Shri Satyanarayan Ji Ki Aarti: पू्र्णिमा के दिन करें सत्यनारायण जी की आरती, यहां देखें लिरिक्स हिंदी में

Shri Satyanarayan Ji Ki Aarti: धार्मिक मान्यता है कि श्री सत्यनारायण जी की पूजा करने से जीवन की सभी प्रकार की चिंताएं और परेशानियां दूर हो जाती हैं। साथ ही घर में सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली आएगी। यहां देखें सत्यनारायण जी की आरती लिरिक्स हिंदी में।

Satyanaryan Ji Aarti

Shri Satyanarayan Ji Ki Aarti: सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा, गायन, पश्चाताप और दान की परंपरा है। इसके अलावा पूर्णिमा के दिन श्री सत्यनारायण जी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि श्री सत्यनारायण जी की पूजा करने से जीवन की सभी प्रकार की चिंताएं और परेशानियां दूर हो जाती हैं। यह घर में सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली भी लाता है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं तो पूर्णिमा के दिन श्री सत्यनारायण जी की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा के दौरान श्री सत्यनारायण जी की आरती भी करें। धार्मिक शास्त्र कहते हैं कि पूजा के दौरान आरती करने से घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर हो जाते हैं। आय और सुख में भी वृद्धि होती है। यहां देखें सत्यनारायण जी की आरती लिरिक्स ।

Shri Satyanarayan Ji Ki Aarti (सत्यनारायण जी की आरती लिरिक्स)जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायण स्वामी,

जन पातक हरणा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

रत्‍‌न जडि़त सिंहासन,

अद्भुत छवि राजै ।

नारद करत निराजन,

घण्टा ध्वनि बाजै ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

प्रकट भये कलि कारण,

द्विज को दर्श दियो ।

बूढ़ा ब्राह्मण बनकर,

कंचन महल कियो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

दुर्बल भील कठारो,

जिन पर कृपा करी ।

चन्द्रचूड़ एक राजा,

तिनकी विपत्ति हरी ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

वैश्य मनोरथ पायो,

श्रद्धा तज दीन्ही ।

सो फल भोग्यो प्रभुजी,

फिर-स्तुति कीन्हीं ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

भाव भक्ति के कारण,

छिन-छिन रूप धरयो ।

श्रद्धा धारण कीन्हीं,

तिनको काज सरयो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

ग्वाल-बाल संग राजा,

वन में भक्ति करी ।

मनवांछित फल दीन्हों,

दीनदयाल हरी ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

चढ़त प्रसाद सवायो,

कदली फल, मेवा ।

धूप दीप तुलसी से,

राजी सत्यदेवा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

श्री सत्यनारायण जी की आरती,

जो कोई नर गावै ।

ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति,

सहज रूप पावे ॥

जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायण स्वामी,

जन पातक हरणा ॥

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