Sheetla Ashtami 2024 Puja Vidhi, Muhurat: शीतला अष्टमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत कथा, आरती, मंत्र, सहित संपूर्ण जानकारी मिलेगी यहां
Sheetla Ashtami (Basoda) 2024 Puja Vidhi, Muhurat: शीतला अष्टमी यानी बसौड़ा पूजा देवी शीतला को समर्पित पर्व है। इस साल ये त्योहार 2 अप्रैल को मनाया जा रहा है। यहां जानिए शीतला अष्टमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, कथा, आरती सबकुछ।
Sheetla Ashtami 2024 Puja Vidhi, Muhurat: शीतला अष्टमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत कथा, आरती, मंत्र, सहित संपूर्ण जानकारी मिलेगी यहां
Sheetla Ashtami (Basoda) 2024 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Samagri List, Katha, Kahani In Hindi: हिंदू धर्म में माता शीतला आरोग्य और शीतलता प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं। कहते हैं इनकी पूजा से मनुष्य को सुखी और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है। हर साल चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता शीतला की विधि विधान पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 2 अप्रैल को पड़ी है। इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। साथ ही लोग खुद भी एक दिन पहले बना हुआ खाना खाते हैं। यहां जानिए शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त और पूजा विधि।
Sheetala Mata Ke Geet
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त (Sheetla Ashtami Puja Muhurat 2024)
शीतला अष्टमी 2 अप्रैल 2024 मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन माता शीतला की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 10 मिनट से 06 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। तो वहीं अष्टमी तिथि 1 अप्रैल 2024 की रात 09 बजकर 09 मिनट से 2 अप्रैल 2024 की रात 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगी।
शीतला अष्टमी पूजा विधि (Sheetla Ashtami Puja Vidhi)
इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। फिर साफ व नारंगी रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा करने की दो थालियां सजाएं। एक थाल में दही, नमक पारे, मातृ, पुआ, रोटी, बाजरा और साथ में सप्तमी के दिन बने बासी मीठे चावल रखें। वहीं दूसरी थाली में एक आटे का दीपक बनाकर रखा जाता है। इसके साथ-साथ इस थाली में रोली, वस्त्र, अक्षत, सिक्के, मेहंदी और एक ठंडे पानी से भरा लोटा रखा जाता है। इसके बाद इन पूजा सामग्री के साथ घर में विधि विधान माता शीतला की पूजा की जाती है और उन्हें थाली में रखा भोग अर्पित किया जाता है। ध्यान रहे कि इस समय आपको घर के मंदिर में दीपक बना जलाए ही रखना है। घर में पूजा करने के बाद नीम के पेड़ की जड़ में जल जरूर अर्पित करें। फिर दोपहर में मंदिर जाकर एक बार फिर से शीतला माता की विधि विधान पूजा जरूर करें। माता को जल अर्पित करें और रोली और हल्दी का टीका लगाएं। इसके बाद माता को मेहंदी और नए वस्त्र अर्पित करें। फिर माता को बासी भोजन का भोग लगाएं और उनकी आरती करें।
Shitala Mata Ke Bhajan List In Hindi (शीतला माता के भजन)
- मेरे सर पे धर दे हाथ गुड़गामे आली
- तोरा रोज रटूं नाम मां शीतला
- ज्योत पे झूम रही मां शीतला
- दुखियों के संकट काटे
- पूज ले मां शीतला रानी ने
- शीतला सज्जा तेरा गुड़गामा दरबार
- तेरी देखु ज्योत पे बाट शीतला
- मंदिर बना तेरा सुंदर
- शीतला माई मेरी करले सुनाई
Sheetla Ashtami Upay: शीतला अष्टमी के उपाय
मां शीतला गधे पर सवारी करती हैं। ऐसे में शीतला अष्टमी के दिन गधे की सेवा अवश्य करें। इसके अलावा इस दिन की पूजा के बाद इस दिन का प्रसाद किसी कुम्हारिन को अवश्य दें। कहा जाता है ऐसा करने से इस दिन की पूजा अवश्य सफल होगी और आपके परिवार से किसी भी प्रकार का संकट दूर होगा।Sheetala Ashtami Kyu Manai Jati Hai (शीतला अष्टमी क्यों मनाई जाती है)
शीतला अष्टमी को कई जगहों पर बसौड़ा जयंती के नाम से भी जाना जाता है। बसौड़ा शब्द बसियारा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है बासी भोजन। शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि माता शीतला की पूजा करने से जातकों को रोग आदि से मुक्ति मिलती है।Sheetala Mata Chalisa (शीतला माता चालीसा लिरिक्स)
'दोहा''जय-जय माता शीतला, तुमहिं धरै जो ध्यान।होय विमल शीतल हृदय, विकसै बुद्धि बल ज्ञान।।घट घट वासी शीतला शीतल प्रभा तुम्हार।शीतल छैंय्या शीतल मैंय्या पल ना दार।।''चौपाई''जय-जय-जय श्री शीतला भवानी। जय जग जननि सकल गुणधानी।।गृह-गृह शक्ति तुम्हारी राजित। पूरन शरन चंद्रसा साजती।।विस्फोटक सी जलत शरीरा। शीतल करत हरत सब पीरा।।मातु शीतला तव शुभनामा। सबके गाढ़े आवहिं कामा।।शोकहरी शंकरी भवानी। बाल-प्राणरक्षी सुखदानी।।शुचि मार्जनी कलश करराजै। मस्तक तेज सूर्य समसाजे।।चौसठ योगिन संग में गावैं। वीणा ताल मृदंग बजावै।।नृत्य नाथ भैरो दिखरावैं। सहज शेष शिव पार ना पावैं।।धन्य-धन्य भात्री महारानी। सुरनर मुनि तब सुयश बखानी।।ज्वाला रूप महा बलकारी। दैत्य एक विस्फोटक भारी।।ज्वाला रूप महाबल कारी। दैत्य एक विश्फोटक भारी।।हर हर प्रविशत कोई दान क्षत। रोग रूप धरी बालक भक्षक।।हाहाकार मचो जग भारी। सत्यो ना जब कोई संकट कारी।।तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा। कर गई रिपुसही आंधीनी सूपा।।विस्फोटक हि पकड़ी करी लीन्हो। मुसल प्रमाण बहु बिधि कीन्हो।।बहु प्रकार बल बीनती कीन्हा। मैय्या नहीं फल कछु मैं कीन्हा।।अब नही मातु काहू गृह जै हो। जह अपवित्र वही घर रहि हो।।पूजन पाठ मातु जब करी है। भय आनंद सकल दुःख हरी है।।अब भगतन शीतल भय जै हे। विस्फोटक भय घोर न सै हे।।श्री शीतल ही बचे कल्याना। बचन सत्य भाषे भगवाना।।कलश शीतलाका करवावै। वृजसे विधीवत पाठ करावै।।विस्फोटक भय गृह गृह भाई। भजे तेरी सह यही उपाई।।तुमही शीतला जगकी माता। तुमही पिता जग के सुखदाता।।तुमही जगका अतिसुख सेवी। नमो नमामी शीतले देवी।।नमो सूर्य करवी दुख हरणी। नमो नमो जग तारिणी धरणी।।नमो नमो ग्रहोंके बंदिनी। दुख दारिद्रा निस निखंदिनी।।श्री शीतला शेखला बहला। गुणकी गुणकी मातृ मंगला।।मात शीतला तुम धनुधारी। शोभित पंचनाम असवारी।।राघव खर बैसाख सुनंदन। कर भग दुरवा कंत निकंदन।।सुनी रत संग शीतला माई। चाही सकल सुख दूर धुराई।।कलका गन गंगा किछु होई। जाकर मंत्र ना औषधी कोई।।हेत मातजी का आराधन। और नही है कोई साधन।।निश्चय मातु शरण जो आवै। निर्भय ईप्सित सो फल पावै।।कोढी निर्मल काया धारे। अंधा कृत नित दृष्टी विहारे।।बंधा नारी पुत्रको पावे। जन्म दरिद्र धनी हो जावे।।सुंदरदास नाम गुण गावत। लक्ष्य मूलको छंद बनावत।।या दे कोई करे यदी शंका। जग दे मैंय्या काही डंका।।कहत राम सुंदर प्रभुदासा। तट प्रयागसे पूरब पासा।।ग्राम तिवारी पूर मम बासा। प्रगरा ग्राम निकट दुर वासा।।अब विलंब भय मोही पुकारत। मातृ कृपाकी बाट निहारत।।बड़ा द्वार सब आस लगाई। अब सुधि लेत शीतला माई।।''दोहा''यह चालीसा शीतला पाठ करे जो कोय।सपनें दुख व्यापे नही नित सब मंगल होय।।बुझे सहस्र विक्रमी शुक्ल भाल भल किंतू।जग जननी का ये चरित रचित भक्ति रस बिंतू।।Sheetala Ashtami Importance (शीतला अष्टमी महत्व)
माता शीतला स्वच्छता सेहत और सुख-समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी हैं। जिस घर में सप्तमी-अष्टमी तिथि को शीतला सप्तमी-अष्टमी व्रत और पूजा के विधि-विधान का पालन किया जाता है, वहां घर में सुख, शांति बनी रहती है और रोगों से मुक्ति भी मिलती है। मान्यता है कि नेत्र रोग, ज्वर, चेचक, कुष्ठ रोग, फोड़े-फुंसियां तथा अन्य चर्म रोगों से आहत होने पर मां की आराधना रोगमुक्त कर देती है, यही नहीं माता की आराधना करने वाले भक्त के कुल में भी यदि कोई इन रोंगों से पीड़ित हो तो ये रोग-दोष दूर हो जाते हैं। मां की अर्चना का स्त्रोत स्कंद पुराण में शीतलाष्टक के रूप में वर्णित है। ऐसा माना जाता है कि इस स्त्रोत की रचना स्वयं भगवान शंकर ने जनकल्याण में की थी।शीतला अष्टमी उपाय (Sheetala Ashtami Upay)
ऐसा माना जाता है कि नीम के पेड़ पर मां शीतला वास करती हैं। ऐसे में शीतला अष्टमी के अवसर पर नीम के पेड़ को जल अर्पित करें और इसके पश्चात पेड़ की सच्चे मन से सात परिक्रमा लगाएं। मान्यता है कि इस उपाय को करने से बच्चें के जीवन में आने वाले संकट दूर होते हैं।शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला की विधिपूर्वक पूजा करें और उन्हें श्रृंगार की चीजें समेत लाल रंग के फूल, लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।अगर आपका बच्चा बार-बार बीमार पड़ जाता है, तो ऐसे में शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला को पूजा के दौरान हल्दी अर्पित करें। पूजा समापन होने के बाद हल्दी को घर के सभी सदस्यों को लगाएं। माना जाता है कि इस उपाय को करने से बीमारियों से छुटकारा मिलता है।Sheetala Ashtami Date And Time 2024 (शीतला अष्टमी डेट और टाइम 2024)
चैत्र माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 01 अप्रैल को रात 09 बजकर 09 मिनट से होगी और इसके अगले दिन 02 अप्रैल को रात 08 बजकर 08 मिनट और तिथि का समापन होगा। ऐसे में अष्टमी का पर्व 02 अप्रैल को मनाया जाएगा।कब है शीतला अष्टमी या बसौड़ा 2024?
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 1 अप्रैल दिन को रात 09 बजकर 09 मिनट पर हो रही है। इस तिथि का समापन 2 अप्रैल को रात 08 बजकर 08 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए बसौड़ा यानी शीतला अष्टमी का व्रत 2 अप्रैल को रखा जाएगा।शीतला अष्टमी पूजा विधि (Sheetala Ashtami Puja Vidhi)
शीतला अष्टमी के दिन सुबह स्नान के साफ वस्त्र धारण करें।पूजा के दौरान हाथ में फूल, अक्षत, जल और दक्षिणा लेकर व्रत का संकल्प लें।माता को रोली, फूल, वस्त्र, धूप, दीप, दक्षिणा और बासा भोग अर्पित करें।शीतला माता को दही, रबड़ी, चावल आदि चीजों का भी भोग लगाया जाता है।पूजा के समय शीतला स्त्रोत का पाठ करें और पूजा के बाद आरती जरूर करें।पूजा करने के बाद माता का भोग खाकर व्रत खोलें।शीतला अष्टमी पूजा सामग्री (Sheetala Ashtami Puja samagri)
जल भरा कलश, ठंडा दूध, दही, रोली, कुमकुम, अक्षत, फूल, आटे का दीपक, घी, मौली, मेहंदी, हल्दी, वस्त्र, दक्षिणा, होली के बड़कुले, जल से भरा कलश, घी, आटे का दीपक, व्रत कथा की पुस्तक प्रसाद, राबड़ी, मीठा भात (ओलिया), बाजरे की रोटी, शक्कर पारे, पूड़ी, मगद, खाजा, कंडवारे, चने की दाल, चूरमा, नमक पारे, बेसन चक्की, पुए, पकौड़ी. भोगमें चढ़ाने के लिए इन चीजों को एक दिन पहले ही रात में बनाकर रख लें.शीतला अष्टमी कथा (Sheetala Ashtami Katha)
एक पौराणिक कथा के अनसुसार, एक दिन बूढ़ी औरत और उसकी दो बहुओं ने शीतला माता का व्रत रखा। मान्यता के मुताबिक अष्टमी के दिन बासी चावल माता शीतला को चढ़ाए व खाए जाते हैं। लेकिन दोनों बहुओं ने सुबह ताजा खाना बना लिया। क्योंकि हाल ही में दोनों की संताने हुई थीं, इस वजह से दोनों को डर था कि बासी खाना उन्हें नुकसान ना पहुंचाए।Sheetala Mata Bhajan (शीतला माता भजन)
https://www.youtube.com/watch?v=DuQeQgH7isYSheetala Mata Puja Vidhi (शीतला माता पूजा विधि)
माता को रोली, फूल, वस्त्र, धूप, दीप, दक्षिणा और बासा भोग अर्पित करें। शीतला माता को दही, रबड़ी, चावल आदि चीजों का भी भोग लगाया जाता है। पूजा के समय शीतला स्त्रोत का पाठ करें और पूजा के बाद आरती जरूर करें। पूजा करने के बाद माता का भोग खाकर व्रत खोलें।Sheetala Ashtami Bhog 2024 (शीतला अष्टमी भोग)
बासी पुआपूड़ीमिठाईदाल भातमीठे चावलहलवापकौड़ेSheetala Mata Ke Puja Kaise Karte Hain (शीतला माता की पूजा कैसे करते हैं)
शीतला अष्टमी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और व्रत का संकल्प लें. एक थाली में एक दिन पहले बनाए गए पकवान जैसे मीठे चावल, हलवा, पूरी आदि रख लें. पूजा के लिए एक थाली में आटे के दीपक, रोली, हल्दी, अक्षत, वस्त्र बड़कुले की माला, मेहंदी, सिक्के आदि रख लें. इसके बाद शीतला माता की पूजा करें।Sheetala Mantra (शीतला माता मंत्र)
वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्। मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।।शीतलाष्टक पाठ (Sheetala Ashtakam Lyrics)
ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः॥ ईश्वर उवाच॥वन्दे अहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बराम् ।मार्जनी कलशोपेतां शूर्पालं कृत मस्तकाम् ॥वन्देअहं शीतलां देवीं सर्व रोग भयापहाम् ।यामासाद्य निवर्तेत विस्फोटक भयं महत् ॥शीतले शीतले चेति यो ब्रूयाद्दारपीड़ितः ।विस्फोटकभयं घोरं क्षिप्रं तस्य प्रणश्यति॥यस्त्वामुदक मध्ये तु धृत्वा पूजयते नरः ।विस्फोटकभयं घोरं गृहे तस्य न जायते॥शीतले ज्वर दग्धस्य पूतिगन्धयुतस्य च ।प्रनष्टचक्षुषः पुसस्त्वामाहुर्जीवनौषधम् ॥शीतले तनुजां रोगानृणां हरसि दुस्त्यजान् ।विस्फोटक विदीर्णानां त्वमेका अमृत वर्षिणी॥गलगंडग्रहा रोगा ये चान्ये दारुणा नृणाम् ।त्वदनु ध्यान मात्रेण शीतले यान्ति संक्षयम् ॥न मन्त्रा नौषधं तस्य पापरोगस्य विद्यते ।त्वामेकां शीतले धात्रीं नान्यां पश्यामि देवताम् ॥॥ फल-श्रुति ॥मृणालतन्तु सद्दशीं नाभिहृन्मध्य संस्थिताम् ।यस्त्वां संचिन्तये द्देवि तस्य मृत्युर्न जायते ॥अष्टकं शीतला देव्या यो नरः प्रपठेत्सदा ।विस्फोटकभयं घोरं गृहे तस्य न जायते ॥श्रोतव्यं पठितव्यं च श्रद्धा भक्ति समन्वितैः ।उपसर्ग विनाशाय परं स्वस्त्ययनं महत् ॥शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता।शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः ॥रासभो गर्दभश्चैव खरो वैशाख नन्दनः ।शीतला वाहनश्चैव दूर्वाकन्दनिकृन्तनः ॥एतानि खर नामानि शीतलाग्रे तु यः पठेत् ।तस्य गेहे शिशूनां च शीतला रूङ् न जायते ॥शीतला अष्टकमेवेदं न देयं यस्य कस्यचित् ।दातव्यं च सदा तस्मै श्रद्धा भक्ति युताय वै ॥Sheetala Mata Chalisa (शीतला माता चालीसा लिरिक्स)
'दोहा''जय-जय माता शीतला, तुमहिं धरै जो ध्यान।होय विमल शीतल हृदय, विकसै बुद्धि बल ज्ञान।।घट घट वासी शीतला शीतल प्रभा तुम्हार।शीतल छैंय्या शीतल मैंय्या पल ना दार।।''चौपाई''जय-जय-जय श्री शीतला भवानी। जय जग जननि सकल गुणधानी।।गृह-गृह शक्ति तुम्हारी राजित। पूरन शरन चंद्रसा साजती।।विस्फोटक सी जलत शरीरा। शीतल करत हरत सब पीरा।।मातु शीतला तव शुभनामा। सबके गाढ़े आवहिं कामा।।शोकहरी शंकरी भवानी। बाल-प्राणरक्षी सुखदानी।।शुचि मार्जनी कलश करराजै। मस्तक तेज सूर्य समसाजे।।चौसठ योगिन संग में गावैं। वीणा ताल मृदंग बजावै।।नृत्य नाथ भैरो दिखरावैं। सहज शेष शिव पार ना पावैं।।धन्य-धन्य भात्री महारानी। सुरनर मुनि तब सुयश बखानी।।ज्वाला रूप महा बलकारी। दैत्य एक विस्फोटक भारी।।ज्वाला रूप महाबल कारी। दैत्य एक विश्फोटक भारी।।हर हर प्रविशत कोई दान क्षत। रोग रूप धरी बालक भक्षक।।हाहाकार मचो जग भारी। सत्यो ना जब कोई संकट कारी।।तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा। कर गई रिपुसही आंधीनी सूपा।।विस्फोटक हि पकड़ी करी लीन्हो। मुसल प्रमाण बहु बिधि कीन्हो।।बहु प्रकार बल बीनती कीन्हा। मैय्या नहीं फल कछु मैं कीन्हा।।अब नही मातु काहू गृह जै हो। जह अपवित्र वही घर रहि हो।।पूजन पाठ मातु जब करी है। भय आनंद सकल दुःख हरी है।।अब भगतन शीतल भय जै हे। विस्फोटक भय घोर न सै हे।।श्री शीतल ही बचे कल्याना। बचन सत्य भाषे भगवाना।।कलश शीतलाका करवावै। वृजसे विधीवत पाठ करावै।।विस्फोटक भय गृह गृह भाई। भजे तेरी सह यही उपाई।।तुमही शीतला जगकी माता। तुमही पिता जग के सुखदाता।।तुमही जगका अतिसुख सेवी। नमो नमामी शीतले देवी।।नमो सूर्य करवी दुख हरणी। नमो नमो जग तारिणी धरणी।।नमो नमो ग्रहोंके बंदिनी। दुख दारिद्रा निस निखंदिनी।।श्री शीतला शेखला बहला। गुणकी गुणकी मातृ मंगला।।मात शीतला तुम धनुधारी। शोभित पंचनाम असवारी।।राघव खर बैसाख सुनंदन। कर भग दुरवा कंत निकंदन।।सुनी रत संग शीतला माई। चाही सकल सुख दूर धुराई।।कलका गन गंगा किछु होई। जाकर मंत्र ना औषधी कोई।।हेत मातजी का आराधन। और नही है कोई साधन।।निश्चय मातु शरण जो आवै। निर्भय ईप्सित सो फल पावै।।कोढी निर्मल काया धारे। अंधा कृत नित दृष्टी विहारे।।बंधा नारी पुत्रको पावे। जन्म दरिद्र धनी हो जावे।।सुंदरदास नाम गुण गावत। लक्ष्य मूलको छंद बनावत।।या दे कोई करे यदी शंका। जग दे मैंय्या काही डंका।।कहत राम सुंदर प्रभुदासा। तट प्रयागसे पूरब पासा।।ग्राम तिवारी पूर मम बासा। प्रगरा ग्राम निकट दुर वासा।।अब विलंब भय मोही पुकारत। मातृ कृपाकी बाट निहारत।।बड़ा द्वार सब आस लगाई। अब सुधि लेत शीतला माई।।''दोहा''यह चालीसा शीतला पाठ करे जो कोय।सपनें दुख व्यापे नही नित सब मंगल होय।।बुझे सहस्र विक्रमी शुक्ल भाल भल किंतू।जग जननी का ये चरित रचित भक्ति रस बिंतू।।माता शीतला की आरती (Sheetala Mata Aarti)
ओम जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता,आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता. जय शीतला माता... रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता,ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता. जय शीतला माता...विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता,वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता. जय शीतला माता...इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा,सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता. जय शीतला माता...घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता,करै भक्त जन आरति लखि लखि हरहाता. जय शीतला माता...ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता,भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता. जय शीतला माताजो भी ध्यान लगावें प्रेम भक्ति लाता,सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता. जय शीतला माता...रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता,कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता. जय शीतला माता...बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता,ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता. जय शीतला माता...शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता,उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता. जय शीतला मातादास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता,भक्ति आपनी दीजै और न कुछ भाता.ओम जय शीतला माता....Sheetala Ashtami 2024 Date (शीतला अष्टमी डेट 2024)
इस साल शीतला अष्टमी का व्रत 2 अप्रैल को रखा जाएगा।Sheetala Mata Quotes In Hindi (शीतला माता)
शीतला माता का आशीर्वाद आपको सदा मिलता रहेगा। शीतला सप्तमी की ढेरों शुभ कामनाएं।शीतला माता वाहन (Sheetla Mata Vahan)
शीतला माता गधे की सवारी करती हैं, उनके हाथों में कलश, झाड़ू, सूप (सूपड़ा) रहते हैं और वे नीम के पत्तों की माला धारण करती हैं।Sheetala Ashtami 2024 Vrat Niyam (शीतला अष्टमी व्रत नियम)
शीतला अष्टमी के दिन रसोईघर में चूल्हा नहीं जलाना चाहिए। इस दिन जो बासी भोजन हो उसका ही भोग लगाएं और सेवन करें।इस दिन सुबह उठकर ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए।इस दिन शीतला माता के मंदिर में जाकर बासी भोजन का भोग लगाएं।उसके बाद जिस स्थान पर होलिका जलाई गई हो वहां जाकर भोग लगाएं।उसके बाद मंदिर से थोड़ा जल बचाकर घर लाएं और उसे पूरे घर में छिड़क दें।इस दिन हल्दी दीवार पर लगाएं और हल्दी का तिलक अपने बच्चों को भी लगाएं।शीतला माता को क्यों लगाया जाता है बासी खाने का भोग
ऐसा कहा जाता है कि शीतला सप्तमी सर्दियों के खत्म होने का प्रतीक है। यह सर्दी के मौसम का आखिरी दिन माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ अवसर पर मां शीतला को बासी खाने का भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे मां खुश होती हैं और अपने भक्तों सुख-शांति, आरोग्य मुक्ति का वरदान देती हैं। ये भी कहा जाता है कि मां शीतला की पूजा से निरोगी काया का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।Sheetla Mata Ke Puja Kaise Karen (शीतला माता की पूजा कैसे करें)
शीतला अष्टमी के दिन सुबह स्नान के साफ वस्त्र धारण करें।पूजा के दौरान हाथ में फूल, अक्षत, जल और दक्षिणा लेकर व्रत का संकल्प लें।माता को रोली, फूल, वस्त्र, धूप, दीप, दक्षिणा और बासा भोग अर्पित करें।शीतला माता को दही, रबड़ी, चावल आदि चीजों का भी भोग लगाया जाता है।पूजा के समय शीतला स्त्रोत का पाठ करें और पूजा के बाद आरती जरूर करें।पूजा करने के बाद माता का भोग खाकर व्रत खोलें।शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त (Sheetla Asthami Puja Muhurat)
2 अप्रैल को शीतला अष्टमी यानी बसौड़ा के दिन आप सुबह 06 बजकर 10 मिनट से शाम 06 बजकर 40 मिनट के बीच कभी भी शीतला माता की पूजा कर सकते हैं।शीतला माता की सवारी (Sheetla Mata Ke Sawari)
शीतला माता गधे की सवारी करती हैं, उनके हाथों में कलश, झाड़ू, सूप (सूपड़ा) रहते हैं और वे नीम के पत्तों की माला धारण करती हैं।Sheetla Mata Puja Vidhi (शीतला माता पूजा विधि)
सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।अपने घर और पूजा कक्ष की सफाई करें।गंगाजल से स्नान करवाएंकुमकुम का तिलक लगाएं।मां शीतला को सफेद फूलों की माला अर्पित करें।देवी शीतला को मालपुआ, हलवे आदि का भोग लगाएं।देसी घी का दीपक जलाएं।शीतला चालीसा का पाठ करें।Sheetla Mata Ki Aarti: शीतला माता की आरती
जय शीतला माता,मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महारानी,
सब फल की दाता ॥
ॐ जय शीतला माता..॥
रतन सिंहासन शोभित,
श्वेत छत्र भाता ।
ऋद्धि-सिद्धि चँवर ढुलावें,
जगमग छवि छाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
विष्णु सेवत ठाढ़े,
सेवें शिव धाता ।
वेद पुराण वरणत,
पार नहीं पाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
इन्द्र मृदङ्ग बजावत,
चन्द्र वीणा हाथा ।
सूरज ताल बजावै,
नारद मुनि गाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
घण्टा शङ्ख शहनाई,
बाजै मन भाता ।
करै भक्तजन आरती,
लखि लखि हर्षाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
ब्रह्म रूप वरदानी,
तुही तीन काल ज्ञाता ।
भक्तन को सुख देती,
मातु पिता भ्राता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
जो जन ध्यान लगावे,
प्रेम शक्ति पाता ।
सकल मनोरथ पावे,
भवनिधि तर जाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
रोगों से जो पीड़ित कोई,
शरण तेरी आता ।
कोढ़ी पावे निर्मल काया,
अन्ध नेत्र पाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
बांझ पुत्र को पावे,
दारिद्र कट जाता ।
ताको भजै जो नाहीं,
सिर धुनि पछताता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
शीतल करती जननी,
तू ही है जग त्राता ।
उत्पत्ति व्याधि बिनाशन,
तू सब की घाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
दास विचित्र कर जोड़े,
सुन मेरी माता ।
भक्ति आपनी दीजै,
और न कुछ भाता ॥
जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महारानी,
सब फल की दाता ॥
ॐ जय शीतला माता..॥
माता शीतला को क्यों चढ़ता है बासी भोग ?
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार शीतला माता की पूजा के दिन घर में चूल्हा नहीं जलता है। एक दिन पहले सारा भोजन बनाकर तैयार कर लिया जाता है, और फिर दूसरे दिन प्रात काल उठकर घर की महिलाएं शीतला माता की पूजा करने के बाद मां को बासी भोजन का भोग लगाती है, और घर के सभी सदस्य भी बासी भोजन ही करते हैं|शीतला अष्टमी का उपाय (Shitala Ashtami Ka Upay)
शीतला अष्टमी के दिन पूजा करें और पूजा के बाद नीम के पेड़ की पूजा करना ना भूलें। ऐसा करने से आपके अंदर नकारात्मक विचार नष्ट होते हैं और आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह शुरू हो जाता है।शीतला माता का मंत्र (Shitala Mata Ka Mantra)
''शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता।शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः।।
कैसा है मां शीतला का स्वरूप ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता शीतला गधे की सवारी करती हैं, और उन्होंने एक हाथ में झाड़ू और एक हाथ में ठंडे जल का कलश धारण किया है। माता शीतला ने नीम के पत्तों से बने आभूषणों को भी धारण किया है और उनके मुख पर एक विशेष प्रकार का तेज है|शीतला अष्टमी का महत्व? (Shitala Ashtami Ka Mahatva)
शीतला अष्टमी को कई जगहों पर बसौड़ा जयंती के नाम से भी जाना जाता है। शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि माता शीतला की पूजा करने से जातकों को रोग आदि से मुक्ति मिलती है।मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से जातकों के संतान को चेचक, खसरा, नेत्र संबंधी बीमारियां आदि नहीं होती हैं।Putrada Ekadashi 2025 Wishes In Hindi: ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय...यहां देखें पुत्रदा एकादशी के शुभकामना संदेश
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