Ram Bhagwan Ki Aarti Lyrics, Dussehra Vijayadashami 2024: रावण दहन से पहले की जाती है भगवान राम की आरती, देखें श्री राम चंद्र कृपालु भजमन लिरिक्स

Shree Ram Chandra Kripalu Bhajman (श्री राम चंद्र कृपालु भजमन आरती) Shri Ram Ji Ki Aarti, Dussehra 2024 Par Bhagwan Ram Ji Ki Aarti: दशहरा के दिन रावण दहन से पहले भगवान राम की पूजा की जाती है। इस पूजा के समय भगवान राम के मंत्रों का जाप करने के साथ उनकी आरती भी जरूर की जाती है। यहां देखें श्री राम जी की आरती के लिरिक्स।

Ram Bhagwan Ki Aarti Lyrics pdf

Ram Ji Ki Aarti Lyrics Pdf

Shree Ram Chandra Kripalu Bhajman Aarti ( श्री राम चंद्र कृपालु भजमन ) Shri Ram Ji Ki Aarti Lyrics: दशहरा का पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में रावण दहन किया जाता है। रावण दहन से पहले भगवान राम की विधि विधान पूजा की जाती है। इस दिन श्री राम चालीसा, रामरक्षा स्तोत्र और भगवान राम के मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए। तो वहीं पूजा के अंत में श्री राम भगवान की आरती जरूर करें। यहां देखें राम जी की आरती के लिरिक्स।

श्री राम जी की आरती लिरिक्स (Shri Ram Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi)

श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि नोमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम अङ्ग फरकन लगे।

राम जी की आरती pdf (Ram Aarti Pdf)

श्री रामचन्द्र जी की आरती (Shri Ramchandra Ki Aarti)

आरती कीजै रामचन्द्र जी की।
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥
पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला॥
दूसरी आरती देवकी नन्दन।
भक्त उबारन कंस निकन्दन॥
तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्‍‌न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥
चौथी आरती चहुं युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥
पांचवीं आरती राम को भावे।
रामजी का यश नामदेव जी गावें॥
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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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