Shri Krishna Chalisa Lyrics: जन्माष्टमी पर करें कृष्ण चालीसा का पाठ, यहां देखें पूरी लिरिक्स

Krishna Chalisa Lyrics In Hindi: जन्माष्टमी के दिन कृष्ण चालीसा का पाठ करने से साधक की सारी इच्छाओं की पूर्ति होती है। यहां पढ़ें कृष्ण चालीसा की पूरी लिरिक्स हिंदी में।

Krishna Chalisa Lyrics

Krishna Chalisa Lyrics

Krishna Chalisa Lyrics In Hindi: जन्माष्टमी का पर्व पूरा देश बहुत ही धूमधाम के साथ मनाता है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है और प्यारी- प्यारी झांकियां निकाली जाती है। जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है और कृष्ण भगवान की पूजा पूरे विधि- विधान के साथ की जाती है। जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने से और कृष्ण की पूजा करने से साधक की सारी मनोकामना की पूर्ति होती है और उसको संतान सुख की भी प्राप्ति होती है। जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर कृष्ण चालीसा का पाठ करना बहुत ही उत्तम माना जाता है। इस दिन पूजा के समय कृष्ण चालीसा का पाठ जरूर करें। आइए यहां देखें कृष्ण चालीसा।

जन्माष्टमी के दिन क्या करें क्या नहीं

Krishna Chalisa Lyrics In Hindi (कृष्ण चालीसा लिरिक्स)

॥ दोहा ॥

बंशी शोभित कर मधुर,नील जलद तन श्याम।

अरुण अधर जनु बिम्बा फल,पिताम्बर शुभ साज॥

जय मनमोहन मदन छवि,कृष्णचन्द्र महाराज।

करहु कृपा हे रवि तनय,राखहु जन की लाज॥

चौपाई

जय यदुनन्दन जय जगवन्दन।जय वसुदेव देवकी नन्दन॥

जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥

जय नट-नागर नाग नथैया।कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया॥

पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो।आओ दीनन कष्ट निवारो॥

वंशी मधुर अधर धरी तेरी।होवे पूर्ण मनोरथ मेरो॥

आओ हरि पुनि माखन चाखो।आज लाज भारत की राखो॥

गोल कपोल, चिबुक अरुणारे।मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥

रंजित राजिव नयन विशाला।मोर मुकुट वैजयंती माला॥

कुण्डल श्रवण पीतपट आछे।कटि किंकणी काछन काछे॥

नील जलज सुन्दर तनु सोहे।छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥

मस्तक तिलक, अलक घुंघराले।आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥

करि पय पान, पुतनहि तारयो।अका बका कागासुर मारयो॥

मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला।भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला॥

सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई।मसूर धार वारि वर्षाई॥

लगत-लगत ब्रज चहन बहायो।गोवर्धन नखधारि बचायो॥

लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई।मुख महं चौदह भुवन दिखाई॥

दुष्ट कंस अति उधम मचायो।कोटि कमल जब फूल मंगायो॥

नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें।चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें॥

करि गोपिन संग रास विलासा।सबकी पूरण करी अभिलाषा॥

केतिक महा असुर संहारयो।कंसहि केस पकड़ि दै मारयो॥

मात-पिता की बन्दि छुड़ाई।उग्रसेन कहं राज दिलाई॥

महि से मृतक छहों सुत लायो।मातु देवकी शोक मिटायो॥

भौमासुर मुर दैत्य संहारी।लाये षट दश सहसकुमारी॥

दै भिन्हीं तृण चीर सहारा।जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥

असुर बकासुर आदिक मारयो।भक्तन के तब कष्ट निवारियो॥

दीन सुदामा के दुःख टारयो।तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो॥

प्रेम के साग विदुर घर मांगे।दुर्योधन के मेवा त्यागे॥

लखि प्रेम की महिमा भारी।ऐसे श्याम दीन हितकारी॥

भारत के पारथ रथ हांके।लिए चक्र कर नहिं बल ताके॥

निज गीता के ज्ञान सुनाये।भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये॥

मीरा थी ऐसी मतवाली।विष पी गई बजाकर ताली॥

राना भेजा सांप पिटारी।शालिग्राम बने बनवारी॥

निज माया तुम विधिहिं दिखायो।उर ते संशय सकल मिटायो॥

तब शत निन्दा करी तत्काला।जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥

जबहिं द्रौपदी टेर लगाई।दीनानाथ लाज अब जाई॥

तुरतहिं वसन बने ननन्दलाला।बढ़े चीर भै अरि मुँह काला॥

अस नाथ के नाथ कन्हैया।डूबत भंवर बचावत नैया॥

सुन्दरदास आस उर धारी।दयादृष्टि कीजै बनवारी॥

नाथ सकल मम कुमति निवारो।क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥

खोलो पट अब दर्शन दीजै।बोलो कृष्ण कन्हैया की जै॥

॥ दोहा ॥

यह चालीसा कृष्ण का,पाठ करै उर धारि।

अष्ट सिद्धि नवनिधि फल,लहै पदारथ चारि॥

Krishna Chalisa Importance (कृष्ण चालसी महत्व)कृष्ण चालीसा का पाठ रोजाना करना बहुत ही शुभ माना जाता है। यदि आप रोज इस चालसी का पाठ नहीं कर सकते हैं तो जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर कृष्ण चालीसा का पाठ जरूर करें। इस दिन कृष्ण चालीसा का पाठ करने से साधक की सारी इच्छआओं की पूर्ति होती है और उसके परिवार में सुख, समृद्धि आती है।

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जयंती झा author

बिहार के मधुबनी जिले से की रहने वाली हूं, लेकिन शिक्षा की शुरुआत उत्तर प्रदेश की गजियाबाद जिले से हुई। दिल्ली विश्वविद्यायलय से हिंदी ऑनर्स से ग्रेजुए...और देखें

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