भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग लगाने के पीछे क्या है वजह? वासुदेव को क्यों चढ़ाया जाता है ये प्रसाद

Shri Krishna 56 Bhog History in Hindi: भगवान श्री कृष्ण को लोग अक्सर 56 भोग का प्रसाद चढ़ाते हैं, लेकिन ये 56 तरह के व्यंजन चढ़ाने के पीछे बहुत ही रोचक तथ्य हैं। आज हम आपको इन्हीं रोचक तथ्यों के बारे में रूबरू कराने वाले, आइए जानते हैं 56 भोग के पीछे की पूरी कहानी।

chhappan bhog to Krishna Bhagwan (Pic: Speaking Tree)

Shri Krishna 56 Bhog History in Hindi: पौराणिक कथाओं और हिंदू ग्रंथो के मुताबिक ये तो हर किसी को पता है कि, श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार थे। इसी की वजह है कि भगवान श्री कृष्ण जब तक इस धरती पर रहे, संघर्ष और कड़ी मेहनत से श्री कृष्ण ने कभी मुह नहीं मोड़ा। विपरीत परिस्थियों में भी श्री कृष्ण कभी विचलित नहीं हुए। पृथ्वी पर जन्म लेकर जब श्री कृष्ण धर्म की स्थापना कर रहे थे, उस समय ब्रजवासियों की रक्षा के लिए उन्होंने भगवान इंद्र का भी एक बार घमंड तोड़ा था। ऐसा कहा जाता है कि, बृजवासी इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए एक बड़ा हवन करने की तैयारी में जुटे थे, तब श्री कृष्ण ने नंद बाबा से पूछा था, कि ये आयोजन किस लिए हो रहा है। तब नंद बाबा ने कहा था कि, ये आयोजन स्वर्ग के भगवान इंद्र को खुश करने के लिए किया जा रहा है। ताकि वो अच्छी बारिश करें जिससे ब्रजवासियों ने खेत में जो फसल लगाई है वो अच्छी तरह उपजे।

तब श्री कृष्ण भगवान ने कहा जब बारिश कराना इंद्रदेव का काम है, तो उनकी पूजा करनी क्यों जरूरी है। अगर पूजा करनी है तो गोवर्धन पर्वत की करो क्योंकि इससे फल-सब्जियां प्राप्त होती हैं, और जानवरों को चारा मिलता है। तब सभी को भगवान श्री कृष्ण की बात अच्छी लगी। सभी ने इंद्र की पूजा ना करके गोवर्धन पर्वत की पूजा की।

सिर्फ भगवान कृष्ण को ही क्यों लगाया जाता है 56 भोग ?

ब्रजवासियों के गोवर्धन पर्वत की पूजा करने पर भगवान इंद्र को बहुत ज्यादा गुस्सा आया। उन्होंने पूरे ब्रज में भयंकर वर्षा की, ब्रज समेत आस-पास के इलाकों में बाढ़ आने लगी, और लोगों के घरो में पानी घुसने लगा। तब ब्रजवासियों ने नंद बाबा के घर के बाहर जाकर मदद मांगी। लेकिन काले-काले बादल और भारी बारिश के चलते नंद बाबा चाह कर भी उनकी मदद करने में अस्मर्थ रहे। जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण सभी की मदद के लिए आगे आए और उन्होंने सभी ब्रजवासियों को अपने पीछे आने को कहा, और सभी को गोवर्धन पर्वत के पास लेकर गए। और तब भगवान श्री कृष्ण ने एक हाथ में मुरली ली और दूसरे हाथ की एक उंगली से पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया। पूरे 7 दिन तक गोवर्धन पर्वत के नीचे ब्रजवासियों की रक्षा करते रहे। इस दौरान 7 दिनों तक श्री कृष्ण को भूखा रहना पड़ा। जिसके बाद उन्हें अगले 7 दिनों तक दिन भर में 8 बार नए-नए पकवान खिलाए गए। तब से 56 भोग की प्रथा आज तक जारी है। और लोग बड़े प्रेम भाव से भगवान श्री कृष्ण को 56 व्यंजनों का भोग लगाते हैं।

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