Shiv Aarti: ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा
Shiv Aarti Lyrics In Hindi (Om Jai Shiv Omkara, Swami Jai Shiv Omkara Aarti Lyrics In Hindi): धार्मिक मान्यताओं अनुसार भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सोमावार का सबसे अचूक उपाय है उनकी 'ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा' आरती का गुणगान। जानिए शिव जी की आरती के लिरिक्स (Shiv Ji Ki Aarti) और इसे करने के नियम।

Shiv Ji Ki Aarti: शिव जी की आरती
Shiv Aarti Lyrics In Hindi: हिंदू धर्म में भगवान शिव (Bhagwan Shiv) की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं सभी देवी-देवताओं में महादेव ही ऐसे देव है जिन्हें बड़ी ही सरलता से प्रसन्न किया जा सकता है। इनकी पूजा के नियम भी बेहद सरल होते हैं। शिव जी (Shiv Ji) की कृपा करने का सबसे सरल उपाय माना जाता है उनकी आरती। शिव जी की आरती प्रतिदिन की पूजा में जरूर शामिल करनी चाहिए। अगर रोजाना संभव न हो तो सोमवार के दिन (Somvar Vrat Aarti), मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) के दिन और सावन सोमवार (Sawan Somvar 2023) में तो जरूर करें। मान्यता है इससे शिव जी की सदैव कृपा बनी रहती है।
How To Do Shiv Aarti (शिव जी की आरती कैसे करें)
भगवान शिव की आरती करने से पहले गणेश जी की आरती करें। शिव जी की प्रतिमा पर फूल चढ़ाएं और उनकी विधि विधान पूजा करें। इसके बाद भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। फिर शिव जी को भोग लगाएं और अंत में उनकी आरती का गुणगान करें। ध्यान रखें कि आरती के शब्दों का उच्चारण सही होना चाहिए। अब आगे देखिए शिव जी की आरती।
Shiv Aarti Lyrics In Hindi (शिव आरती लिरिक्स हिंदी में)
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
एकानन चतुरानन
पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
अक्षमाला वनमाला,
मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै,
भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित
ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी,
शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
पर्वत सोहैं पार्वती,
शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन,
भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
जटा में गंग बहत है,
गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत,
ओढ़त मृगछाला ॥
जय शिव ओंकारा...॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,
नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत,
महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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