Shukra Pradosh Vrat Katha In Hindi: शुक्रवार प्रदोष व्रत कथा पढ़ने से सारे कष्ट हो जाएंगे दूर

Shukra Pradosh Vrat Katha In Hindi: हर महीने की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव का व्रत किया जाता है जिसे प्रदोष व्रत के नाम से जानते हैं। आज शुक्र प्रदोष व्रत है। जानिए इस व्रत की पौराणिक कथा।

Shukrawar Pradosh Vrat Katha In Hindi

Shukrawar Pradosh Vrat Katha In Hindi: शुक्र प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार एक नगर में 3 मित्र रहते थे जिनमें से एक राजकुमार था, दूसरा ब्राह्मण कुमार था और तीसरा धनिक पुत्र था। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार दोनों विवाहित थे। लेकिन कुछ समय बाद धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया, लेकिन उसका अभी गौना नहीं हुआ था। इसलिए धनिक पुत्र की पत्नी अभी मायके में रहती थी। एक दिन तीनों दोस्त साथ में बैठकर स्त्रियों के बारे में चर्चा कर रहे थे। जिस पर ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की तारीफ करते हुए कहा कि ''नारीहीन घर भूतों का डेरा'' होता है।

धनिक पुत्र ने जैसे ही ये बात सुनी तो उसने तुरंत ही अपनी पत्नी को घर से लाने का निश्चय कर लिया। धनिक पुत्र को उसके माता-पिता ने खूब समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हैं। इस समय बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवाकर लाना अशुभ होता है। लेकिन धनिक पुत्र ने किसी की नहीं सुनी और वह तुरंत ही ससुराल पहुंच गया।

धनिक पुत्र को उसके ससुराल वालों ने भी खूब समझाने का प्रयास किया परंतु वह जबरदस्ती अपनी पत्नी को विदा करा लाया। विदाई कराने के बाद दोनों पति-पत्नी शहर से निकले ही रहे थे कि उनकी बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई। जिससे दोनों को चोट लगी लेकिन फिर भी वे आगे चलते रहे। अभी कुछ ही दूरी पर पहुंचे थे कि उन्हें डाकू मिल गए। डाकूओं ने उनका सारा पैसा लूट लिया। जैसे ही दोनों घर पहुंचे, तो धनिक पुत्र को सांप ने डंस लिया। उसके पिता ने वैद्य को बुलाया तो वैद्य ने बताया कि इसकी 3 दिन में ही मृत्यु हो जाएगी।

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