Shukra Pradosh Vrat Katha In Hindi: शुक्र प्रदोष व्रत की कथा पढ़ने से हर कष्ट होगा दूर

Shukra Pradosh Vrat Katha In Hindi: जब प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ता है तो उसे शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। यहां पढ़ें शुक्र प्रदोष व्रत कथा संपूर्ण।

Shukra Pradosh Vrat Katha In Hindi

Shukra Pradosh Vrat Katha In Hindi (शुक्रवार प्रदोष व्रत कथा): आज शुक्र प्रदोष व्रत और धनतेरस का अद्भुत संयोग बना है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत की काफी महिमा मानी जाती है। मान्यता है इस व्रत को करने से भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। वहीं जब प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ता है तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। कहते हैं शुक्रवार प्रदोष व्रत करने से मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है। ये व्रत सभी पापों से मुक्ति दिलाता है। यहां देखिए शुक्र प्रदोष व्रत की कथा।

शुक्र प्रदोष व्रत कथा हिंदी में (Shukra Pradosh Vrat Katha)

एक नगर में तीन मित्र रहते थे जिसमें एक राजकुमार था, दूसरा ब्राह्मण कुमार था और तीसरा धनिक पुत्र था। इन तीनों ही मित्रों का विवाह हो चुका था लेकिन धनिक पुत्र का गौना होना शेष था। एक दिन तीनों मित्र अपनी पत्नियों की चर्चा कर रहे थे। ब्राह्मण ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘जिस घर में नारी नहीं होती वहां भूतों का वास रहता था’ धनिक पुत्र ने ये सुनकर तुरन्त ही अपनी पत्नी को लाने का निर्णय लिया।

धनिक पुत्र अपनी पत्नी को लेने के लिए उसके माता–पिता के घर गया लेकिन उस समय शुक्र अस्त चल रहे थे। इसलिए लड़की के माता-पिता ने अपनी पुत्री देने से मना कर दिया लेकिन धनिक पुत्र ने किसी की एक नहीं सुनी और वो जबरदस्ती अपनी पत्नी को उसके घर से विदा करा लाया। दरअसल शुक्र के अस्त होने के समय बहू-बेटियों की विदाई नहीं की जाती है।

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