Shukrawar Pradosh Vrat Katha: शुक्र प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा यहां पढ़ें
Shukra Pradosh Vrat Katha, Kahani And Story In Hindi: 8 मार्च को प्रदोष व्रत और महाशिवरात्रि व्रत का अद्भुत संयोग बना है। ऐसे में इस दिन शिव जी की पूजा करने और व्रत कथा पढ़ने से पुण्य फल की प्राप्ति होगी। यहां देखें शुक्रवार प्रदोष व्रत कथा।
Shukrawar Pradosh Vrat Katha In Hindi
Shukra Pradosh Vrat Katha, Kahani And Story In Hindi: वार के अनुसार हर प्रदोष व्रत का महत्व अलग-अलग होता है। जब प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ता है तो उसे शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। मार्च की 8 तारीख को शुक्र प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन महाशिवरात्रि का शुभ संयोग भी बन रहा है। ऐसे में ये प्रदोष व्रत अत्यंत शुभ फलदायी साबित होगा। कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से शुक्र प्रदोष व्रत रखता है उसके जीवन की समस्त समस्याएं दूर हो जाती हैं। यहां जानिए शुक्र प्रदोष व्रत की कथा।
शुक्र प्रदोष व्रत कथा (Shukra Pradosh Vrat Katha In Hindi)
एक नगर में 3 मित्र रहते थे जिनमें से एक राजकुमार था, दूसरा ब्राह्मण और तीसरा धनिक पुत्र था। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार की शादी हो चुकी थी। कुछ समय बाद धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया पर अभी उसका गौना नहीं हुआ था। इसलिए धनिक पुत्र की पत्नी मायके में रहती थी। एक दिन तीनों दोस्त साथ बैठकर वार्तालाप कर रहे थे। तब ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की तारीफ करते हुए कहा कि ''नारीहीन घर भूतों का डेरा'' होता है।
क्योंकि धनिक पुत्र की पत्नी अपनी मायके में रहती थी तो उसे ये बात सही नहीं लगी। ऐसे में उसने अपनी पत्नी को घर से लाने का निश्चय कर लिया। धनिक पुत्र के माता-पिता ने उसे खूब समझाया कि शुक्र ग्रह डूबने के समय बहू-बेटियों को उनके घर से विदा कराकर नहीं लाते हैं। लेकिन धनिक पुत्र ने किसी की नहीं सुनी और वह अपनी पत्नी को लेने उसके मायके पहुंच गया।
धनिक पुत्र के ससुराल वालों ने भी उसके खूब समझाया लेकिन वह जबरदस्ती अपनी पत्नी को विदा करा लाया। विदाई के बाद दोनों पति-पत्नी शहर से निकले ही रहे थे कि उनकी बैलगाड़ी का एक पहिया निकल गया और बैल की भी टांग टूट गई। जिससे दोनों को चोट लग गई लेकिन फिर भी वे आगे चलते रहे। कुछ देर बाद उन्हें डाकूओं ने पकड़ लिया और उनका सारा पैसा लूट लिया। जैसे ही दोनों घर पहुंचे, तो धनिक पुत्र को फिर सांप ने डंस लिया। जब धनिक पुत्र को ठीक करने वैद्य आया तो उसने बताया कि इसकी 3 दिन में ही मृत्यु हो जाएगी।
धनिक पुत्र के मित्र ब्राह्मण कुमार को जब ये खबर मिली तो वह भागा भागा अपने दोस्त के घर पहुंचा और उसने उसके माता-पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने के लिए कहा। साथ ही उसने कहा कि इसे पत्नी सहित वापस ससुराल भेज दें। ब्राह्मण कुमार के कहे अनुसार धनिक कुमार को उसके ससुराल वापस भेज दिया गया। धनिक कुमार के माता-पिता ने शुक्र प्रदोष व्रत किया और ससुराल जाकर धनिक पुत्र की हालत ठीक होती गई। इस तरह शुक्र प्रदोष के माहात्म्य से धनिक कुमार के सभी कष्ट दूर हो गए। इसलिए शुक्र प्रदोष के दिन यह कथा अवश्य पढ़नी या सुननी चाहिए।
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