Pradosh Vrat Katha In Hindi: शुक्र प्रदोष व्रत कथा पढ़ने से मिलेगा सुख-समृद्धि का वरदान

Pradosh Vrat Katha: आज शुक्र प्रदोष व्रत है। इस व्रत में विधि विधान भगवान शिव की पूजा करने के बाद शुक्र प्रदोष व्रत की कथा सुनना बिल्कुल भी न भूलें। यहां देखिए पूरी कथा।

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Shukra Pradosh Vrat Katha: शुक्र प्रदोष व्रत कथा

Shukra Pradosh Vrat Katha In Hindi: जब त्रयोदशी व्रत शुक्रवार को आता है तो उसे शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। इस व्रत को करने से मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ये व्रत सभी पापों का नाश करने वाला माना गया है। इस दिन भगवान शिव के साथ शुक्र ग्रह का भी पूजन किया जाता है। शुक्र प्रदोष व्रत से कुंडली में शुक्र की स्थिति मजबूत होती है। जिससे विवाह में आ रही परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। अब जानिए शुक्र प्रदोष व्रत की पावन कथा।

शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा विधि विस्तार से यहां जानिए

शुक्र प्रदोष व्रत कथा हिंदी में (Shukra Pradosh Vrat Katha)

एक समय की बात है एक नगर में तीन मित्र रहते थे एक राजकुमार, दूसरा ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र। इन तीनों ही मित्रों का विवाह हो चुका था लेकिन धनिक पुत्र अभी गौना शेष था। एक दिन तीनों मित्र अपनी स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे। ब्राह्मण ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘जिस घर में नारी नहीं होती वहां भूतों का डेरा होता है’ धनिक पुत्र ने ये सुनकर तुरन्त ही अपनी पत्नी को लाने का निश्चय किया।

धनिक पुत्र को उसके माता–पिता ने से समझाया कि अभी शुक्र अस्त हैं। ऐसे में बहू–बेटियों को उनके घर से विदा करवाकर नहीं लाना चाहिए। किन्तु धनिक पुत्र नहीं माना और अपनी पत्नी के घर जा पहुंचा। ससुराल में उसे रोकने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी। लड़की के माता–पिता को अपनी कन्या की विदाई करनी पड़ी।

धनिक पुत्र अपनी पत्नी को लेकर नगर से बाहर निकला ही था कि उसकी बैलगाड़ी का पहिया अलग हो गया और उसके बैल की भी टांग टूट गई। जिससे दोनों पति-पत्नी को काफी चोटें आईं लेकिन फिर भी वो आगे बढ़ते रहे। कुछ दूर जाने पर उनकी भेंट डाकुओं से हो गई। डाकू ने उनका सारा धन-धान्य लूट लिया। दोनों रोते–पीटते घर पहुंचे। वहां जाकर धनिक पुत्र को सांप ने काट लिया। उसके पिता ने वैद्य को बुलवाया। वैद्य ने कहा कि धनिक पुत्र तीन दिन में मर जाएगा ।

जब धनिक पुत्र के मित्र ब्राह्मण कुमार को ये समाचार मिला तो वह तुरन्त आया। उसने धनिक पुत्र के माता–पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने के लिए कहा साथ ही ये भी कहा कि इसे पत्नी सहित वापस ससुराल भेज दें क्योंकि ये सारी बाधाएं इसलिए आई हैं क्योंकि आपका पुत्र शुक्र अस्त के समय में अपनी पत्नी को विदा करा लाया है। यदि ये अपनी ससुराल पहुंच गया तो बच जाएगा। ‘धनिक को ब्राह्मण कुमार की बात ठीक लगी। उसने अपनी पुत्र को उसकी पत्नी के साथ ससुराल भेज दिया। ससुराल पहुंचते ही धनिक कुमार की हालत ठीक होती चली गई। शुक्र प्रदोष को करने से सभी घोर कष्ट टल गए।

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