Shiva Panchakshara Stotra: कुंडली में है कालसर्प दोष, सोमवार के दिन जरूर पढ़ें शिव पंचाक्षर स्तोत्र

Shiva Panchakshara Stotra Path: जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग या दोष होता है, उसे जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कालसर्प दोष को ज्योतिष में खतरनाक माना गया है। लेकिन यदि आप सोमवार के दिन भगवान शिव के शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करते हैं तो यह दोष दूर होता है।

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शिवजी के शिव पंचाक्षर स्तोत्र से दूर होता है कालसर्प दोष

मुख्य बातें
  • कुल 12 प्रकार के होते हैं कालसर्प दोष
  • शिवजी की अराधना से कालसर्प दोष का प्रभाव होता है कम
  • सोमवार के दिन शिव पंचाक्षर स्त्रोत का करें पाठ

Bholenath Shiva Panchakshara Stotra Impotance: ज्योतिष शास्त्र में कुंडली में स्थित नक्षत्र और ग्रह-दोषों के बारे में बताया गया है। इसमें कालसर्प दोष को खरतनाक माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार कालसर्प दोष कुल 12 प्रकार के होते हैं, जिसका व्यक्ति पर शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ता है। जिस जातक की कुंडली में यह दोष होता है, उसका जीवन हमेशा परेशानियों से घिरा होता है। यही कारण है कि लोग कालसर्प दोष के नाम से ही भयभीत हो जाते हैं। जब राहु और केतु एक ओर होते हैं तब अन्य ग्रह इनके बीच आ जाते हैं। ऐसे में कालसर्प योग का निर्माण होता है।

लेकिन भगवान शिवजी की भक्ति से इस दोष का प्रभाव कम हो जाता है। इसलिए जिनकी कुंडली में यह दोष होता है उन्हें भगवान शिव की अराधना करनी चाहिए और प्रत्येक सोमवार को शिवजी के शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।

मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:।।

शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।

श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:।।

वशिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय।

चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:।।

यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय।

दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:।।

पंचाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेत शिव सन्निधौ।

शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते।।

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे ‘न’ काराय नमः शिवायः।।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र का महत्व: शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पांच श्लोकों में ‘न’, ‘म’, ‘शि’, ‘वा’ और ‘य’ यानी ‘नम: शिवाय’ में भगवान शिव के स्वरूप का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र में शिवजी की स्तुति के बारे में लिखा गया है। शिव पंचाक्षर स्त्रोत में भगवान शिव के स्वरूप और उनके गुणों की व्याख्या भी की गई है। इसलिए इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। शिवजी की पूजा करते समय इस स्तोत्र का पाठ जरूर करें। इसके अलावा शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से कुंडली में स्थित है ‘कालसर्प दोष’ का अशुभ प्रभाव भी कम होता है।

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