Shaligram Ji Ki Aarti: शालिग्राम सुनो विनती मेरी...तुलसी विवाह के दिन जरूर करें शालिग्राम भगवान की आरती, यहां देखें संपूर्ण लिरिक्स

Shaligram Ji Ki Aarti: कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी और द्वादशी के दिन तुलसी जी का विवाह शालिग्राम भगवान के साथ किया जाता है। ऐसे में इस दिन तुलसी जी की आरती के बाद शालिग्राम जी की आरती भी जरूर करनी चाहिए।

Shaligram Ji Ki Aarti

Shaligram Ji Ki Aarti: शालिग्राम जी भगवान विष्णु का ही स्वरूप माने जाते हैं। जिनकी हर साल तुलसी जी से शादी कराई जाती है। भक्तजन कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी या द्वादशी तिथि पर तुलसी माता का विवाह शालिग्राम शिला से कराते हैं। इस दौरान तुलसी माता और शालिग्राम जी की विधि विधान पूजा की जाती है। साथ ही आरती करके पूजा संपन्न की जाती है। तुलसी विवाह के दिन तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) के साथ शालिग्राम भगवान की आरती भी जरूर करनी चाहिए। यहां देखें शालिग्राम जी की आरती के लिरिक्स।

शालिग्राम जी की आरती (Shaligram Ji Ki Aarti)

शालिग्राम सुनो विनती मेरी ।

यह वरदान दयाकर पाऊं ॥

प्रात: समय उठी मंजन करके ।

प्रेम सहित स्नान कराऊँ ॥

चन्दन धुप दीप तुलसीदल ।

वरन -वरण के पुष्प चढ़ाऊँ ॥

तुम्हरे सामने नृत्य करूँ नित ।

प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं ॥

चरण धोय चरणामृत लेकर ।

कुटुंब सहित बैकुण्ठ सिधारूं ॥

जो कुछ रुखा सूखा घर में ।

भोग लगाकर भोजन पाऊं ॥

मन वचन कर्म से पाप किये ।

जो परिक्रमा के साथ बहाऊँ ॥

ऐसी कृपा करो मुझ पर ।

जम के द्वारे जाने न पाऊं ॥

माधोदास की विनती यही है ।

हरी दासन को दास कहाऊं ॥

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