन किया है। तुम्हें इस हालत में नमक पर पाबंदी लगानी चाहिए। बिना छौंक वाली सब्जियों का सेवन करना चाहिए क्योंकि छौंक के गंध से रोगी का मन ललचाता है। इसके अलावा रोगी को किसी के पास आना-जाना भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे संक्रमण फैलता है। अतः इन नियमों का पालन करोगे तो तुम्हारा पुत्र अवश्य ही ठीक हो जाएगा।
सुबह उठते ही राजा ने देवी की आज्ञानुसार सभी नियमों का पालन करना शुरू कर दिया। जिससे उनके बेटे की तबीयत जल्द सही हो गई। इस तरह पूजन और कथा वाचन से पुण्य की प्राप्ति और कष्टों का निवारण होता है।
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