Kanha Ji Ki Chhati: कृष्ण छठी की कथा से जानिए क्यों की जाती है लड्डू गोपाल की पूजा
Krishna Bhagwan K Chhati Ki Katha: आज भगवान श्री कृष्ण की छठी मनाई जा रही है। इस दिन कई लोग व्रत रख लड्डू गोपाल की विधि विधान पूजा करते हैं। यहां जानिए कान्हा जी की छठी की पौराणिक कथा जो इस दिन जरूर पढ़नी चाहिए।
Krishna Ji Ki Chhati Ki Katha In Hindi
Krishna Chhati Katha: जन्माष्टमी के छठे दिन बाद श्री कृष्ण भगवान की छठी मनाई जाती है। जो इस बार 12 सितंबर दिन मंगलवार को पड़ी है। इस दिन भक्तजन विधि-विधान कान्हा की पूजा करते हैं और उन्हें पीले रंग के वस्त्र पहनाते हैं। इसी के साथ इस दिन लड्डू गोपाल को माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है। लेकिन श्री कृष्ण जी की छठी क्यों मनाते हैं क्या जानते हैं आप? जानने के लिए देखिए श्री कृष्ण छठी की कथा।
Krishna Chhati Puja Vidhi, Muhurat And Mahatva
Krishna Ji Ki Chhati Ki Katha In Hindi
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त कुंभनदास थे। जिनका बेटा था रघुनंदन। कुंभनदास के पास भगवान श्रीकृष्ण बासुंरी बजाते हुए चित्र था। कुंभनदास हमेशा उसकी ही पूजा में लीन रहते थे। वो प्रभु को छोड़कर कभी कहीं नहीं जाते थे। एक बार कुंभनदास के लिए वृंदावन से भागवत कथा का बुलावा आया। पहले तो कुंभनदास ने उस भागवत कथा में जाने से मना कर दिया। परंतु सभी के आग्रह करने पर वे जाने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने सोचा कि पहले वे भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करेंगे और इसके बाद ही वह भागवत कथा करने जाएगे। इस तरह से उनका पूजा का नियम भी नहीं टूटेगा। कुंभनदास ने अपने पुत्र से कहा कि मैंने भगवान श्रीकृष्ण का भोग तैयार कर दिया है। तुम बस ठाकुरजी को भोग लगा देना इतना कहकर वह वृंदावन के लिए निकल पड़े।
कुंभनदास के बेटे ने भोग की थाली ठाकुर जी के सामने रख दी और उनसे प्रार्थना कि वह आएं और भोग लगा लें। रघुनंदन मन ही मन ये सोच रहा था कि ठाकुरजी आएंगे और सभी मनुष्य की तरह अपने हाथों से खाएंगे। कुंभनदास के बेटे ने कई बार भगवान श्रीकृष्ण से आकर भोजन करने के लिए कहा। लेकिन खाना उसी प्रकार से देखकर वह निराश हो गया और रोने लगा। उसने रोते-रोते भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि भगवान आप आते क्यों नहीं हैं, आकर भोग लगाइए। उसकी पुकार सुनकर ठाकुरजी एक बालक का रूप लेकर आ गए और भोजन करने के लिए बैठ गए। जिसके बाद रघुनंदन के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। वृंदावन से भागवत करके जब कुंभनदास घर लौटा तो उसने बेटे से प्रसाद के बारे में पूछा। रघुनंदन ने अपने पिता से कहा कि ठाकुरजी ने सारा भोजन खा लिया। कुंभनदास ने सोचा की अभी रघुनंदन नादान है। उसने बी सारा प्रसाद खा लिया होगा और डांट की वजह से झूठ बोल रहा है। अब रोज कुंभनदास भागवत कथा के लिए जाते और जब वह घर वापस आते तो देखते सारा प्रसाद खत्म हो जाता था।
कुंभनदास को लगा कि अब उनका पुत्र कुछ ज्यादा ही झूठ बोलने लगा है। कुंभनदास ने एक दिन लड्डू बनाकर थाली में रख दिए और दूर छिपकर देखने लगे। रघुनंदन ने उस दिन भी रोज की ही भांति ठाकुरजी को आवाज लगाई और ठाकुरजी फिर से एक बालक के वेष में कुंभनदास के बेटे के सामने आ गए। रघुनंदन ने ठाकुरजी से खाने के लिए कहा। जिसके बाद ठाकुरजी लड्डू खाने लगे। कुंभनदास जो दूर खड़ा इस घटना को देख रहा था। वह तुरंत ही आकर ठाकुर जी के चरणों में गिर पड़ा। ठाकुरजी के एक हाथ में लड्डू था और दूसरे हाथ का लड्डू जाने ही वाला था। लेकिन ठाकुरजी उसी समय वहीं पर जमकर रह गए। कहते हैं तभी से लड्डू गोपाल के इस रूप की पूजा की जाने लगी। कहते हैं कृष्ण भगवान की छठी के दिन जो इस कथा का पाठ करता है उससे कन्हैया प्रसन्न होते हैं और श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
अध्यात्म और ज्योतिष की दुनिया बेहद दिलचस्प है। यहां हर समय कुछ नया सिखने और जानने को मिलता है। अगर आपकी अध्यात्म और ज्योतिष में गहरी रुचि है और आप इस ...और देखें
24 November 2024 Panchang: मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि के शुभ मुहूर्त, राहुकाल समेत पूरा पंचांग यहां देखें
इन चार राशि वालों के जीवन में तबाही मचा देगा शुक्र का मकर राशि में गोचर, चेक करें कहीं आपकी राशि तो इनमें नहीं
Shani Gochar 2025: शनि के मीन राशि में गोचर से क्यों घबरा रहे हैं ज्योतिष, क्या तृतीय विश्व युद्ध की है आहट
Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत 2025, जानें जनवरी से दिसंबर तक की डेट्स
Ekadashi 2025: एकादशी व्रत 2025, जानें जनवरी से दिसंबर तक की डेट्स
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited