Shukrawar Vrat Katha, Puja Vidhi: कैसे करें शुक्रवार व्रत, जानें पूजा विधि, व्रत कथा, मंत्र, आरती और महत्व

Shukrawar Vrat Katha, Puja Vidhi, Aarti in Hindi (शुक्रवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती): शुक्रवार का व्रत धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। इस व्रत के प्रभाव से धन संबंधी दिक्कतें दूर हो जाती हैं। जानिए शुक्रवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती और महत्व।

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Shukrawar Puja Vidhi, Katha: शुक्रवार व्रत कथा, पूजा विधि, नियम और मुहूर्त

Shukrawar Vrat Katha, Puja Vidhi, Aarti in Hindi (शुक्रवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती): हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी और माता संतोषी को समर्पित किया गया है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन मां संतोषी (Maa Santoshi) और मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) की अराधना करने से सुख, समृद्धि, सौभाग्य और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। कई लोग शुक्रवार का व्रत करते हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति की सारी मनोकामाएं पूर्ण हो जाती हैं।

शुक्रवार व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से शुरू किया जा सकता है। कहते हैं जो व्यक्ति लगातार 16 शुक्रवार व्रत करता है उसे मां संतोषी सुख और सौभाग्य प्रदान करती हैं। ध्यान रहे कि मां संतोषी के व्रत में खट्टी चीजों का सेवन बिल्कुल भी नहीं किया जाता है।

Shukrawar Vrat Katha (शुक्रवार व्रत कथा)

प्राचीन समय में, किसी नगर में एक बुजुर्ग महिला अपने बेटे के साथ रहती थी। कुछ समय बाद बुढ़िया ने अपने बेटे का विवाह करवा दिया। इसके बाद बुढ़िया अपनी बहू से ही गृहस्थी का सारा काम करवाती थी। उसे खाना तक ठीक से नहीं देती थी।

बुढ़िया के ऐसे बर्ताव से बेटे ने शहर जाने की सोची। इसके लिए अपनी मां और पत्नी दोनों से आज्ञा मांगी। इसपर उस बुढ़िया ने बहू को अपनी कोई निशानी देने को कहा। इतने में लड़की रोने लगी क्योंकि उसके पास ऐसी कोई भी निशानी नहीं थी। इतने में उसका बेटा घर छोड़ शहर चला गया।

एक दिन बहू की नजर उन सभी महिलाओं पर पड़ी जो हर शुक्रवार के दिन माता संतोषी की पूजा करती हैं। तभी उसने भी इस व्रत को करने की इच्छा जाहिर की। उन स्त्रियों से बहु ने व्रत की पूजा विधि पूछी। तब उनमें से किसी एक ने बताया- "एक लौटे में जल और गुड़ और चने का प्रसाद लेकर मां कि पूजा करना। इस दिन खटाई बिल्कुल भी मत खाना।" उस स्त्री की बात मानकर बहु भी अब व्रत रखने लगी। मां की कृपा से उसके पति की चिट्ठी और कुछ पैसे भी आने लगे।

बहू ने बुढ़िया से कहा कि जैसे ही उसके पति शहर से आएगें तो वो व्रत का उद्यापन करेगी। कुछ दिनों के बाद संतोषी माता की असीम कृपा से उसका पति घर आ गया। फिर उसने विधि-विधान से व्रत का उद्यापन किया। लेकिन उसके घर के पास रहने वाली एक पड़ोसन उससे काफी चिड़ती थी। जलन से पड़ोसन ने अपने बच्चों को खटाई खाने की आदत डाल दिया। इसके बाद बच्चों ने उद्यापन में भी ऐसा ही किया।

उद्यापन में खटाई के इस्तेमाल से माता संतोषी क्रोधित हो गयी। किसी कारणवश उसके पति को सिपाही पकड़कर ले गए। तब बहू ने माता संतोषी से क्षमा मांगी और फिर से उद्यापन करने का सोचा। माता इससे प्रसन्न हुई। उनकी कृपा से उसका पति घर आ गया। इसके कुछ समय बाद ही उसने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया।

Shukrawar Vrat Puja Vidhi (शुक्रवार व्रत पूजा विधि)

  • शुक्रवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठें।
  • घर की सफाई के बाद स्वयं स्नान कर लें।
  • फिर घर के पवित्र स्थान पर माता संतोषी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • एक बड़े पात्र में शुद्ध जल भर लें।
  • फिर उस जल भरे पात्र के ऊपर एक कटोरी में गुड़ और भुने हुए चने रखें।
  • अब मां की प्रतिमाके समक्ष एक दीपक जलाएं।
  • माता संतोषी की विधिवत पूजा-अर्चना करें।
  • इसके बाद शुक्रवार व्रत की कथा सुनें।
  • ध्यान रहें कथा सुनते या पढ़ते समय अपने हाथों में गुड़ और भुने चने ज़रूर रखें।
  • फिर संतोषी मां की आरती करें।
  • आरती के बाद माता को भोग लगाएं और फिर उस प्रसाद को बाटें।
  • पूजा समापन के बाद बड़े पात्र वाले जल को घर में छिड़क दें और शेष जल को तुलसी के पौधे में डाल दें।

Shukrawar Vrat Puja Aarti (शुक्रवार व्रत पूजा आरती)

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता। अपने सेवक जन को, सुख संपत्ति दाता ।।

सुन्दर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हों। हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हों ।।

मेरु लाल छटा छवि, बदन कमल सोहै। मन्द हंसत करूणामयी, त्रिभुवन मन मोहै ।।

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरें प्यारे। धुप, दीप, मधुमेवा, भोग धरें न्यारे ।।

गुड़ अरू चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो। संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो ।।

शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही। भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही ।।

भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै। जो मन बसै हमारे इच्छा फल दीजै ।।

मन्दिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई। विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई ।।

दुखी, द्ररिद्री, रोगी, संकट मुक्त किये। बहु धन-धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिये ।।

ध्यान धरयो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो। पूजा कथा श्रवण कर, घर आनन्द आयो ।।

शरण गहे की लज्जा, रखियो जगदम्बे। संकट तू ही निवारे, दयामयी मां अम्बे ।।

संतोषी मां की आरती, जो कोई नर गावे। ऋद्धि-सिद्धि, सुख-संपत्ति, जी भरके पावे ।।

Shukrawar Vrat Importance (शुक्रवार व्रत महत्व)

शुक्रवार व्रत रखने से संतोषी माता की कृपा बरसती है। निर्धनता और दरिद्रता का नाश होता है। इस व्रत के प्रभाव से व्यवसाय में लाभ, परीक्षा में सफलता, न्यायालय में विजय और घरों में सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा अविवाहित लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है।

Shukrawar Mantra (शुक्रवार व्रत के मंत्र)

ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।।

ऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

Shukrawar Vrat Ke Niyam (शुक्रवार व्रत के नियम)

  • इस व्रत में व्रती के साथ घर के बाकी सदस्यों को भी खट्टी चीजे नहीं खानी चाहिए।
  • इस व्रत में तामसिक भोजन वर्जित है।
  • इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराकर दक्षिणा अवश्य दें।
  • इस व्रत में की पूजा भगवान गणेश की अराधना से शुरू करें।

शुक्रवार का व्रत कब शुरू करें?

शुक्रवार व्रत हमेशा शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से शुरू किया जाता है। लेकिन, पितृ पक्ष में इस व्रत की शुरुआत न करें। 16 शुक्रवार तक इस व्रत का पालन करें।

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